तेजस Mk1A: आत्मनिर्भर भारत की बुलंद उड़ान

नई दिल्ली। भारत के रक्षा आसमान में एक नई गूंज सुनाई देने वाली है — वो है तेजस Mk1A की गरज, जो अब अस्त्र Mk1 मिसाइल के साथ और भी खतरनाक होने जा रहा है। अगस्त की शुरुआत में इस मिसाइल का लाइव फायर टेस्ट होने वाला है, और इसके साथ ही भारत स्वदेशी रक्षा क्षमता में एक और ऐतिहासिक कदम बढ़ाने को तैयार है।

तेजस Mk1A: सिर्फ अपग्रेड नहीं, एक नई सोच

तेजस Mk1A को केवल तेजस का उन्नत संस्करण कहना इसकी क्षमताओं को कम आंकना होगा। यह दरअसल उस आत्मनिर्भर भारत की तस्वीर है, जिसमें देश अपने लड़ाकू विमानों को खुद डिजाइन और अपग्रेड कर रहा है। इसमें लगाया गया ELM-2052 AESA रडार तेजस को दुश्मन की नजर से पहले उन्हें पहचानने, ट्रैक करने और जवाब देने में सक्षम बनाता है। यह एक तरह से तेजस की ‘छठी इंद्रिय’ है — तेज, सूक्ष्म और बेहद सटीक।

वहीं, नया डिजिटल फ्लाइट कंट्रोल कंप्यूटर (DFCC) तेजस को हवा में और ज्यादा स्थिर और फुर्तीला बनाता है, खासकर तब जब वह किसी चुनौतीपूर्ण मिशन पर हो। इन तकनीकी उन्नतियों ने तेजस Mk1A को अब एक ऐसा मंच बना दिया है, जो किसी भी आधुनिक मिसाइल सिस्टम को पूरी कुशलता से हैंडल कर सकता है — और यहीं से अस्त्र Mk1 की भूमिका शुरू होती है।

अस्त्र Mk1: हवा में दुश्मनों का काल

अस्त्र Mk1 कोई आम मिसाइल नहीं, यह भारत की पहली स्वदेशी बीयॉन्ड विजुअल रेंज (BVR) मिसाइल है, जिसे हवा से हवा में मार करने के लिए विकसित किया गया है। इसकी सबसे बड़ी ताकत है — अदृश्य रहते हुए दुश्मन को ढूंढ निकालना और पल भर में खत्म कर देना। 100 किमी से भी ज़्यादा की रेंज, एडवांस गाइडेंस सिस्टम और हर मौसम में काम करने की क्षमता इसे दुनिया की बेहतरीन BVR मिसाइलों की कतार में खड़ा करती है।

टेस्ट क्यों है खास?

आने वाला लाइव फायर टेस्ट महज़ एक तकनीकी प्रक्रिया नहीं है, यह एक प्रतीक है — उस भरोसे का जो अब भारत को खुद पर है। तेजस Mk1A और अस्त्र Mk1 का मिलन सिर्फ हार्डवेयर का संग नहीं है, यह एक रणनीतिक विचार का मेल है। जब अपना लड़ाकू विमान, अपनी बनी मिसाइल से लैस हो, और दोनों एक-दूसरे के साथ इतनी बारीकी से तालमेल में हों — तो यह आत्मनिर्भरता नहीं, आत्मविश्वास की उड़ान बन जाती है।

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