भारत की 'रूसी जिरकॉन', स्पीड से दुनिया हैरान!

नई दिल्ली। भारत ने 6 अगस्त 2025 को रक्षा इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ा, जो न केवल तकनीकी आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ी छलांग है, बल्कि वैश्विक सामरिक समीकरणों को भी चुनौती देने की क्षमता रखता है। हैदराबाद में DRDO (रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन) ने दो अत्याधुनिक हाइपरसोनिक परीक्षण सुविधाओं का उद्घाटन किया और साथ ही भविष्य की दो घातक हाइपरसोनिक मिसाइलों के डिजाइन भी प्रदर्शित किए।

हाइपरसोनिक युग की दहलीज़ पर भारत

अब तक अमेरिका, रूस और चीन ही हाइपरसोनिक हथियारों की दौड़ में सबसे आगे माने जाते थे, लेकिन भारत की इस हालिया उपलब्धि ने उसे इस विशिष्ट क्लब का अहम सदस्य बना दिया है। हाइपरसोनिक मिसाइलें ऐसी अत्याधुनिक हथियार प्रणाली हैं, जो Mach 5 (ध्वनि की गति से पाँच गुना) से भी अधिक गति से चलती हैं। इतनी अधिक रफ्तार पर किसी भी मौजूदा मिसाइल डिफेंस सिस्टम का उन्हें रोक पाना लगभग असंभव होता है।

नई परीक्षण सुविधाएं: आत्मनिर्भरता की नींव

हैदराबाद में DRDO की दो नई परीक्षण सुविधाएं भारत के हाइपरसोनिक भविष्य की नींव बनेंगी:

हाइपरसोनिक विंड टनल (1-मीटर व्यास वाली): यह अत्याधुनिक सुरंग मिसाइलों के डिजाइन, उनकी एयरोडायनामिक्स और उच्च गति पर उनके व्यवहार का परीक्षण करने के लिए उपयोग की जाएगी। Mach 5+ पर किसी वस्तु की स्थिरता, ताप प्रबंधन और नियंत्रण प्रणाली की जाँच के लिए यह सुविधा अत्यंत आवश्यक है।

स्क्रैमजेट कनेक्टेड पाइप मोड टेस्ट फैसिलिटी: यह विशेष सुविधा हाइपरसोनिक मिसाइलों में प्रयुक्त स्क्रैमजेट इंजनों के परीक्षण के लिए है। स्क्रैमजेट (Supersonic Combustion Ramjet) इंजन वायुमंडलीय ऑक्सीजन का उपयोग करके उच्च गति पर निरंतर ईंधन दहन की अनुमति देता है, जिससे मिसाइल लंबे समय तक हाइपरसोनिक गति बनाए रख सकती है।

भविष्य के दो घातक हथियार

1. हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल (HGV): यह हथियार एक रॉकेट बूस्टर द्वारा ऊपरी वायुमंडल में पहुंचाया जाएगा, जहाँ से यह अलग होकर अपनी उच्च गति की ग्लाइडिंग उड़ान शुरू करेगा। इसकी गति Mach 5 से अधिक होगी और यह दुश्मन के एयर डिफेंस सिस्टम को चकमा देते हुए टारगेट को भेदने में सक्षम होगा। इसकी तुलना अमेरिका की "कॉमन हाइपरसोनिक ग्लाइड बॉडी" से की जा सकती है।

2. ब्रह्मोस-II हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल: दूसरे डिजाइन में रूस की घातक 3M22 ज़िरकॉन मिसाइल की झलक मिलती है। यह मिसाइल संभवतः ब्रह्मोस-II की अगली पीढ़ी है, जो Mach 7-8 की अविश्वसनीय गति से यात्रा कर सकती है और लगभग 1,500 किलोमीटर तक सटीक वार करने में सक्षम होगी। इसका सबसे उल्लेखनीय पक्ष यह है कि इसमें स्वदेशी स्क्रैमजेट इंजन का प्रयोग किया गया है। यह भारत के तकनीकी आत्मनिर्भरता की जीती-जागती मिसाल है।

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