क्या है 8वें वेतन आयोग का मकसद?
वेतन आयोग का मुख्य उद्देश्य सरकारी कर्मचारियों की सैलरी स्ट्रक्चर की समीक्षा करना और उसे बदलती आर्थिक परिस्थितियों के अनुसार अपडेट करना होता है। भारत में हर 10 साल में नया वेतन आयोग बनता है। 7वां वेतन आयोग 2016 में लागू हुआ था, और अब 8वें वेतन आयोग की सिफारिशें 1 जनवरी 2026 से लागू होने की उम्मीद है।
फिटमेंट फैक्टर से तय होगी सैलरी
सरकारी वेतन बढ़ोतरी की गणना एक “फिटमेंट फैक्टर” के आधार पर होती है। यह एक निश्चित गुणांक होता है जिसे मौजूदा बेसिक सैलरी से गुणा किया जाता है ताकि नया बेसिक वेतन निकाला जा सके। अभी फिटमेंट फैक्टर 2.57 है, रिपोर्ट्स के अनुसार इसे बढ़ाकर 2.86 किए जाने की संभावना है।
₹60,000 बेसिक सैलरी वालों को कितना फायदा होगा?
अगर मौजूदा बेसिक पे = ₹60,000
नया वेतन (2.86 फैक्टर से) = ₹60,000 × 2.86 = ₹1,71,600
अभी के हिसाब से (2.57 फैक्टर से) = ₹60,000 × 2.57 = ₹1,54,200
अंतर = ₹17,400 प्रति माह यानी सालाना ₹2.08 लाख से ज्यादा की बढ़ोतरी
₹70,000 बेसिक सैलरी वालों को कितना फायदा होगा?
बेसिक पे = ₹70,000
नया वेतन (2.86 से) = ₹70,000 × 2.86 = ₹2,00,200
मौजूदा (2.57 से) = ₹70,000 × 2.57 = ₹1,79,900
अंतर = ₹20,300 प्रति माह यानी सालाना ₹2.43 लाख से अधिक की बढ़ोतरी
सिर्फ बेसिक सैलरी नहीं, DA और भत्ते भी बढ़ेंगे
8वें वेतन आयोग में सिर्फ बेसिक पे ही नहीं, महंगाई भत्ता (DA), ट्रांसपोर्ट अलाउंस, HRA जैसे भत्तों में भी संशोधन की संभावना है। मौजूदा समय में DA को 53% तक बढ़ाया जा चुका है और आने वाले महीनों में इसमें और बढ़ोतरी संभावित है। नए वेतनमान में DA की गणना भी बढ़े हुए बेसिक पे पर होगी, जिससे नेट इनकम में भारी इजाफा होगा।
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