यूपी में अब डिप्लोमा वाले ही बनेंगे फार्मासिस्ट!

लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने पशुपालन विभाग में लंबे समय से लंबित वेटरिनरी फार्मासिस्टों की भर्ती और पदोन्नति को लेकर बड़ा कदम उठाया है। कैबिनेट ने "उत्तर प्रदेश पशुपालन वेटरिनरी विभाग फार्मासिस्ट सेवा नियमावली" को मंजूरी दे दी है, जिससे न केवल भर्ती प्रक्रिया स्पष्ट हुई है, बल्कि वर्षों से रुकी हुई पदोन्नतियों का रास्ता भी साफ हो गया है।

क्या है नया बदलाव?

इस नियमावली के तहत अब केवल डिप्लोमाधारी अभ्यर्थी ही वेटरिनरी फार्मासिस्ट के पद पर नियुक्त हो सकेंगे। इसके लिए न्यूनतम दो वर्ष तीन माह का फार्मेसी डिप्लोमा अनिवार्य किया गया है। इसके अतिरिक्त, अब इन पदों पर भर्ती उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UPSSSC) के माध्यम से की जाएगी, जिससे चयन प्रक्रिया अधिक पारदर्शी और संगठित होगी।

पुरानी व्यवस्था में क्या थी दिक्कतें?

पहले पशुपालन विभाग में कंपाउंडर के पद पर इंटरमीडिएट योग्यताओं के आधार पर भर्ती होती थी। बाद में इनका पदनाम बदलकर 'फार्मासिस्ट' कर दिया गया, लेकिन शैक्षिक अर्हताओं में स्पष्टता ना होने, और संविधानिक विवादों के कारण न तो समय पर भर्ती हो पा रही थी और न ही प्रमोशन। परिणामस्वरूप विभाग में 2022 स्वीकृत पदों में से मात्र 737 पद ही भरे गए थे, जिससे कार्य संचालन पर भी असर पड़ रहा था।

नई नियमावली के लाभ

स्पष्ट शैक्षिक मानक: अब फार्मासिस्ट बनने के लिए डिप्लोमा अनिवार्य होने से अर्हता विवाद खत्म होगा।

नियमित भर्ती: UPSSSC के माध्यम से नियमित और पारदर्शी भर्ती प्रक्रिया सुनिश्चित होगी।

प्रमोशन की सुविधा: अब वेटरिनरी फार्मासिस्टों को चीफ वैटिनरी फार्मासिस्ट और प्रभारी अधिकारी फार्मेसी जैसे उच्च पदों पर प्रमोशन का अवसर मिलेगा।

रिक्तियों की भरपाई: वर्षों से खाली चल रहे पदों को भरने की प्रक्रिया तेज होगी, जिससे विभाग की कार्यक्षमता बढ़ेगी।

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