बिहार में 'शिक्षकों' के लिए एक बड़ी खुशखबरी

पटना। बिहार में शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ और शिक्षकों के हित में अधिक संवेदनशील बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। राज्य के शिक्षा विभाग ने शिक्षकों के पारस्परिक तबादले (म्यूचुअल ट्रांसफर) की प्रक्रिया को व्यवस्थित और डिजिटल रूप देकर हजारों शिक्षकों को राहत पहुंचाई है। यह बदलाव न केवल शिक्षकों के कार्यस्थल की समस्या को हल करता है, बल्कि उनके पारिवारिक और सामाजिक जीवन पर भी सकारात्मक प्रभाव डालता है।

पारस्परिक तबादले की प्रक्रिया का विस्तार

शिक्षा विभाग ने 26 जून को एक आदेश जारी कर शिक्षकों को पारस्परिक तबादले का विकल्प उपलब्ध कराया। इसके तहत शिक्षक एक-दूसरे से आपसी सहमति के आधार पर स्थानांतरण के लिए आवेदन कर सकते हैं। इसके लिए 'ई-शिक्षा कोष' नामक डिजिटल पोर्टल की मदद ली गई, जिससे पूरी प्रक्रिया पारदर्शी और सरल बनी।

अब तक तीन चरणों में कुल 23,578 शिक्षकों का तबादला पारस्परिक आधार पर किया जा चुका है। पहले दो चरणों में 28 जुलाई तक 17,242 शिक्षकों का स्थानांतरण हुआ, और अगले 14 दिनों में 6,336 और शिक्षकों को इसका लाभ मिला। यह आंकड़ा इस बात का प्रमाण है कि यह योजना शिक्षकों के बीच कितनी लोकप्रिय और प्रभावशाली साबित हो रही है।

तबादले में किन शिक्षकों को मिला लाभ?

पारस्परिक स्थानांतरण की यह सुविधा सभी स्तरों—प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक—के शिक्षकों के लिए लागू की गई है। एक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि तबादले केवल 'समान कोटि' के शिक्षकों के बीच ही किए गए हैं, जिससे शैक्षणिक संतुलन बना रहे।

ई-शिक्षा कोष पोर्टल की भूमिका

इस पूरी प्रक्रिया में 'ई-शिक्षा कोष' पोर्टल की अहम भूमिका रही है। शिक्षकों ने यहीं से आवेदन किया, और तबादला स्वीकृत होने के बाद उनकी नई नियुक्ति की जानकारी भी पोर्टल पर सार्वजनिक रूप से उपलब्ध करा दी गई। यह पारदर्शिता न केवल प्रशासन की विश्वसनीयता बढ़ाती है, बल्कि किसी भी तरह की गड़बड़ी की गुंजाइश भी कम करती है।

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