इलाज में मिलेंगी ये बड़ी सुविधाएं:
1 .रेफरल प्रक्रिया में सुधार: अब सभी कैंसर मामलों के लिए रेफरल प्रक्रिया को आसान और पारदर्शी बना दिया गया है। हर जोन में एक रेलवे चिकित्सक को नोडल प्राधिकारी के रूप में नामित किया गया है, जो कैंसर मरीजों के रेफरल को अधिकृत करेगा।
2 .यूएमआईडी कार्ड से मिलेगा इलाज: सेवारत कर्मचारी, पेंशनभोगी और उनके आश्रित अब यूनिक मेडिकल आइडेंटिफिकेशन कार्ड (UMID) के जरिए टाटा मेमोरियल सेंटर, एम्स, पीजीआई, निमहंस और सूचीबद्ध सरकारी अस्पतालों में आसानी से इलाज करा सकेंगे।
3 .90 दिनों तक वैध रहेगा रेफरल: नई व्यवस्था के तहत एक बार दिया गया रेफरल 90 दिनों तक मान्य रहेगा। इस अवधि में रोगी तीन तक विशेषज्ञ चिकित्सकों से परामर्श ले सकता है, और आवश्यकता होने पर छह तक परामर्श की अनुमति दी जाएगी।
4 .फॉलोअप के लिए दोबारा रेफरल की आवश्यकता नहीं: कैंसर मरीजों को फॉलोअप उपचार के लिए बार-बार रेफरल लेने की आवश्यकता नहीं होगी। यह सुविधा मरीजों की नियमित जांच और उपचार को सुगम बनाएगी।
5 .रेलवे कर्मचारियों और आश्रितों को कहां-कहां मिलेंगी ये सुविधाएं: टाटा मेमोरियल सेंटर, मुंबई, एम्स (दिल्ली, भुवनेश्वर आदि), पीजीआई (चंडीगढ़, पुडुचेरी), निमहंस, बेंगलुरु, अन्य सरकारी अस्पताल, रेलवे से सूचीबद्ध अस्पताल। इन अस्पतालों में ओपीडी, कीमोथेरेपी, रेडियोथेरेपी, सर्जरी, और फॉलोअप दवाएं आदि की सुविधा उपलब्ध होगी।
इलाज का खर्च और प्रतिपूर्ति:
रेलवे द्वारा टीएमसीएच (टाटा मेमोरियल सेंटर हॉस्पिटल) के साथ किए गए समझौता ज्ञापन (MoU) के तहत उपचार की प्रतिपूर्ति MoU में निर्धारित दरों या वास्तविक खर्च (जो भी कम हो) के अनुसार की जाएगी। इसमें OPD पंजीकरण, परामर्श, प्रारंभिक परीक्षण, दवाइयां आदि शामिल होंगी। यदि टीएमसीएच द्वारा दवाएं नहीं दी जातीं, तो संबंधित रेलवे हेल्थ यूनिट या अस्पताल यूएमआईडी कार्ड दिखाने पर दवाएं उपलब्ध कराएगा।
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