बदायूं। उत्तर प्रदेश सरकार ने नागरिकों को बड़ी राहत देते हुए पैतृक संपत्ति के बंटवारे की प्रक्रिया को बेहद सरल और किफायती बना दिया है। अब लोगों को अपने पूर्वजों की संपत्ति को कानूनी रूप से बांटने के लिए भारी-भरकम शुल्क या जटिल प्रक्रिया से नहीं गुजरना पड़ेगा।
क्या है नई व्यवस्था?
नई नीति के तहत, कोई भी व्यक्ति केवल ₹5,000 शुल्क और ₹5,000 की स्टांप फीस के साथ अपनी पैतृक संपत्ति का कानूनी रूप से बंटवारा कर सकता है। यह व्यवस्था विशेष रूप से तीन पीढ़ियों तक की संपत्ति के लिए लागू है। पहले यह प्रक्रिया काफी महंगी थी, क्योंकि कुल संपत्ति मूल्य का चार प्रतिशत शुल्क और अलग-अलग स्टांप शुल्क देना पड़ता था, जिससे आम नागरिक बंटवारे की प्रक्रिया से पीछे हट जाते थे।
क्यों है यह बदलाव अहम?
पहले के नियमों के तहत लोगों को अपनी संपत्ति का बंटवारा कराने में कई अड़चनें आती थीं, खर्चा ज्यादा होता था, दस्तावेजी प्रक्रिया जटिल थी और कई बार विवाद की नौबत आ जाती थी। यही कारण था कि परिवारों में कानूनी लड़ाइयों की संख्या बढ़ती जा रही थी। नई व्यवस्था से इन विवादों की संभावना कम होगी और कोर्ट-कचहरी के चक्कर भी घटेंगे।
क्या-क्या दस्तावेज देने होंगे?
नई प्रक्रिया को पूरा करने के लिए नागरिकों को कुछ जरूरी दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे, जैसे: उत्तराधिकार प्रमाण पत्र, खतौनी, पारिवारिक सदस्यता प्रमाण पत्र या फैमिली आईडी, नामांतरण से संबंधित अभिलेख, परिवार रजिस्टर की प्रति या अन्य पहचान पत्र। इन दस्तावेजों के आधार पर रजिस्ट्री कार्यालय में संपत्ति का बंटवारा किया जाएगा।
कहां हुआ पहला बंटवारा?
इस नई व्यवस्था के तहत पहला सफल बंटवारा बदायूं जिले के बिसौली रजिस्ट्री कार्यालय में किया गया है। यहां अब तक दो संपत्ति बंटवारे हो चुके हैं। इससे संकेत मिलता है कि यह योजना धीरे-धीरे जमीन पर उतरने लगी है।
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