सरकार की सख्ती, आरक्षण पर निगरानी बढ़ी
शिक्षा विभाग की इस पहल को सामाजिक न्याय की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है। विभाग ने स्पष्ट किया है कि सभी निजी विश्वविद्यालयों को यह बताना होगा कि नामांकन प्रक्रिया में आरक्षण के प्रावधानों को किस हद तक लागू किया गया है। इसके अतिरिक्त फीस संरचना, शुल्क में छूट, फीस निर्धारण समिति की स्थापना और फीस से संबंधित जानकारी राज्य सरकार को साझा करने जैसे बिंदुओं पर भी विवरण देना होगा।
इन विश्वविद्यालयों को भेजे गए पत्र
शिक्षा विभाग ने जिन प्रमुख निजी विश्वविद्यालयों को पत्र भेजकर जवाब तलब किया है, उनमें शामिल हैं: सामाजिक कल्याण संस्था, संदीप फाउंडेशन, दवे मंगल मेमोरियल ट्रस्ट, अल-करीम एजुकेशनल ट्रस्ट, माता गुजरी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज एवं लायंस सेवा केंद्र हास्पिटल, ऑल इंडिया सोसाइटी फॉर इलेक्ट्रॉनिक्स एवं कंप्यूटर टेक्नोलॉजी, रितनंद बेल्व्ड एजुकेशन फाउंडेशन। इन सभी संस्थानों को विभाग द्वारा जारी निर्देशों के आलोक में विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर निर्धारित समय सीमा के भीतर प्रस्तुत करनी होगी।
शिक्षा विभाग की मंशा साफ
शिक्षा विभाग का कहना है कि यह कार्रवाई किसी विशेष संस्था को लक्षित नहीं करती, बल्कि यह सुनिश्चित करने का एक व्यापक प्रयास है कि आरक्षण नीति, जो सामाजिक समरसता और वंचित वर्गों को मुख्यधारा में लाने का आधार है, उसे निजी शैक्षणिक संस्थान गंभीरता से अपनाएं।
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