तकनीकी सहयोग से खुलेंगे नए रास्ते
ब्लैक राइस आधारित उत्पादों को विकसित करने में अब ग्रामीण महिलाओं को अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (IRRI) का तकनीकी सहयोग प्राप्त होगा। IRRI के दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र और साईं इंस्टीट्यूट ऑफ रूरल डेवलपमेंट के बीच हुए करार के तहत महिलाओं को आधुनिक तकनीकों का प्रशिक्षण, उत्पाद निर्माण की विशेषज्ञता, पैकेजिंग, ब्रांडिंग और डिजिटल मार्केटिंग का भी संपूर्ण ज्ञान दिया जाएगा। इस पहल का उद्देश्य है महिलाओं को स्वास्थ्यवर्धक वैल्यू एडेड फूड प्रोडक्ट्स जैसे न्यूट्री बार, हेल्दी स्नैक्स, कुकीज, इंस्टेंट डाइट मिक्स आदि के निर्माण में सक्षम बनाना।
पोषण और बाजार की मांग - दोनों का संगम
ब्लैक राइस को 'सुपरफूड' का दर्जा हासिल है। इसमें पाए जाने वाले उच्च गुणवत्ता वाले पोषक तत्व जैसे एंटीऑक्सीडेंट, आयरन, फाइबर और विटामिन आधुनिक जीवनशैली की पोषण संबंधी चुनौतियों का समाधान हैं। इसलिए, इनसे बने उत्पादों की मांग तेजी से बढ़ रही है। इस परियोजना के माध्यम से महिलाएं न केवल स्वास्थ्यवर्धक उत्पाद तैयार करेंगी, बल्कि इन्हें बाजार में बेहतर पहचान भी दिला सकेंगी।
प्रशिक्षण से स्वावलंबन तक की यात्रा
साईं संस्थान के निदेशक अजय सिंह के अनुसार, अब तक 3,000 से अधिक ग्रामीण महिलाएं इस संस्थान से प्रशिक्षण लेकर आत्मनिर्भर बन चुकी हैं। ये महिलाएं न केवल कुकिंग से जुड़े उत्पाद, बल्कि इंब्रायडरी, पुराने वस्त्रों से नए उपयोगी उत्पाद और मंदिरों के फूलों से धूप-अगरबत्ती जैसे प्राकृतिक उत्पाद भी बना रही हैं। इन प्रयासों ने महिलाओं को केवल आमदनी नहीं दी, बल्कि आत्मसम्मान और पहचान भी दिलाई है।
स्टार्टअप की दुनिया में कदम
प्रशिक्षण प्राप्त महिलाएं अब अपने खुद के स्टार्टअप भी चला रही हैं। भोजूबीर की सरिता श्रीवास्तव और उनकी टीम ने “दयांत ट्रेनिंग कंपनी” की स्थापना की, जो “काशी धूप स्टिक” और “धूप कप” जैसे उत्पाद बनाकर हर महीने 12-15 हजार रुपये तक का शुद्ध लाभ कमा रही हैं। वहीं, अनुपमा दुबे ने फैशन डिज़ाइन और डिजिटल इंडिया को मिलाकर महिलाओं को डिजिटल प्लेटफॉर्म से जोड़ने का कार्य किया है। उनकी इस उपलब्धि को प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री दोनों ने सराहा है।
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