यूपी में 'शिक्षकों' को लेकर एक बड़ा अपडेट, तुरंत पढ़ें

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा विभाग ने एक बड़े और बहुप्रतीक्षित निर्णय की ओर कदम बढ़ाया है। राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में कार्यरत हजारों शिक्षकों के लिए राहत की खबर है, क्योंकि उन्हें अब शहरी विद्यालयों में समायोजित किया जाएगा। बेसिक शिक्षा निदेशालय ने सभी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों (BSA) को इस संबंध में निर्देश जारी कर दिए हैं, जिसके तहत शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में कार्यरत शिक्षकों की विस्तृत जानकारी जल्द से जल्द उपलब्ध करानी होगी।

इस निर्णय के बाद प्रदेश में वर्षों से शहरी क्षेत्र में समायोजन की प्रतीक्षा कर रहे लगभग 60 से 70 हजार शिक्षकों की उम्मीदें एक बार फिर जाग उठी हैं। गौरतलब है कि इससे पहले 13 अप्रैल 2011 को अंतिम बार समायोजन की प्रक्रिया की गई थी, जब लगभग 17 हजार शिक्षकों को शहरी क्षेत्रों में स्थानांतरित किया गया था।

आपको बता दें की बेसिक शिक्षा निदेशक प्रताप सिंह बघेल के नेतृत्व में यह प्रक्रिया दो अलग-अलग प्रारूपों में की जाएगी। पहले प्रारूप में शहरी क्षेत्रों के विद्यालयों का पूरा विवरण मांगा गया है, जिसमें निम्न बिंदुओं की जानकारी शामिल होगी: प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों की संख्या, आठवीं कक्षा तक पढ़ाने वाले शिक्षक, शिक्षामित्र और अनुदेशक की संख्या, प्रधानाध्यापक व सहायक अध्यापक की आवश्यकताएं, उपलब्ध व रिक्त पदों की स्थिति, नगर निकाय क्षेत्रवार विवरण। 

इस पहल का उद्देश्य है कि शहरी विद्यालयों में शिक्षकों की कमी को दूर किया जा सके और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार हो। साथ ही, जिन शिक्षकों की पारिवारिक या सामाजिक परिस्थितियाँ उन्हें शहरी क्षेत्रों में स्थानांतरित होने की जरूरत महसूस कराती हैं, उन्हें उपयुक्त स्थान उपलब्ध कराया जा सकेगा।

ऑनलाइन समायोजन प्रक्रिया जल्द होगी शुरू

इस बार समायोजन की प्रक्रिया को पारदर्शी और तकनीकी रूप से सक्षम बनाने के लिए ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म का सहारा लिया जाएगा। इससे एक ओर जहां शिक्षकों को आवेदन और ट्रैकिंग में सुविधा होगी, वहीं दूसरी ओर प्रशासन को भी डेटा संग्रहण व समायोजन की प्रक्रिया में पारदर्शिता और गति मिलेगी।

शिक्षकों में उत्साह, लेकिन प्रशासनिक स्पष्टता की प्रतीक्षा

इस खबर के बाद प्रदेश भर के शिक्षकों में उत्साह है, लेकिन साथ ही वे यह भी चाह रहे हैं कि प्रक्रिया को जल्द और निष्पक्ष रूप से लागू किया जाए। खासकर वे शिक्षक जो पिछले एक दशक से ज्यादा समय से समायोजन का इंतजार कर रहे हैं, अब उम्मीद कर रहे हैं कि इस बार प्रक्रिया में अनावश्यक विलंब नहीं होगा।

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