स्वदेशी शौर्य की उड़ान - अब 'तेजस MK-2' तैयारी

नई दिल्ली: भारत की वायु शक्ति को नई ऊंचाइयों पर ले जाने वाला स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस MK-2 अब अंतिम चरण में है। अत्याधुनिक तकनीक से लैस यह लड़ाकू विमान भारत की रक्षा जरूरतों को पूरा करने के साथ-साथ आत्मनिर्भर भारत की उड़ान का प्रतीक बन गया है। 2026 तक पहली उड़ान और 2030 तक इसे भारतीय वायुसेना में शामिल करने की योजना है।

अगली पीढ़ी का फाइटर जेट

तेजस MK-2, पहले संस्करण तेजस MK-1A की तुलना में ज्यादा ताकतवर, ज्यादा आधुनिक और बहुपयोगी है। यह एक मल्टीरोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट है, जो हवा से हवा, हवा से जमीन और समुद्री हमलों के लिए उपयुक्त होगा। इसका डिजाइन ऐसा है कि यह एक साथ कई मिशनों को अंजाम दे सकेगा।

प्रमुख खूबियां

1 .इंजन: इसमें अमेरिका का शक्तिशाली GE-F414 इंजन होगा, जो तेजस MK-1 के इंजन से 35% ज्यादा ताकतवर है।

2 .डिजाइन: तेजस MK-2 का डिजाइन पूरी तरह स्टील्थ फ्रेंडली होगा, जिससे यह दुश्मन के रडार से बच निकलने में सक्षम होगा।

3 .डिजिटल कॉकपिट: इसमें अत्याधुनिक ग्लास कॉकपिट, एआई आधारित मिशन कंप्यूटर और मल्टी-फंक्शन डिस्प्ले लगे होंगे।

4 .रेंज: यह 2,500 किलोमीटर तक उड़ान भर सकता है, जिससे इसकी ऑपरेशनल क्षमता कई गुना बढ़ जाएगी।

5 .हथियार प्रणाली: इसमें स्कैल्प, अस्त्र, ब्रह्मोस-NG जैसे अत्याधुनिक हथियार लगाए जा सकेंगे।

आत्मनिर्भर भारत की बड़ी छलांग

तेजस MK-2 न केवल तकनीकी उपलब्धि है, बल्कि यह भारत की रक्षा क्षेत्र में ‘मेक इन इंडिया’ पहल का चमकता हुआ उदाहरण भी है। लगभग 80% उपकरण और सिस्टम देश में ही विकसित किए जा रहे हैं, जिससे आयात पर निर्भरता घटेगी और रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता बढ़ेगी।

अंतरराष्ट्रीय नजरें भी तेजस पर

तेजस MK-1A की सफलता के बाद अब दुनिया की कई देशों की नजर तेजस MK-2 पर है। HAL (हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड) को उम्मीद है कि आने वाले समय में यह विमान न केवल देश की सुरक्षा को मजबूत करेगा, बल्कि निर्यात के नए रास्ते भी खोलेगा।

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