बिहार में 'जमीन मालिक' ध्यान दें..... लागू हुई नई व्यवस्था

पटना। बिहार में भूमि विवादों को लेकर सरकार ने एक नई पहल की है, जिससे आम जनता को समय पर न्याय मिल सके और लंबे समय से लंबित मामलों का तेजी से निपटारा किया जा सके। राज्य के राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग द्वारा लागू की गई इस नई व्यवस्था का उद्देश्य सुनवाई प्रक्रिया को अधिक सुगम, नियमित और प्रभावी बनाना है।

क्या है नई व्यवस्था?

अब तक भूमि विवाद से संबंधित सुनवाई प्रत्येक शनिवार को संबंधित थाने में आयोजित होती थी, जिसमें थानाध्यक्ष और अंचलाधिकारी संयुक्त रूप से मौजूद रहते थे। लेकिन व्यावहारिक चुनौतियों के चलते यह व्यवस्था कारगर नहीं हो पा रही थी। कई बार थानाध्यक्ष अन्य आवश्यक कार्यों जैसे कानून-व्यवस्था बनाए रखने या जिला स्तरीय मीटिंग में व्यस्त होते थे। वहीं, अंचलाधिकारी को कई थानों में जाकर बैठक करना कठिन होता था।

इन्हीं समस्याओं को ध्यान में रखते हुए अब यह तय किया गया है कि भूमि विवाद से जुड़ी सभी साप्ताहिक सुनवाई अब थानों के बजाय संबंधित अंचल कार्यालय परिसर में आयोजित की जाएगी। सुनवाई का दिन पूर्ववत शनिवार ही रहेगा, केवल स्थान में परिवर्तन किया गया है।

इससे आम लोगों को क्या फायदा होगा?

1 .स्थिर स्थान पर सुनवाई: अब लोगों को हर बार अलग-अलग थाने जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। तय स्थान (अंचल कार्यालय) पर नियमित रूप से बैठक होने से उन्हें सुविधा होगी।

2 .समय की बचत: लोग बेवजह थानों पर जाकर घंटों इंतजार कर वापस नहीं लौटेंगे। इससे समय और श्रम दोनों की बचत होगी।

3 .प्रशासनिक जवाबदेही बढ़ेगी: स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि थानाध्यक्ष स्वयं बैठक में शामिल हों। यदि वे अनुपस्थित रहें तो अपर थानाध्यक्ष की उपस्थिति अनिवार्य है।

4 .संयुक्त निरीक्षण की सुविधा: विवादित भूमि की स्थिति समझने के लिए आवश्यकता पड़ने पर थाना और अंचल कार्यालय संयुक्त रूप से स्थल भ्रमण कर सकेंगे।

5 .सभी स्तर के अधिकारी शामिल: राजस्व अधिकारी और हलका कर्मचारी की उपस्थिति अनिवार्य की गई है, जिससे सुनवाई और दस्तावेजी प्रक्रिया में पारदर्शिता बनी रहे।

प्रशासन की सोच

राज्य सरकार का स्पष्ट उद्देश्य है कि भूमि विवाद जैसे जटिल मामलों का शीघ्र और न्यायसंगत समाधान हो। विभाग के अपर मुख्य सचिव श्री दीपक कुमार सिंह ने सभी जिलों के समाहर्ताओं को इस नई व्यवस्था को जल्द लागू करने के निर्देश दिए हैं। यह व्यवस्था प्रशासन की जनता के प्रति संवेदनशीलता और प्रशासनिक दक्षता का उदाहरण भी है।

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