1. रक्सौल-हल्दिया एक्सप्रेस-वे: व्यापार को नई राह
करीब 407 किलोमीटर लंबा यह एक्सप्रेस-वे भारत-नेपाल सीमा पर स्थित रक्सौल से लेकर पश्चिम बंगाल के हल्दिया बंदरगाह तक बनेगा। इस प्रोजेक्ट की लागत 26,704 करोड़ रुपये अनुमानित है। इसका सबसे बड़ा लाभ सीमाई इलाकों को मिलेगा जहाँ व्यापारिक गतिविधियों को बड़ा प्रोत्साहन मिलेगा। साथ ही, नेपाल के साथ व्यापारिक आवाजाही और माल ढुलाई की रफ्तार भी तेज होगी। यात्रा का समय घटकर 10 घंटे से भी कम होने की उम्मीद है।
2. गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेस-वे: सीमांचल की लाइफलाइन
उत्तर प्रदेश से शुरू होकर पश्चिम बंगाल तक जाने वाला यह 417 किलोमीटर लंबा एक्सप्रेस-वे बिहार के 8 जिलों को छूता हुआ निकलेगा, पश्चिमी और पूर्वी चंपारण, शिवहर, सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल, अररिया और किशनगंज। यह मार्ग सीमांचल के लोगों के लिए किसी वरदान से कम नहीं होगा। तेज रफ्तार (120 किमी/घंटा) की अनुमति वाला यह मार्ग यात्रियों और व्यापारियों दोनों के लिए बेहद फायदेमंद रहेगा।
3. पटना-पूर्णिया एक्सप्रेस-वे: उत्तर-पूर्व बिहार की नई रीढ़
करीब 245 किलोमीटर लंबे इस एक्सप्रेस-वे के निर्माण पर 28,415 करोड़ रुपये खर्च होंगे। वैशाली, समस्तीपुर, दरभंगा, सहरसा, मधेपुरा और पूर्णिया जैसे जिलों से गुजरने वाला यह मार्ग राजधानी पटना से उत्तर-पूर्वी बिहार को सीधे और तेज़ कनेक्शन देगा। अब 7-8 घंटे की दूरी महज 3 घंटे में तय की जा सकेगी। यह एक्सप्रेसवे स्थानीय उद्योगों, कृषि और शिक्षा संस्थानों के लिए भी फायदेमंद होगा।
4. वाराणसी-कोलकाता एक्सप्रेस-वे: पूर्वी भारत का नया कॉरिडोर
वाराणसी से कोलकाता तक जाने वाला यह 610 किलोमीटर लंबा एक्सप्रेस-वे लगभग 160 किलोमीटर बिहार से होकर गुजरेगा। इस परियोजना की कुल लागत लगभग 11,206 करोड़ रुपये है। वर्तमान में इस मार्ग पर सफर करने में 15 घंटे लगते हैं, लेकिन एक्सप्रेस-वे के पूरा होते ही यह समय घटकर 9 घंटे रह जाएगा। इसके साथ-साथ यह मार्ग पटना-गया-डोभी और पटना-आरा-सासाराम जैसे प्रमुख मार्गों से भी जुड़ेगा, जिससे ट्रैफिक लोड कम होगा।
5. बक्सर-भागलपुर एक्सप्रेस-वे: पश्चिम से पूर्व का सीधा संबंध
बक्सर से भागलपुर तक फैला यह 380 किलोमीटर लंबा हाई-स्पीड कॉरिडोर 22,800 करोड़ रुपये की लागत से बनेगा। यह मार्ग न सिर्फ औद्योगिक और कृषि क्षेत्रों को जोड़ेगा बल्कि धार्मिक और पर्यटन स्थलों को भी एक नया जीवन देगा। बक्सर और भागलपुर के बीच यात्रा समय घटकर 2-3 घंटे रह जाएगा, जो फिलहाल 6-8 घंटे है। इससे क्षेत्रीय व्यापार, पर्यटन और शहरी विकास को बल मिलेगा।
2027-28 तक पूरी होगी सभी परियोजनाएं
राज्य सरकार और केंद्र सरकार की संयुक्त पहल से इन पांचों एक्सप्रेस-वे परियोजनाओं पर तेज़ी से काम चल रहा है। भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया प्रारंभ हो चुकी है और तकनीकी मंजूरी भी मिल चुकी है। सरकार का लक्ष्य है कि 2027-28 तक ये सभी एक्सप्रेस-वे तैयार हो जाएं।
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