भारत बना रहा है 5 हाइपरसोनिक मिसाइलें: चीन की उड़ी नींद

नई दिल्ली। 21वीं सदी का युद्ध मैदान बदल चुका है। अब शक्ति की परिभाषा केवल परमाणु बम, टैंक या फाइटर जेट तक सीमित नहीं है। आज की सैन्य होड़ में वह देश आगे है जिसकी मिसाइलें रफ्तार की सभी सीमाएं तोड़कर दुश्मन तक पहुंचती हैं — Mach 5, Mach 6 या उससे भी अधिक गति से। और अब इस नई जंग में भारत ने भी न सिर्फ एंट्री ली है, बल्कि पूरी रणनीति के साथ मैदान में उतर चुका है।

भारत के हाइपरसोनिक हथियार: पांच प्रोजेक्ट, एक विज़न

1. HSTDV: भारत की पहली छलांग

DRDO द्वारा विकसित किया गया Hypersonic Technology Demonstrator Vehicle (HSTDV) भारत का पहला प्रयोगात्मक कदम था Scramjet इंजन को मास्टर करने की दिशा में। 2020 में इसने सफल उड़ान भरी और यह Mach 6 की गति से 20 सेकंड तक हवा में रहा। यह तकनीक भविष्य की हाइपरसोनिक मिसाइलों की नींव रखती है, जहां ईंधन नहीं, हवा से ऑक्सीजन खींचने वाली टेक्नोलॉजी गेम चेंजर बनेगी।

2. SFDR: वायुसेना को मिलने वाली नई धार

Solid Fuel Ducted Ramjet आधारित यह एयर-टू-एयर मिसाइल प्रौद्योगिकी भारत की अपनी Astra श्रृंखला को नई ऊंचाई देगी। Mach 6 तक की गति वाली यह मिसाइल कम दूरी से लेकर लंबी दूरी तक दुश्मन के एयरक्राफ्ट्स को खत्म करने में सक्षम होगी।

3. Shaurya (हाइपर संस्करण): चुपचाप आघात

Shaurya मिसाइल पहले से ही भारत की रणनीतिक संपत्ति है, लेकिन अब इसका नया हाइपरसोनिक संस्करण इसे और घातक बना रहा है। Mach 7.5 की गति से उड़ती यह मिसाइल ‘glide’ करती है, जिससे इसका पता लगाना मुश्किल और रोकना लगभग असंभव हो जाता है। यह बनकर तैयार हैं।

4 .ब्रह्मोस-II: रफ्तार में रूस-भारत की साझेदारी

ब्रह्मोस-II, भारत-रूस की सुपरसोनिक ब्रह्मोस का अगला संस्करण है, जिसे Mach 7 की गति तक पहुंचाने की योजना है। यह मिसाइल जल, थल और नभ – तीनों माध्यमों से दागी जा सकती है, और इसकी तेज़ी से दुश्मन के रडार को चकमा देना लगभग नामुमकिन होगा।

5. Hypersonic Glide Vehicle (HGV): गुप्त प्रोजेक्ट

इस प्रोजेक्ट के बारे में बहुत कम जानकारी है, लेकिन यह माना जा रहा है कि यह Mach 10+ गति तक पहुंच सकता है। अगर भारत इसे सफलतापूर्वक विकसित कर लेता है, तो यह अमेरिका और चीन के बराबर खड़ा हो जाएगा — रणनीतिक, तकनीकी और वैश्विक स्तर पर।

यह सिर्फ टेक्नोलॉजी नहीं, यह भविष्य की रणनीति है

हाइपरसोनिक हथियारों की खासियत सिर्फ उनकी गति नहीं है, बल्कि उनकी सटीकता, प्रतिक्रिया समय में कटौती, और रडार से बचने की क्षमता है। भारत का हाइपरसोनिक कार्यक्रम केवल एक सैन्य प्रतिस्पर्धा नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर भारत की सुरक्षा रणनीति का प्रतीक है।

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