बिहार में सभी शिक्षकों को सौंपी गई नई ज़िम्मेदारी

पटना। बिहार सरकार ने स्कूली बच्चों की स्वास्थ्य सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए एक महत्वपूर्ण पहल की शुरुआत की है। राज्य के लगभग 81 हजार स्कूलों में पढ़ने वाले दो करोड़ से अधिक बच्चों की प्रारंभिक स्वास्थ्य जांच अब शिक्षकों द्वारा की जाएगी। यह निर्णय शिक्षा विभाग और स्वास्थ्य विभाग की साझा रणनीति के तहत लिया गया है, जिसका उद्देश्य 100 प्रतिशत बच्चों की स्वास्थ्य जांच सुनिश्चित करना है।

शिक्षकों को सौंपी गई नई ज़िम्मेदारी

राज्य के प्रत्येक स्कूल में दो-दो शिक्षकों को नामित किया जाएगा, जो बच्चों की प्रारंभिक स्वास्थ्य जांच करेंगे। इसमें बच्चों की लंबाई, वजन, पोषण स्तर आदि का मूल्यांकन शामिल होगा। ये शिक्षक स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से विशेष प्रशिक्षण प्राप्त करेंगे ताकि वे यह कार्य दक्षता और संवेदनशीलता से कर सकें।

पूर्ण स्वास्थ्य जांच का तंत्र

हालांकि प्रारंभिक जांच शिक्षकों द्वारा की जाएगी, लेकिन राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (RBSK) के तहत प्रत्येक प्रखंड में स्वास्थ्य कर्मियों की टीम स्कूलों में जाकर बच्चों की संपूर्ण स्वास्थ्य जांच करेगी। इस दौरान यदि किसी बच्चे में गंभीर बीमारी के लक्षण पाए जाते हैं, तो उन्हें उपयुक्त अस्पतालों में रेफर किया जाएगा।

पोषण और दवा वितरण

बच्चों में खून की कमी (एनीमिया) रोकने के लिए उन्हें आयरन और फोलिक एसिड की गोलियां दी जाएंगी: कक्षा 1 से 5 तक के बच्चों को गुलाबी गोली, कक्षा 6 से 12 तक के बच्चों को नीली गोली। इसके अलावा, कृमिनाशक दवा (एलबेंडाजोल) भी नियमित अंतराल पर दी जाएगी, जिससे बच्चों को आंतों के परजीवियों से सुरक्षा मिलेगी।

ई-शिक्षाकोष पोर्टल पर रिपोर्टिंग

सभी स्कूलों में बच्चों की स्वास्थ्य संबंधी जानकारी को ई-शिक्षाकोष पोर्टल पर अपलोड किया जाएगा। इस पोर्टल पर आयरन-फोलिक एसिड वितरण, कृमि मुक्ति अभियान, और आरबीएसके सूचकांक का रिकॉर्ड रखा जाएगा।

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