क्या है ईंधन अधिभार और कैसे असर डालता है बिल पर?
बिजली उत्पादन में इस्तेमाल होने वाले ईंधन (जैसे कोयला, गैस आदि) की कीमतों में उतार-चढ़ाव होता रहता है। इस बदलाव को उपभोक्ता के बिजली बिल में “ईंधन अधिभार” के रूप में जोड़ा या घटाया जाता है। यूपी में यह अधिभार हर महीने के हिसाब से तय होता है और आम तौर पर दो महीने बाद वसूला जाता है।
अक्तूबर में लगेगा जुलाई का ईंधन अधिभार, 1.63% की कटौती
अक्तूबर 2025 में, उपभोक्ताओं से जुलाई 2025 के ईंधन अधिभार शुल्क की वसूली की जाएगी। अच्छी खबर यह है कि जुलाई के मुकाबले इसमें 1.63 प्रतिशत की कमी की गई है। इस फैसले से राज्य के बिजली उपभोक्ताओं पर कुल मिलाकर करीब 113.54 करोड़ रुपये का आर्थिक बोझ कम होगा। यह छूट घरेलू और वाणिज्यिक दोनों उपभोक्ताओं के लिए राहतभरी साबित होगी।
सितंबर में जून का अधिभार, 2.34% की दर से
वहीं, सितंबर माह में जून 2025 के ईंधन अधिभार शुल्क को लागू किया गया है, जिसकी दर 2.34 प्रतिशत रखी गई है। उपभोक्ताओं को इसे 30 सितंबर तक जमा करना होगा।
उपभोक्ताओं को क्या फायदा होगा?
इस बदलाव से खासकर वे परिवार लाभान्वित होंगे जो सीमित बजट में जीवन यापन कर रहे हैं। त्योहारी सीज़न की शुरुआत से पहले बिजली बिल में थोड़ी राहत मिलना घर के खर्च को संतुलित करने में मददगार साबित हो सकता है।
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