8वें वेतन आयोग: 'केंद्रीय कर्मचारियों' के लिए बड़ी खुशखबरी?

नई दिल्ली। केंद्र सरकार के लाखों कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए एक बड़ी खुशखबरी सामने आ रही है। 8वें वेतन आयोग की तैयारी जोरों पर है और सूत्रों की मानें तो इस बार सिर्फ बेसिक सैलरी ही नहीं, बल्कि कई महत्वपूर्ण भत्तों के नियमों में भी बड़े बदलाव किए जा सकते हैं। मकान किराया भत्ता (HRA), चिकित्सा भत्ता (Medical Allowance), और यात्रा भत्ता (Travel Allowance) को लेकर बड़े फैसले संभावित हैं, जो सीधे तौर पर कर्मचारियों की टेक-होम सैलरी में भारी इजाफा कर सकते हैं।

1. HRA में बदलाव: घटेंगी दरें, बढ़ेगा फायदा!

7वें वेतन आयोग में HRA की दरें शहरों की कैटेगरी के अनुसार तय की गई थीं—X, Y और Z। इनकी दरें थीं: X शहर (मेट्रो): बेसिक का 24%, Y शहर (बड़े शहर): बेसिक का 16%, Z शहर (छोटे शहर/गांव): बेसिक का 8%, महंगाई भत्ता (DA) के 25% और 50% पार करने पर यह दरें बढ़ाकर क्रमश: 27%, 18%, 9% और फिर 30%, 20%, 10% कर दी गई थीं।

8वें वेतन आयोग में HRA दरें भी रीसेट होकर फिर से मूल दरों (24%, 16%, 8%) पर लौट सकती हैं। लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि फायदा कम होगा। असली लाभ बढ़ी हुई बेसिक सैलरी पर मिलेगा। जिससे HRA में बढ़ोत्तरी देखने को मिलेगी।

मेडिकल अलाउंस: पेंशनर्स को राहत की उम्मीद

वर्तमान में, CGHS के बाहर रहने वाले पेंशनर्स को ₹1000 प्रति माह का फिक्स्ड मेडिकल अलाउंस (FMA) दिया जाता है। लेकिन बीते 8 वर्षों में इलाज और दवाइयों के खर्च में जबरदस्त इजाफा हुआ है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, 8वां वेतन आयोग इस राशि को बढ़ाकर ₹2000 से ₹3000 प्रति माह करने की सिफारिश कर सकता है। यह बदलाव उन लाखों पेंशनर्स के लिए बड़ी राहत लेकर आएगा, जो अपने स्वास्थ्य खर्च के लिए इस छोटी राशि पर निर्भर हैं।

यात्रा भत्ता (TA): महंगाई के साथ कदमताल

TA वह भत्ता है जो कर्मचारियों को ऑफिस आने-जाने के लिए मिलता है। यह सीधे तौर पर महंगाई भत्ते (DA) से जुड़ा होता है। जैसे-जैसे DA बढ़ता है, TA भी बढ़ता है। मौजूदा DA जब 60% से ऊपर पहुंच जाएगा और उसे बेसिक सैलरी में मर्ज कर दिया जाएगा, तब TA की गणना का आधार पूरी तरह बदल जाएगा। नई दरों का निर्धारण शहर की श्रेणी, ट्रांसपोर्ट खर्च और ईंधन की कीमतों के आधार पर किया जा सकता है।

क्या कहता है कर्मचारी वर्ग?

कर्मचारियों और पेंशनर्स में इस खबर को लेकर उत्साह है। उनका मानना है कि भत्तों में यह बदलाव ना केवल उनकी मासिक कमाई को मजबूत करेगा, बल्कि महंगाई के असर से भी राहत देगा। हालांकि अभी तक सरकार की ओर से आधिकारिक घोषणा नहीं हुई हैं।

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