कार्डियक अरेस्ट और हार्ट अटैक में क्या हैं अंतर?

हेल्थ डेस्क। जब भी किसी के अचानक गिरने या बेहोश हो जाने की खबर आती है और दिल का मामला होता है, तो हम अक्सर दो शब्द सुनते हैं—हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट। बहुत से लोग इन दोनों को एक ही समझते हैं, जबकि वास्तव में ये दो बिल्कुल अलग स्वास्थ्य स्थितियाँ हैं। इनका सही अंतर जानना न सिर्फ ज़रूरी है, बल्कि किसी की जान बचाने में भी मददगार हो सकता है।

क्या होता है हार्ट अटैक?

हार्ट अटैक, जिसे चिकित्सा भाषा में मायोकार्डियल इन्फार्क्शन कहा जाता है, तब होता है जब दिल की मांसपेशियों तक रक्त का प्रवाह बाधित हो जाता है। इसका कारण अक्सर कोरोनरी धमनियों (arteries) में जमी वसा या थक्के होते हैं। जब किसी हिस्से को ऑक्सीजन नहीं मिलती, तो वह हिस्सा मरने लगता है। इसके लक्षण आमतौर पर धीरे-धीरे उभरते हैं।

क्या होता है कार्डियक अरेस्ट?

कार्डियक अरेस्ट एक इलेक्ट्रिकल समस्या है। इसमें दिल की धड़कन अचानक बंद हो जाती है और दिल खून पंप करना बंद कर देता है। इससे मस्तिष्क और अन्य अंगों तक रक्त नहीं पहुँच पाता, जिससे व्यक्ति कुछ ही सेकंड में बेहोश हो सकता है और यदि तुरंत इलाज न मिले तो मौत हो सकती है।

हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट में क्या है फर्क?

1 .परिभाषा में अंतर: हार्ट अटैक (Heart Attack) तब होता है जब दिल की मांसपेशियों को खून पहुँचाने वाली धमनियाँ अवरुद्ध हो जाती हैं। वहीं कार्डियक अरेस्ट (Cardiac Arrest) दिल की इलेक्ट्रिकल प्रणाली की गड़बड़ी के कारण अचानक दिल की धड़कन बंद हो जाने की स्थिति है।

2 .लक्षणों की पहचान: हार्ट अटैक के लक्षणों में सीने में दर्द, सांस फूलना, पसीना और थकान शामिल हैं। कार्डियक अरेस्ट में व्यक्ति अचानक बेहोश हो जाता है, सांस रुक जाती है और नाड़ी नहीं चलती।

3 .शुरू होने का तरीका: हार्ट अटैक धीरे-धीरे शुरू होता है और चेतावनी के संकेत देता है। कार्डियक अरेस्ट अचानक होता है, अक्सर बिना किसी चेतावनी के।

4 .जान का खतरा: हार्ट अटैक गंभीर होता है लेकिन तुरंत इलाज मिलने पर मरीज की जान बच सकती है। कार्डियक अरेस्ट बेहद जानलेवा होता है—यदि कुछ ही मिनटों में CPR और डिफिब्रिलेशन न मिले तो मृत्यु संभव है।

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