कई NATO देश खरीद सकते हैं ये इंडियन वेपन्स!

नई दिल्ली। एक समय था जब भारत को रक्षा उपकरणों के लिए पूरी तरह विदेशी देशों पर निर्भर रहना पड़ता था। लेकिन आज, भारत न सिर्फ अपनी सुरक्षा जरूरतों को खुद पूरा कर रहा है, बल्कि दुनिया के कई देशों, खासकर यूरोप के NATO सदस्यों के लिए एक विश्वसनीय हथियार आपूर्तिकर्ता के रूप में उभर कर सामने आया है। यह बदलाव भारत की रणनीतिक सोच, तकनीकी उन्नति और आत्मनिर्भरता की दिशा में उठाए गए ठोस कदमों का नतीजा है।

भारत में बने हथियारों की बढ़ती पहचान

भारत ने हाल के वर्षों में रक्षा क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है। अब भारत सिर्फ एक ग्राहक नहीं, बल्कि एक निर्माता और निर्यातक बन चुका है। ऐसे कई अत्याधुनिक हथियार और प्रणालियाँ हैं, जिनका निर्माण भारत में हो रहा है और जो तकनीकी दृष्टि से किसी भी विकसित देश के हथियारों से कम नहीं हैं:

1 .पिनाका मल्टी-बैरल रॉकेट सिस्टम: यह प्रणाली तेजी से और घातक हमले के लिए जानी जाती है। इसका उपयोग भारतीय सेना द्वारा कई अभियानों में किया जा चुका है।

2 .आकाश एयर डिफेंस सिस्टम: यह दुश्मन के फाइटर जेट्स और मिसाइलों को नष्ट करने में सक्षम है और इसकी सटीकता और लागत-प्रभावशीलता इसे वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धी बनाती है।

3 .ATAGS (Advanced Towed Artillery Gun System): यह स्वदेशी रूप से विकसित की गई तोप प्रणाली लंबी दूरी तक सटीकता से हमला कर सकती है, और इसकी परफॉर्मेंस NATO मानकों के अनुरूप मानी जा रही है।

4 .BEL (भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड) के संचार प्रणाली: ये सिस्टम युद्ध के दौरान सुरक्षित और भरोसेमंद संचार सुनिश्चित करते हैं, जो किसी भी सैन्य अभियान की सफलता के लिए अनिवार्य है।

NATO देशों की भारत में दिलचस्पी क्यों बढ़ी है?

अनेक NATO सदस्य देश अब अपनी सुरक्षा जरूरतों के लिए अमेरिका और अन्य पारंपरिक हथियार आपूर्तिकर्ताओं पर एकाधिकार से बचना चाहते हैं। ऐसे में भारत एक आकर्षक विकल्प बनकर उभरा है। इसके कुछ प्रमुख कारण हैं। भारत में बनाए गए हथियार अपेक्षाकृत सस्ते हैं, जिससे रक्षा बजट पर कम बोझ पड़ता है।भारतीय हथियार अब विश्व स्तरीय मानकों के अनुरूप बनाए जा रहे हैं।

भारत की बदलती वैश्विक छवि

‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसी सरकारी योजनाओं ने न केवल घरेलू उत्पादन को बढ़ावा दिया है, बल्कि भारत को वैश्विक रक्षा आपूर्ति श्रृंखला का हिस्सा भी बना दिया है। अब भारत सिर्फ अपनी जरूरतों के लिए नहीं, बल्कि मित्र देशों के लिए भी रक्षा उपकरण बना रहा है। इससे भारत की छवि एक मजबूत और आत्मनिर्भर रक्षा पार्टनर के रूप में स्थापित हो रही है।

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