सावन में भूलकर भी न करें ये 7 काम, भोलेनाथ हो सकते हैं रुष्ट!

धर्म डेस्क। सावन मास हिन्दू धर्म में श्रद्धा, भक्ति और साधना का प्रतीक है। इस माह का प्रत्येक दिन भगवान शिव को समर्पित होता है। भक्तगण उपवास, शिवलिंग पर जलाभिषेक, रुद्राष्टक पाठ और महामृत्युंजय मंत्र के जाप के माध्यम से भोलेनाथ की कृपा पाने का प्रयास करते हैं। लेकिन इस पुण्य काल में कुछ कार्य वर्जित माने गए हैं, जिनसे शिव कृपा दूर हो सकती है।

1. मांसाहार और नशे से दूरी बनाए रखें

सावन में मांस, मछली, अंडा और मदिरा जैसे तामसिक पदार्थों का सेवन पूर्णतः त्याज्य है। न केवल यह शरीर को अपवित्र करता है, बल्कि मानसिक और आत्मिक ऊर्जा को भी नकारात्मक दिशा में प्रभावित करता है। यह माह सात्त्विक जीवनशैली अपनाने और इंद्रिय संयम का अभ्यास करने का है।

2. बाल और दाढ़ी कटवाने से बचें

सावन का महीना संयम, तप और साधना का होता है। इस दौरान शरीर को सजाना-संवारना या सौंदर्य बढ़ाने वाले कार्य जैसे बाल और दाढ़ी कटवाना वर्जित माने गए हैं। यह तपस्या और त्याग के विरुद्ध समझा जाता है और धार्मिक मान्यता अनुसार इससे अशुभ परिणाम प्राप्त हो सकते हैं।

3. क्रोध और घमंड से रहें दूर

भगवान शिव स्वयं शांत और सरल स्वभाव के प्रतीक हैं। उनकी भक्ति में भी यही गुण अपेक्षित हैं। सावन में किसी पर क्रोधित होना, अपमान करना या अपने अहंकार को बढ़ावा देना शिवभक्ति के विपरीत है। यह पुण्य के बजाय पाप का कारण बन सकता है।

4. कटु शब्दों का प्रयोग न करें

वाणी का संयम सावन में विशेष महत्व रखता है। अपशब्दों, कठोर या तिरस्कारपूर्ण भाषा से न केवल दूसरों को ठेस पहुंचती है, बल्कि इसका असर साधना और भक्ति पर भी पड़ता है। इस माह में हर शब्द में मधुरता और श्रद्धा होनी चाहिए।

5. तुलसी का प्रयोग शिव पूजन में न करें

हालांकि तुलसी को अत्यंत पवित्र और देवी स्वरूप माना गया है, परंतु शिवलिंग पर तुलसी दल चढ़ाना शास्त्रों में वर्जित है। तुलसी भगवान विष्णु को समर्पित हैं, और शिव-पार्वती पूजा में इसका प्रयोग अनुचित समझा जाता है।

6. दूध का अपमान न करें

सावन में शिवलिंग पर दूध अर्पित करना अत्यंत पुण्यकारी माना गया है, लेकिन इसका अपव्यय करना अथवा दूध को व्यर्थ बहाना अशुभ फलदायक हो सकता है। अर्पण करते समय ध्यान रखें कि श्रद्धा और आदर के साथ दूध चढ़ाएं।

7. दिन में न करें निद्रा

सावन भक्ति, तप और आत्मनिरीक्षण का समय है। दिन में सोना आलस्य का प्रतीक है और साधना की भावना को कमजोर करता है। शास्त्रों के अनुसार, दिन के समय नींद लेने से पुण्य क्षीण होता है और मानसिक जड़ता आती है। इसकी बजाय जप, पाठ, ध्यान और शिवकथा में मन लगाना चाहिए।

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