अगले 10 साल: विश्व व्यवस्था में कहां होगा भारत?

नई दिल्ली। 21वीं सदी के तीसरे दशक में जब वैश्विक शक्ति संतुलन पुनर्निर्धारित हो रहा है, तब यह प्रश्न अत्यंत प्रासंगिक हो जाता है: अगले 10 वर्षों में भारत का विश्व व्यवस्था में क्या स्थान होगा? क्या भारत एक 'उभरती महाशक्ति' के दायरे से निकलकर एक स्थापित वैश्विक शक्ति के रूप में खुद को स्थापित कर पाएगा?

संयुक्त राज्य अमेरिका: स्थायी महाशक्ति

संयुक्त राज्य अमेरिका आज भी वैश्विक राजनीति, अर्थव्यवस्था और तकनीक का केंद्र बना हुआ है। सिलिकॉन वैली से लेकर वॉल स्ट्रीट तक, अमेरिका की वैश्विक पकड़ मजबूत है। इसकी रक्षा बजट और वैश्विक सैन्य उपस्थिति उसे वैश्विक नेतृत्व में सबसे ऊपर बनाए रखती है। कई विश्लेषकों का मानना है कि अगले एक दशक तक अमेरिका वैश्विक महाशक्ति बना रहेगा, हालांकि इसकी चुनौतियाँ बढ़ेंगी।

चीन: व्यवस्थित और रणनीतिक वृद्धि

चीन ने बीते दो दशकों में खुद को अमेरिका का सबसे बड़ा प्रतियोगी साबित किया है। दुनिया का सबसे बड़ा नौसैनिक बेड़ा, "बेल्ट एंड रोड" जैसी वैश्विक परियोजनाएँ, और तेज़ी से बढ़ता तकनीकी व औद्योगिक ढांचा चीन को वैश्विक शक्ति के रूप में मजबूत बना रहा है। लेकिन उसके सामने जनसांख्यिकीय संकट, आंतरिक सेंसरशिप, और वैश्विक अविश्वास जैसी चुनौतियाँ भी हैं।

भारत: संभावनाओं से शक्ति तक का सफर

भारत के पास वैश्विक शक्ति बनने के सभी तत्व मौजूद हैं—एक विशाल जनसंख्या, युवा कार्यबल, मजबूत लोकतंत्र, और तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था। IMF और विश्व बैंक जैसी संस्थाएं भविष्यवाणी कर रही हैं कि भारत अगले 10 वर्षों में दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है।

1. आर्थिक शक्ति

भारत की GDP वृद्धि दर लगातार विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेज रही है। मेक इन इंडिया, स्टार्टअप इंडिया, और डिजिटल इंडिया जैसे अभियानों ने आर्थिक आत्मनिर्भरता को बढ़ावा दिया है। आने वाले दशक में, यदि भारत रोजगार सृजन, श्रम सुधार और औद्योगिक विकास पर गंभीरता से काम करता है, तो वह निवेशकों के लिए सबसे आकर्षक गंतव्य बन सकता है।

2. सैन्य और सामरिक क्षमता

भारत की रक्षा क्षमताएं भी तेज़ी से बढ़ रही हैं। स्वदेशी रक्षा निर्माण, अंतरिक्ष क्षेत्र में ISRO की कामयाबियां, और इंडो-पैसिफिक में रणनीतिक साझेदारियाँ भारत को एक "सॉफ्ट पावर" से "हार्ड पावर" की ओर ले जा रही हैं। अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया और फ्रांस जैसे देशों के साथ सुरक्षा सहयोग भारत की वैश्विक स्थिति को और मज़बूत करता है।

3. शिक्षा, नवाचार और तकनीक

अगर भारत को वैश्विक शक्ति बनना है, तो उसे शिक्षा और नवाचार के क्षेत्र में क्रांति लानी होगी। IITs, IISc और ISRO जैसे संस्थानों ने पहले ही भारत की बौद्धिक क्षमताओं को वैश्विक मान्यता दिलाई है। अब जरूरत है व्यापक और समावेशी शिक्षा नीति, तकनीकी अनुसंधान में निवेश, और AI, क्वांटम कंप्यूटिंग जैसी उभरती तकनीकों में नेतृत्व स्थापित करने की।

4. वैश्विक कूटनीति में सक्रियता

भारत की विदेश नीति अब "गुटनिरपेक्षता" से आगे बढ़कर "रणनीतिक स्वायत्तता" की ओर बढ़ रही है। भारत BRICS, G-20, क्वाड और SCO जैसे मंचों पर प्रभावशाली भूमिका निभा रहा है। जलवायु परिवर्तन, साइबर सुरक्षा और वैश्विक स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर भारत की भागीदारी उसकी छवि को और विश्वसनीय बनाती है।

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