1. के-6 मिसाइल:
‘के-6’ भारत की अगली पीढ़ी की सबमरीन लॉन्च की जाने वाली इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (SLBM) है। इसे DRDO द्वारा विकसित किया जा रहा है, और यह भारत की 'न्यूक्लियर ट्रायड' की तीसरी और सबसे गुप्त कड़ी को और मजबूत करेगा।
रेंज: 6,000 से 8000 किलोमीटर से अधिक
प्रक्षेपण: परमाणु पनडुब्बियों से किया जा सकेगा।
वारहेड: MIRV तकनीक से लैस, जिससे एक मिसाइल से कई टारगेट निशाना बनाए जा सकते हैं।
2. ब्रह्मोस-2:
ब्रह्मोस मिसाइल की सफलता के बाद अब भारत और रूस मिलकर ब्रह्मोस-2 को विकसित कर रहे हैं, जो एक हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल होगी। हाइपरसोनिक गति के कारण इसे रोकना लगभग असंभव होगा। यह दुश्मन के एयर डिफेंस सिस्टम को भेदने में बेहद सक्षम होगी।
स्पीड: 7 Mach (ध्वनि की गति से 7 गुना तेज)
लॉन्च प्लेटफॉर्म: जमीन, वायु और समुद्र तीनों से।
3. रुद्रम-4:
रुद्रम-4 DRDO द्वारा विकसित की जा रही एक अगली पीढ़ी की Anti-Radiation Missile है, जिसे दुश्मन के रडार, कम्युनिकेशन और इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम को तबाह करने के लिए डिजाइन किया गया है। यह भारतीय वायुसेना को इलेक्ट्रॉनिक युद्ध में बढ़त दिलाएगी और दुश्मन के एयर डिफेंस को अंधा कर देगी।
रेंज: लगभग 550-600 किमी (अपेक्षित)
लॉन्च: Su-30 MKI जैसे लड़ाकू विमानों से।
4. AMCA:
Advanced Medium Combat Aircraft (AMCA) भारत का पहला घरेलू 5वीं पीढ़ी का स्टील्थ फाइटर जेट होगा। इसे HAL और ADA (Aeronautical Development Agency) मिलकर विकसित कर रहे हैं। यह विमान भारत की वायु शक्ति में क्रांतिकारी बदलाव लाएगा और चीन-पाकिस्तान जैसे विरोधियों के लिए चुनौती बनेगा।
विशेषताएँ: स्टील्थ डिजाइन (रडार में नजर न आने की क्षमता), सुपरसोनिक क्रूज, AI-समर्थित अवेओनिक्स, मल्टी-रोल क्षमता (एयर टू एयर, एयर टू ग्राउंड, इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर)
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