विद्युत नियामक आयोग की आपत्तियों से अटका मसौदा
इस देरी की प्रमुख वजह उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग (UPERC) द्वारा उठाई गई आपत्तियाँ हैं। आयोग ने जून माह में निजीकरण के मसौदे को वापस करते हुए कई बिंदुओं पर स्पष्टीकरण मांगा था। अब तक राज्य सरकार ने आयोग को इन आपत्तियों पर कोई औपचारिक लिखित जवाब नहीं सौंपा है।
हालांकि सोमवार को एक महत्वपूर्ण बैठक हुई जिसमें राज्य के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह आयोग मुख्यालय पहुंचे। उनके साथ अपर मुख्य सचिव ऊर्जा नरेन्द्र भूषण, यूपी पावर कारपोरेशन के चेयरमैन डॉ. आशीष कुमार गोयल समेत ऊर्जा विभाग के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे। इस बैठक में आयोग के अध्यक्ष अरविंद कुमार के अलावा राज्य निर्वाचन आयुक्त आरपी सिंह भी शरीक हुए, जो पूर्व में विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष रह चुके हैं।
बैठक में मसौदे पर हुई विस्तृत चर्चा
करीब ढाई घंटे चली इस उच्चस्तरीय बैठक में उन सभी तकनीकी और नीति संबंधी पहलुओं पर चर्चा हुई जो आयोग द्वारा उठाई गई आपत्तियों से जुड़े थे। सूत्रों के अनुसार, ऊर्जा विभाग के तकनीकी सलाहकार ने प्रस्तुतीकरण देते हुए बताया कि मसौदे में किन-किन बिंदुओं को संशोधित या स्पष्टीकृत किया गया है। आयोग अध्यक्ष ने अधिकारियों से इस पर औपचारिक लिखित उत्तर प्रस्तुत करने को कहा है। यह स्पष्ट किया गया कि आयोग मसौदे पर अपनी अंतिम राय तभी देगा जब वह सभी बिंदुओं का विस्तृत अध्ययन कर लेगा।
आयोग की व्यस्तता से और बढ़ी प्रक्रिया की अनिश्चितता
गौरतलब है कि यूपी विद्युत नियामक आयोग 9 जुलाई से 21 जुलाई 2025 तक चालू वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए बिजली दरों पर जनसुनवाई करने जा रहा है। इस दौरान आयोग की पूरी कार्यप्रणाली दर निर्धारण प्रक्रिया में व्यस्त रहेगी। इस कारण, भले ही सरकार 21 जुलाई से पहले आयोग को जवाब भेज दे, परंतु उससे पहले निजीकरण मसौदे पर कोई अंतिम निर्णय या अभिमत आने की संभावना नहीं है।
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