क्यों जरूरी है आधार वर्ष?
आधार वर्ष वह वर्ष होता है जिसे पिछली आरक्षित सीटों के रिकॉर्ड के रूप में माना जाता है, ताकि आगामी चुनावों में आरक्षण का रोटेशन सुनिश्चित किया जा सके। उदाहरण के तौर पर, 2021 के पंचायत चुनाव में वर्ष 2015 को आधार वर्ष माना गया था। यानी, 2015 में जो सीट जिस वर्ग के लिए आरक्षित थी, वह 2021 में उस वर्ग के लिए नहीं रही।
अब सवाल यह है कि 2026 के पंचायत चुनाव के लिए आधार वर्ष 2021 होगा या 2015, या फिर उससे पहले का कोई वर्ष? इस पर निर्णय जल्द ही लिया जाना है। माना जा रहा है कि जुलाई के अंत तक पंचायतीराज विभाग इस संबंध में प्रस्ताव कैबिनेट में पेश करेगा।
आरक्षण प्रक्रिया कैसे होती है?
आरक्षण की प्रक्रिया पूरी तरह से जनगणना डेटा और पिछले आरक्षण रिकॉर्ड पर आधारित होती है। इसमें कुछ प्रमुख चरण होते हैं:
1 .वर्ग-वार आबादी का प्रतिशत तय: SC/ST आरक्षण का प्रतिशत 2011 की जनगणना के आधार पर तय किया जाएगा।
2 .ग्राम पंचायतों को अवरोही क्रम में रखना: जैसे, यदि किसी ब्लॉक में SC के लिए ग्राम प्रधान पद आरक्षित करना है, तो वहां की सभी ग्राम पंचायतों को SC आबादी के प्रतिशत के अनुसार अवरोही क्रम (ज्यादा से कम) में रखा जाएगा।
3 .आधार वर्ष की समीक्षा: उस पंचायत को वरीयता दी जाएगी, जो आधार वर्ष में आरक्षित नहीं रही हो।
यह है आरक्षण का रोटेशन सिस्टम
आरक्षण को घुमाव (रोटेशन) की नीति से लागू किया जाता है ताकि सभी वर्गों को मौका मिल सके। रोटेशन की सामान्य क्रम इस प्रकार है: अनुसूचित जनजाति की महिलाएं, अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति की महिलाएं, अनुसूचित जाति, पिछड़े वर्ग की महिलाएं, पिछड़ा वर्ग, सामान्य वर्ग की महिलाएं। इस व्यवस्था से यह सुनिश्चित होता है कि आरक्षण का लाभ हर वर्ग और लिंग तक पहुंचे।
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