भारत vs चीन: GDP, विदेशी मुद्रा, वृद्धि दर में क्या हैं अंतर?

नई दिल्ली। 21वीं सदी की वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत और चीन दो उभरती हुई महाशक्तियाँ हैं। एक ओर चीन ने पिछले चार दशकों में निरंतर तेज़ औद्योगिक विकास कर दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का गौरव प्राप्त किया है, वहीं भारत भी एक तेज़ी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था के रूप में वैश्विक मंच पर मजबूती से उभर रहा है। इस रिपोर्ट में हम GDP (सकल घरेलू उत्पाद), विदेशी मुद्रा भंडार और आर्थिक वृद्धि दर जैसे प्रमुख आर्थिक सूचकों के आधार पर भारत और चीन की तुलना करेंगे।

1. GDP (सकल घरेलू उत्पाद):

चीन: 2024 के आंकड़ों के अनुसार, चीन की GDP लगभग 17.5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के आसपास थी। यह अमेरिका के बाद विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। चीन की अर्थव्यवस्था का आधार मुख्यतः निर्यात, विनिर्माण और बुनियादी ढांचे में भारी निवेश पर टिका है।

भारत: भारत की GDP वर्ष 2024 में लगभग 3.9 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर रही, जो इसे दुनिया की पाँचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाती है। भारत की अर्थव्यवस्था में सेवाक्षेत्र, कृषि और उपभोग का प्रमुख योगदान है।

2. विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserves):

चीन: चीन के पास दुनिया का सबसे बड़ा विदेशी मुद्रा भंडार है, जो कि 2024 के अनुसार 3.2 ट्रिलियन डॉलर से भी अधिक था। यह इसकी निर्यात-प्रधान नीति और ट्रेड सरप्लस के कारण संभव हुआ है।

भारत: भारत का विदेशी मुद्रा भंडार लगभग 650-700 अरब डॉलर के बीच रहा, जो कि इसकी आयात ज़रूरतों को लगभग 10 महीनों तक पूरा करने में सक्षम है। यह भंडार भी लगातार बढ़ रहा है, जिससे रुपये की स्थिरता बनी रहती है।

3. आर्थिक वृद्धि दर (Growth Rate):

भारत: IMF और विश्व बैंक के अनुमानों के अनुसार, 2024-25 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 6.8% से 7.2% के बीच रहने की उम्मीद है, जो दुनिया में सबसे तेज़ है। भारत की जनसांख्यिकीय शक्ति, स्टार्टअप बूम और डिजिटलाइजेशन इसके पीछे प्रमुख कारक हैं।

चीन: कोविड के बाद चीन की वृद्धि दर कुछ धीमी रही है। 2024 में इसकी अनुमानित वृद्धि दर 4.5% से 5.0% के बीच रही। हालांकि यह अब भी बड़ी अर्थव्यवस्था के लिए सम्मानजनक दर है, पर भारत की तुलना में धीमी है। इस समय भारत की वृद्धि दर चीन से अधिक है, जो भारत के लिए दीर्घकालिक आर्थिक बढ़त का संकेत है।

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