केंद्रीय कर्मचारी और राज्य कर्मचारी में क्या है अंतर?

नई दिल्ली। भारत में सरकारी सेवा दो मुख्य प्रकार की होती है—केंद्रीय कर्मचारी और राज्य कर्मचारी। दोनों ही देश के प्रशासनिक तंत्र का अहम हिस्सा होते हैं, लेकिन इनके कर्तव्य, अधिकार और नियोजन में महत्वपूर्ण अंतर होते हैं। आइए, इस विषय को विस्तार से समझते हैं।

1 .नियुक्ति करने वाला प्राधिकारी

केंद्रीय कर्मचारी: इन्हें भारत सरकार (केंद्रीय सरकार) नियुक्त करती है। ये कर्मचारी केंद्रीय मंत्रालयों, विभागों, और अन्य केंद्रीय संस्थानों में कार्यरत होते हैं।

राज्य कर्मचारी: इन्हें संबंधित राज्य सरकार नियुक्त करती है और ये कर्मचारी राज्य के विभागों तथा संस्थानों में कार्य करते हैं।

2 .कार्यक्षेत्र

केंद्रीय कर्मचारी: इनके कार्य पूरे भारत में केंद्र सरकार से संबंधित मामलों में होते हैं, जैसे रेलवे, कस्टम्स, विदेश सेवा आदि।

राज्य कर्मचारी: इनके कार्य क्षेत्र केवल संबंधित राज्य तक सीमित होते हैं, जैसे राज्य पुलिस, राज्य शिक्षा विभाग, राज्य स्वास्थ्य विभाग आदि।

3 .वेतनमान और भत्ते

केंद्रीय कर्मचारी: केंद्रीय वेतन आयोग द्वारा निर्धारित वेतनमान और भत्ते मिलते हैं। आमतौर पर वेतनमान राज्य कर्मचारियों की तुलना में अधिक होता है।

राज्य कर्मचारी: राज्य सरकार के वेतन आयोग के अनुसार वेतन और भत्ते निर्धारित होते हैं, जो राज्यों के आर्थिक स्थिति के अनुसार भिन्न हो सकते हैं।

4 .सेवाएं और पेंशन

केंद्रीय कर्मचारी: केंद्रीय सेवा नियमों के अनुसार पेंशन, ग्रेच्युटी और अन्य सुविधाएं मिलती हैं।

राज्य कर्मचारी: राज्य सेवा नियमों के अनुसार इन्हें पेंशन और अन्य लाभ मिलते हैं, जो राज्य सरकार के अनुसार भिन्न हो सकते हैं।

5 .नियंत्रण और प्रशासनिक अधिकार

केंद्रीय कर्मचारी: इनके ऊपर केंद्र सरकार का नियंत्रण होता है और उन्हें केंद्र सरकार के निर्देशों का पालन करना होता है।

राज्य कर्मचारी: वे राज्य सरकार के अधीन काम करते हैं और राज्य के कानूनों व निर्देशों के अधीन होते हैं। ये राज्य सरकार के आदेश का पालन करते हैं।

6 .न्यायिक नियंत्रण

केंद्रीय कर्मचारी: इनके मामलों की सुनवाई केंद्र की न्यायालयों या उच्च न्यायालयों में होती है।

राज्य कर्मचारी: राज्य के कर्मचारी संबंधित राज्य के उच्च न्यायालय और राज्य प्रशासनिक न्यायालय के अधीन आते हैं।

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