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घर बैठे 10 मिनट में बनाएं PAN कार्ड, यहां देखें पूरा प्रोसेस

नई दिल्ली। अगर आप अभी तक पैन कार्ड नहीं बनवा पाए हैं तो अब चिंता की कोई बात नहीं। आयकर विभाग ने ई-पैन (e-PAN) सेवा की प्रक्रिया को और भी सरल और तेज बना दिया है। अब आप महज 10 मिनट में घर बैठे अपना पैन कार्ड बनवा सकते हैं — वो भी बिल्कुल मुफ्त में (ई-पैन के लिए)। हालांकि, अगर आप फिजिकल कार्ड मंगवाना चाहते हैं तो 107 रुपये शुल्क देना होगा और कार्ड डाक से 15 से 30 दिन में आपके पते पर पहुंच जाएगा।

1 जुलाई 2025 से आधार अनिवार्य

सरकार ने पैन कार्ड के नियमों में बड़ा बदलाव किया है। नए नियमों के मुताबिक, 1 जुलाई 2025 से पैन कार्ड के लिए आवेदन करने पर आधार कार्ड अनिवार्य होगा। यानी यदि आपके पास आधार नहीं है, तो आप नया पैन कार्ड नहीं बनवा सकेंगे। सरकार का मानना है कि यह कदम टैक्स चोरी रोकने में अहम भूमिका निभाएगा।

पुराने पैन कार्ड धारकों के लिए अलर्ट

जिनके पास पहले से पैन कार्ड है, उन्हें भी जरूरी काम करना होगा। सरकार ने स्पष्ट किया है कि 31 दिसंबर 2025 तक सभी पैन कार्ड को आधार से लिंक कराना अनिवार्य है। अगर ऐसा नहीं किया गया तो 1 जनवरी 2026 से पैन कार्ड इनएक्टिव हो जाएगा। इसका मतलब आप टैक्स रिटर्न दाखिल नहीं कर पाएंगे और वित्तीय गतिविधियों में भी रुकावट आ सकती है।

पैन कार्ड क्यों जरूरी है?

पैन कार्ड एक 10 अंकों की अल्फान्यूमेरिक पहचान संख्या होती है जिसे आयकर विभाग जारी करता है। यह कई जरूरी कामों के लिए अनिवार्य होता है जैसे: आयकर रिटर्न दाखिल करना, बैंक खाता खोलना, 2 लाख रुपये से अधिक के कैश लेन-देन, शेयर बाजार में निवेश, प्रॉपर्टी खरीद-फरोख्त आदि।

10 मिनट में कैसे बनवाएं ई-पैन?

स्टेप-बाय-स्टेप गाइड:

1 .इनकम टैक्स की आधिकारिक वेबसाइट https://www.incometax.gov.in पर जाएं।

2 .‘Instant E-PAN’ सेवा पर क्लिक करें और ‘Get New e-PAN’ विकल्प चुनें।

3 .अपना आधार नंबर दर्ज करें (सुनिश्चित करें कि मोबाइल नंबर आधार से लिंक हो)।

4 .रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर भेजा गया OTP दर्ज करें और वेरिफाई करें।

5 .आधार से जुड़ी जानकारी (नाम, जन्मतिथि आदि) अपने आप भर जाएगी।

6 .विवरण सत्यापित करें और ‘Submit’ बटन पर क्लिक करें।

7 .कुछ ही मिनटों में आपका ई-पैन जनरेट हो जाएगा।

8 .पैन नंबर और अन्य जानकारी आपको SMS और ईमेल के माध्यम से प्राप्त हो जाएगी।

9 .वेबसाइट पर उपलब्ध लिंक से ई-पैन कार्ड PDF फॉर्मेट में डाउनलोड किया जा सकता है।

पुरुषों के लिए रात का टॉनिक: दूध में मिलाएं ये 3 चीजें

हेल्थ डेस्क। आधुनिक जीवनशैली, तनाव और असंतुलित खानपान का असर पुरुषों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर तेजी से पड़ रहा है। ऐसे में आयुर्वेद और परंपरागत घरेलू उपाय एक बार फिर चर्चा में हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि रात को सोने से पहले दूध में कुछ खास चीजें मिलाकर पी जाएं, तो इससे पुरुषों को कई फायदे मिल सकते हैं – खासकर ताकत, ऊर्जा और नींद के क्षेत्र में।

1. इलायची (Cardamom): पाचन से लेकर हार्मोन संतुलन तक

इलायची सिर्फ स्वाद ही नहीं बढ़ाती, बल्कि इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पुरुषों के हार्मोन संतुलन को सुधारने में सहायक होते हैं। यह पाचन तंत्र को मजबूत करती है और रक्त संचार को बेहतर बनाती है, जिससे संपूर्ण ऊर्जा स्तर में सुधार आता है।

2. केसर (Saffron): तनाव कम करे, मूड बेहतर बनाए

केसर को आयुर्वेद में "रसायन" माना गया है, जो शरीर और मन दोनों को ऊर्जा देता है। यह नींद में सुधार करता है, तनाव और चिंता को कम करता है, साथ ही कामेच्छा (libido) को भी बढ़ाता है। रोजाना रात में एक चुटकी केसर गर्म दूध में मिलाकर पीना पुरुषों के संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए लाभकारी माना गया है।

3. अश्वगंधा (Ashwagandha): पुरुष शक्ति का प्राकृतिक स्रोत

अश्वगंधा को भारतीय जिनसेंग भी कहा जाता है। यह टेस्टोस्टेरोन लेवल को बढ़ाने, थकान को दूर करने और शारीरिक व मानसिक स्टैमिना में सुधार करने के लिए जाना जाता है। आयुर्वेदिक डॉक्टरों के अनुसार, अश्वगंधा पुरुष प्रजनन क्षमता में भी वृद्धि करता है।

मानव शुक्राणु में 7500 विभिन्न प्रकार के प्रोटीन पाए जाते हैं?

साइंस डेस्क। मानव शुक्राणु (spermatozoa) केवल आनुवंशिक सामग्री के वाहक नहीं होते, बल्कि ये अत्यंत जटिल और विशिष्ट संरचना वाले कोशिकीय घटक होते हैं, जिनमें हजारों प्रकार के प्रोटीन शामिल होते हैं। हाल के अनुसंधानों के अनुसार, मानव शुक्राणु में लगभग 7500 विभिन्न प्रकार के प्रोटीन पाए गए हैं। यह जैविक विविधता न केवल शुक्राणु की संरचना को बनाए रखने में सहायक है, बल्कि निषेचन (fertilization) की प्रक्रिया और प्रारंभिक भ्रूण विकास में भी इसकी निर्णायक भूमिका होती है।

शुक्राणु में प्रमुख प्रोटीन और उनके कार्य

1 .प्रोटामाइन (Protamine): शुक्राणु के डीएनए को अत्यधिक घनी और सघन संरचना में पैक करने के लिए प्रोटामाइन की आवश्यकता होती है। यह DNA को संकुचित कर उसे स्थिरता प्रदान करता है, जिससे यह अंडाणु तक सुरक्षित पहुँच सके।

2 .एक्रोसिन (Acrosin): यह एक एंजाइम है जो एक्रोसोम नामक संरचना में उपस्थित होता है। निषेचन के दौरान यह एंजाइम अंडाणु के चारों ओर की ज़ोना पेलुसिडा (zona pellucida) नामक झिल्ली को पिघलाकर शुक्राणु को अंडाणु में प्रवेश करने में मदद करता है।

3 .प्रमुख शुक्राणु प्रोटीन (MSP - Major Sperm Protein): यद्यपि यह विशेष रूप से नेमाटोड (जैसे C. elegans) में पाया जाता है, यह प्रोटीन शुक्राणु की गतिशीलता को नियंत्रित करता है। मानव शुक्राणु में समान कार्य करने वाले प्रोटीन भी होते हैं, जैसे डाइनीन और एक्टिन।

4 .शुक्राणु झिल्ली प्रोटीन: यह प्रोटीन अंडाणु के संपर्क की पहचान करने और उस से जुड़ने की प्रक्रिया में शामिल होते हैं। उदाहरण के लिए, IZUMO1 और CD9 जैसे प्रोटीन शुक्राणु और अंडाणु की झिल्लियों के संलयन में आवश्यक होते हैं।

5 .एंटीजनिक प्रोटीन: शुक्राणु में कुछ प्रोटीन ऐसे भी होते हैं जो प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को उत्तेजित कर सकते हैं। ये प्रोटीन कभी-कभी पुरुष बांझपन से जुड़े ऑटोइम्यून विकारों में भूमिका निभाते हैं।

शुक्राणु प्रोटियोमिक्स का महत्व

शुक्राणु प्रोटीन की इस विविधता का अध्ययन प्रोटियोमिक्स नामक शाखा के अंतर्गत किया जाता है। यह अध्ययन प्रजनन चिकित्सा, पुरुष बांझपन के निदान और उपचार, तथा सहायक प्रजनन तकनीकों (ART) के सुधार में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

इन प्रोटीनों के कार्य को समझना यह स्पष्ट करता है कि निषेचन केवल शुक्राणु के अंडाणु से मिलने की प्रक्रिया नहीं है, बल्कि एक अत्यधिक समन्वित जैव-रासायनिक घटनाओं की शृंखला है, जिसमें प्रोटीन एक केंद्रीय भूमिका निभाते हैं।

मिसाइल बनाने में ये 4 देश सबसे आगे, जानकर चौंक जाएंगे!

नई दिल्ली। दुनिया आज भी शक्ति के संतुलन पर चल रही है, और इस संतुलन में मिसाइल टेक्नोलॉजी सबसे अहम भूमिका निभा रही है। सैन्य शक्ति का प्रतीक बन चुकी मिसाइलें किसी भी देश की रणनीतिक स्थिति को मजबूत करती हैं। आधुनिक युग में कुछ देश ऐसे हैं जिन्होंने मिसाइल निर्माण के क्षेत्र में चौंकाने वाली प्रगति की है। आइए जानते हैं वे चार देश जो इस क्षेत्र में सबसे आगे हैं:

1. अमेरिका (United States) – तकनीकी महारथ का बादशाह

अमेरिका दुनिया का सबसे आधुनिक और उन्नत मिसाइल प्रणाली वाला देश है। उसकी "Patriot", "Tomahawk", "Minuteman III", और हालिया "Hypersonic" मिसाइलें किसी भी लक्ष्य को सटीकता से भेदने की क्षमता रखती हैं। अमेरिका की मिसाइलें केवल शक्ति प्रदर्शन तक सीमित नहीं हैं, बल्कि यह टेक्नोलॉजी, निगरानी और रक्षात्मक सुरक्षा का अनोखा मेल भी प्रस्तुत करती हैं।

2. रूस (Russia) – अचूकता और विविधता में अग्रणी

रूस ने शीत युद्ध के दौर से ही मिसाइल तकनीक में जबरदस्त निवेश किया है। उसकी "S-400" और "S-500" एयर डिफेंस सिस्टम, साथ ही "Iskander", "Kalibr", और "Avangard" हाइपरसोनिक मिसाइलें विश्व में सबसे खतरनाक और उन्नत मानी जाती हैं। रूस की खासियत यह है कि वह आक्रामक और रक्षात्मक दोनों स्तरों पर संतुलित मिसाइल तंत्र रखता है।

3. चीन (China) – तेजी से उभरती महाशक्ति

चीन ने बीते कुछ दशकों में मिसाइल निर्माण में चौंकाने वाली प्रगति की है। उसकी "DF-21D", "DF-41" और "YJ-21" मिसाइलें अमेरिका और रूस को टक्कर देती हैं। चीन का मुख्य फोकस एंटी-शिप बैलिस्टिक मिसाइलें और हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी पर है, जिससे वह इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में रणनीतिक बढ़त बनाना चाहता है।

4. भारत (India) – स्वदेशी तकनीक की मिसाल

भारत ने DRDO के नेतृत्व में स्वदेशी मिसाइल प्रणाली विकसित की है, जिनमें "अग्नि", "पृथ्वी", "नाग", "आकाश", और "ब्रह्मोस" जैसी मिसाइलें शामिल हैं। खासतौर पर ब्रह्मोस, जो रूस के सहयोग से बनी है, दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों में से एक है। भारत अब हाइपरसोनिक और इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइलों (ICBM) की दिशा में भी तेज़ी से आगे बढ़ रहा है।

दुनिया के 10 सबसे खतरनाक ड्रोन: घुसकर मचाती है तबाही

न्यूज डेस्क। ड्रोन तकनीक आज की सबसे घातक और क्रांतिकारी सैन्य तकनीकों में से एक बन चुकी है। जहां पहले इन्हें सिर्फ निगरानी के लिए इस्तेमाल किया जाता था, वहीं अब ये ड्रोन दुश्मन के क्षेत्र में घुसकर हमला करने, खुफिया जानकारी जुटाने और लगातार गश्त करने में सक्षम हो चुके हैं। आइए जानते हैं दुनिया के 10 सबसे खतरनाक और अत्याधुनिक ड्रोन के बारे में:

1. MQ-9 Reaper (अमेरिका)

निर्माता: General Atomics Aeronautical Systems

MQ-9 Reaper एक बहुउद्देशीय UCAV है जिसे पहले निगरानी के लिए डिजाइन किया गया था, लेकिन अब यह खतरनाक हमले भी कर सकता है। यह लेजर-गाइडेड मिसाइल और बम से लैस होता है और लंबे समय तक उड़ान भर सकता है। इसका इस्तेमाल अमेरिका ने कई आतंकवाद विरोधी अभियानों में सफलता से किया है।

2. RQ-4 Global Hawk (अमेरिका)

निर्माता: Northrop Grumman

यह हाई-एल्टीट्यूड, लॉन्ग-एंड्योरेंस (HALE) ड्रोन है जो 60,000 फीट की ऊंचाई तक उड़ सकता है। इसकी खासियत इसकी अद्वितीय टोही और निगरानी क्षमता है। यह ड्रोन अमेरिका और NATO देशों की ISR रणनीतियों की रीढ़ है।

3. Bayraktar TB2 (तुर्की)

निर्माता: Baykar Makina

यह ड्रोन हाल के वर्षों में अपनी कीमत, क्षमता और युद्धक्षमता के कारण चर्चा में रहा है। TB2 ने लीबिया, सीरिया और नागोर्नो-कराबाख संघर्षों में शानदार प्रदर्शन किया। इसकी वजह से ड्रोन तकनीक छोटे देशों के लिए भी सुलभ हुई है।

4. CH-5 Rainbow (चीन)

निर्माता: China Aerospace Science and Technology Corporation (CASC)

CH-5 चीन की तेजी से बढ़ती UAV शक्ति का प्रतीक है। यह ड्रोन हथियार ले जाने, लंबी दूरी तक उड़ान भरने और मिशन को अंजाम देने में सक्षम है। इसे चीन का जवाब माना जाता है अमेरिकी MQ-9 Reaper के लिए।

5. Hermes 900 (इजरायल)

निर्माता: Elbit Systems

इजरायल का यह ड्रोन अपनी बहुउद्देशीय क्षमताओं और एडवांस ISR सिस्टम के लिए जाना जाता है। Hermes 900 को कई देशों ने अपनाया है और यह प्राकृतिक आपदा में राहत कार्य से लेकर सैन्य अभियानों तक में इस्तेमाल होता है।

6. S-70 Okhotnik ("Hunter") (रूस)

निर्माता: Sukhoi

यह एक स्टील्थ UCAV है जिसे रडार से बचने की क्षमता के साथ डिजाइन किया गया है। इसका मुख्य उद्देश्य डीप-स्ट्राइक मिशन और टोही है। यह रूस की अगली पीढ़ी की एरियल वारफेयर रणनीति का अहम हिस्सा है और इसका विकास Su-57 फाइटर जेट्स के साथ टीम में काम करने के लिए किया गया है।

7. TAI Aksungur (तुर्की)

निर्माता: Turkish Aerospace Industries (TAI)

Aksungur एक ट्विन-इंजन MALE UAV है, जो निगरानी, समुद्री गश्त और युद्ध अभियानों में दक्ष है। इसकी लंबी उड़ान क्षमता और मल्टी-रोल कॉन्फ़िगरेशन इसे बेहद प्रभावशाली बनाते हैं।

8. Wing Loong II (चीन)

निर्माता: Chengdu Aircraft Industry Group

यह ड्रोन कई देशों को निर्यात किया जा चुका है और यह चीन की ड्रोन तकनीक के वैश्विक विस्तार का प्रमाण है। इसका डिजाइन और कार्यप्रणाली काफी हद तक MQ-9 Reaper जैसी है, लेकिन इसे सस्ता और आसानी से उपयोग योग्य बनाया गया है।

9. EADS Barracuda (जर्मनी और स्पेन)

निर्माता: Airbus Defence and Space

Barracuda एक यूरोपीय स्टील्थ UCAV है, जिसे विशेष रूप से इलेक्ट्रॉनिक युद्ध, टोही और सीमित हमलों के लिए डिजाइन किया गया है। इसका उद्देश्य अमेरिकी और रूसी स्टील्थ ड्रोन के साथ प्रतिस्पर्धा करना है।

10. Kratos XQ-58A Valkyrie (अमेरिका)

निर्माता: Kratos Defense & Security Solutions

यह एक लो-कॉस्ट, स्टील्थ UCAV है जिसे "Loyal Wingman" के रूप में डिजाइन किया गया है। यह मानवयुक्त फाइटर जेट्स के साथ उड़ सकता है और खतरनाक मिशनों में उन्हें सपोर्ट करता है। इसका उद्देश्य युद्ध के मैदान में लागत प्रभावी और आत्मघाती ड्रोन तैयार करना है।

SSC भर्ती 2025: जूनियर इंजीनियर के लिए आवेदन शुरू

नई दिल्ली। कर्मचारी चयन आयोग (SSC) ने वर्ष 2025 के लिए जूनियर इंजीनियर (JE) भर्ती की अधिसूचना जारी कर दी है। यह भर्ती सिविल, मैकेनिकल और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग स्ट्रीम से संबंधित अभ्यर्थियों के लिए सुनहरा अवसर है। आवेदन प्रक्रिया 30 जून 2025 से शुरू हो चुकी है और इच्छुक उम्मीदवार 21 जुलाई 2025 तक ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।

भर्ती से संबंधित प्रमुख विवरण:

पद का नाम: SSC जूनियर इंजीनियर (सिविल, मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल)

भर्ती प्रक्रिया: यह भर्ती SSC द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित की जाएगी, जिसमें चयन कंप्यूटर आधारित परीक्षा के माध्यम से होगा।

महत्वपूर्ण तिथियाँ:

ऑनलाइन आवेदन प्रारंभ: 30 जून 2025

आवेदन की अंतिम तिथि: 21 जुलाई 2025

शुल्क भुगतान की अंतिम तिथि: 22 जुलाई 2025

सुधार तिथि: 26 जुलाई से 28 जुलाई 2025

परीक्षा तिथि: 27 अक्टूबर से 31 अक्टूबर 2025

प्रवेश पत्र: परीक्षा से कुछ दिन पूर्व जारी होगा

आवेदन शुल्क:

सामान्य / ओबीसी / ईडब्ल्यूएस के लिए आवेदन शुल्क ₹100/-, जबकि एससी / एसटी / महिलाएं के लिए ₹0/-  पीएच उम्मीदवार के लिए ₹0/-

योग्यता व आयु सीमा:

न्यूनतम आयु: कोई न्यूनतम सीमा नहीं, अधिकतम आयु: 01 अगस्त 2025 को 30 से 32 वर्ष (पद के अनुसार), आरक्षित वर्गों को सरकारी नियमों के अनुसार आयु में छूट प्रदान की जाएगी।

शैक्षणिक योग्यता:

उम्मीदवार के पास संबंधित शाखा (सिविल, मैकेनिकल या इलेक्ट्रिकल) में डिप्लोमा या डिग्री होनी चाहिए। विस्तृत योग्यता की पुष्टि SSC की आधिकारिक वेबसाइट से करें।

आधिकारिक वेबसाइट: https://ssc.gov.in/candidate-portal/one-time-registration/home-page

ये 3 पत्ते करेंगे पेट की सफाई, रोगों को जड़ से करेंगे खत्म!

हेल्थ डेस्क। आज के समय में भागदौड़ भरी जिंदगी, अनियमित खानपान और तनावपूर्ण दिनचर्या के कारण पेट से जुड़ी समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं। कब्ज, गैस, एसिडिटी, अपच जैसी दिक्कतें आम हो गई हैं, जो धीरे-धीरे कई गंभीर बीमारियों का कारण बनती हैं। आयुर्वेद के अनुसार, शरीर की अधिकतर बीमारियों की जड़ पेट की गंदगी और पाचन तंत्र की कमजोरी में छुपी होती है। ऐसे में यदि पेट की सही तरह से सफाई हो जाए, तो शरीर खुद-ब-खुद स्वस्थ हो सकता है।

आश्चर्यजनक रूप से, पेट की सफाई और संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए हमारे आसपास मौजूद कुछ साधारण पत्तों का सेवन बेहद फायदेमंद हो सकता है। खास तौर पर तुलसी, पान के पत्ते और अंबाड़ी (गोंगुरा) के पत्तों का नियमित सेवन शरीर को अंदर से साफ कर अनेक बीमारियों से बचा सकता है। आइए जानते हैं इन तीन चमत्कारी पत्तों के बारे में।

1. तुलसी के पत्ते – रोग प्रतिरोधक और पाचन के रक्षक

तुलसी को आयुर्वेद में "जड़ी-बूटियों की रानी" कहा गया है। इसके पत्तों में एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-वायरल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं। रोज सुबह खाली पेट तुलसी की 4–5 ताजी पत्तियों का सेवन करने से पेट की सफाई होती है और पाचन क्रिया मजबूत होती है।

फायदे: कब्ज और गैस की समस्या में राहत, पेट में बैक्टीरिया का संतुलन बनाए रखता है, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। 

2. पान के पत्ते – पाचन शक्ति का प्राचीन राज

पान का पत्ता सिर्फ परंपरा का हिस्सा नहीं, बल्कि एक औषधीय खजाना है। इसमें मौजूद यूजेनॉल और अन्य प्राकृतिक तत्व पेट को साफ करने और पाचन क्रिया को दुरुस्त करने में मदद करते हैं। भोजन के बाद एक पान का पत्ता चबाने से अपच, गैस और एसिडिटी की समस्या नहीं होती।

फायदे: पाचन में सुधार, पेट फूलना और एसिडिटी में राहत, शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालने में सहायक

3. अंबाड़ी के पत्ते (गोंगुरा) – फाइबर से भरपूर प्राकृतिक डिटॉक्स

अंबाड़ी जिसे कुछ क्षेत्रों में गोंगुरा कहा जाता है, फाइबर और विटामिन्स से भरपूर होता है। इसके पत्तों का सेवन पेट को साफ करने और शरीर को डिटॉक्स करने में बेहद प्रभावी है। अंबाड़ी की सब्जी या चटनी के रूप में इसका उपयोग आम है।

फायदे: आंतों की सफाई, कब्ज में राहत, शरीर में आयरन और अन्य पोषक तत्वों की पूर्ति। 

बिहार में सरकारी शिक्षकों को लेकर बड़ा अपडेट

पटना। बिहार की शिक्षा व्यवस्था को मजबूत और सुव्यवस्थित बनाने की दिशा में राज्य सरकार ने एक बड़ा और साहसिक कदम उठाया है। शिक्षा विभाग ने राज्यभर में शिक्षकों की भारी कमी को दूर करने और स्कूलों में गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से बड़े पैमाने पर शिक्षकों के तबादले की प्रक्रिया शुरू की है। अब तक इस प्रक्रिया के तहत 65,277 शिक्षकों का तबादला किया जा चुका है, जो राज्य के इतिहास में एक बड़ी प्रशासनिक पहल मानी जा रही है।

पारदर्शिता और तकनीकी प्रक्रिया की मिसाल

शिक्षा विभाग ने स्पष्ट किया है कि यह तबादला प्रक्रिया पूरी तरह से तकनीकी और पारदर्शी ढंग से संचालित की गई है। डिजिटल माध्यम से तबादलों की सूची तैयार की गई है, जिसमें जिला, विद्यालय की आवश्यकताओं, शिक्षक की योग्यता और सेवा अवधि जैसे बिंदुओं को ध्यान में रखा गया है। विभाग का कहना है कि इस प्रक्रिया में किसी भी तरह के पक्षपात या अनुचित दबाव की कोई गुंजाइश नहीं रही है।

तबादला न स्वीकारने वाले शिक्षक सवालों के घेरे में

हालांकि, इस प्रक्रिया के दौरान एक चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। जारी आंकड़ों के अनुसार, 4,110 शिक्षकों ने अपने तबादले को स्वीकार नहीं किया है। इनमें से कुछ शिक्षक दूरदराज के इलाकों में नियुक्ति से असहज हैं, जबकि कुछ निजी कारणों से तबादले को टालना चाह रहे हैं।

शिक्षा विभाग का रुख इस मामले में सख्त है। विभाग ने स्पष्ट किया है कि बिना उचित कारण तबादला न मानने वाले शिक्षकों से जवाब-तलब किया जाएगा और सेवा शर्तों के तहत कार्रवाई की जाएगी। यह कदम यह सुनिश्चित करेगा कि शिक्षक अपने कर्तव्यों से विमुख न हों और शिक्षा व्यवस्था प्रभावित न हो।

तबादला प्रक्रिया शिक्षा व्यवस्था में सुधार की पहल

यह तबादला प्रक्रिया केवल एक प्रशासनिक कवायद नहीं, बल्कि बिहार सरकार की उस प्रतिबद्धता का हिस्सा है जिसका लक्ष्य राज्य के हर स्कूल में शिक्षक उपलब्ध कराना है। राज्य के कई सरकारी स्कूल अब भी ऐसे हैं जहाँ शिक्षकों की भारी कमी है, जिससे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होती है। सरकार का उद्देश्य है कि इन तबादलों के माध्यम से इस समस्या को यथाशीघ्र सुलझाया जाए।

बिहार में B.Ed और D.El.Ed पास के लिए बंपर भर्ती

पटना। बिहार में शिक्षण क्षेत्र में नौकरी की तलाश कर रहे युवाओं के लिए एक सुनहरा अवसर सामने आया है। बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) ने राज्य में विशेष शिक्षक (Special Educator) के 7279 पदों पर भर्ती की घोषणा की है। यह भर्ती उन उम्मीदवारों के लिए है, जिन्होंने स्नातक के साथ-साथ B.Ed या D.El.Ed जैसे शिक्षक प्रशिक्षण पाठ्यक्रम पूरे किए हैं।

पदों का वर्गीकरण:

BPSC द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, कुल 7279 पदों में से:

विशेष शिक्षक (कक्षा 1 से 5) के लिए 5534 पद। 

विशेष शिक्षक (कक्षा 6 से 8) के लिए 1745 पद निर्धारित किए गए हैं।

आवेदन प्रक्रिया:

इच्छुक और पात्र उम्मीदवार 2 जुलाई 2025 से BPSC की आधिकारिक वेबसाइट bpsc.bihar.gov.in पर जाकर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। आवेदन की अंतिम तिथि 28 जुलाई 2025 निर्धारित की गई है।

शैक्षणिक योग्यता:

इन पदों के लिए आवेदन करने हेतु उम्मीदवारों के पास निम्न में से कोई एक योग्यता अनिवार्य है: किसी भी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से स्नातक डिग्री। B.Ed (विशेष शिक्षा) अथवा सामान्य B.Ed के साथ विशेष शिक्षा में सर्टिफिकेट/डिप्लोमा। 12वीं पास उम्मीदवारों के लिए D.El.Ed या समकक्ष विशेष शिक्षा प्रशिक्षण अनिवार्य है।

आयु सीमा:

इन पदों पर आवेदन के लिए उम्मीदवारों की न्यूनतम आयु: 18 वर्ष, अधिकतम आयु: 37 वर्ष, (आरक्षित वर्गों को नियमानुसार आयु में छूट दी जाएगी।)

आवेदन शुल्क:

सामान्य, ओबीसी व अन्य राज्य के उम्मीदवारों के लिए: ₹750, एससी, एसटी, दिव्यांग एवं बिहार राज्य की महिलाओं के लिए: ₹200, (भुगतान केवल ऑनलाइन माध्यम से ही किया जा सकेगा।)

8,000 KM रेंज: भारत की ये नई मिसाइल गेम चेंजर

नई दिल्ली। भारत ने रक्षा क्षेत्र में एक और बड़ी छलांग लगाई है। पाकिस्तान स्थित आतंकी ठिकानों पर सटीक हमलों और सैन्य एयरबेस को नेस्तनाबूद करने में जिस ब्रह्मोस मिसाइल की सबसे अधिक चर्चा रही, अब उससे भी घातक और एडवांस्ड मिसाइल आने वाली है—K-6 हाइपरसोनिक बैलिस्टिक मिसाइल (SLBM)। ये मिसाइल भारत की सामरिक ताकत को एक नई ऊंचाई तक पहुंचा देगी और भारत को रणनीतिक स्तर पर चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसियों पर स्पष्ट बढ़त दिलाएगी।

क्या है K-6 मिसाइल?

K-6 एक हाइपरसोनिक बैलिस्टिक मिसाइल है, जिसे DRDO की हैदराबाद स्थित नेवल लेबोरेटरी में विकसित किया जा रहा है। यह Submarine Launched Ballistic Missile (SLBM) है, यानी इसे पनडुब्बी से लॉन्च किया जा सकेगा। इसकी सबसे बड़ी ताकत यह है कि दुश्मन के लिए इसकी मौजूदगी को ट्रैक करना लगभग नामुमकिन होगा, क्योंकि यह पानी के भीतर से लॉन्च होगी।

K-6 की मुख्य खूबियाँ:

रेंज: लगभग 8000 किलोमीटर

माध्यम: पनडुब्बी से लॉन्च की जाने वाली मिसाइल (SLBM)

स्पीड: हाइपरसोनिक गति (Mach 5 से अधिक)

मारक क्षमता: कई टारगेट्स को एक साथ निशाना बनाने की क्षमता (MIRV टेक्नोलॉजी संभावित)

दुश्मन की रडार प्रणाली को चकमा देने में सक्षम

क्यों खास है K-6?

K-6 मिसाइल की सबसे बड़ी खूबी इसकी गोपनीयता और दुश्मन की सीमा के भीतर सटीक हमला करने की क्षमता है। यह भारत की सेकंड-स्ट्राइक कैपेबिलिटी को मजबूत करती है, यानी अगर दुश्मन पहले हमला करता है, तो भी भारत जवाबी हमला करने में सक्षम रहेगा। इससे भारत की न्यूक्लियर ट्रायड (जमीन, हवा और समुद्र से परमाणु हमला करने की क्षमता) पूरी तरह सशक्त और संतुलित होगी।

चीन और पाकिस्तान के लिए चेतावनी

भारत की यह नई मिसाइल खास तौर पर उन देशों के लिए एक सख्त संदेश है जो भारत की सीमाओं या संप्रभुता को चुनौती देने की कोशिश करते हैं। चीन और पाकिस्तान जैसे देशों को यह साफ चेतावनी है कि भारत अब सिर्फ जवाब देने वाला देश नहीं, बल्कि रणनीतिक रूप से भी पूरी तरह तैयार और सक्षम है।

इस विटामिन की कमी बना सकती है नपुंसक: पुरुष ध्यान दें!

हेल्थ डेस्क। पुरुषों की यौन स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं को लेकर समाज में अक्सर चुप्पी रहती है, लेकिन कई बार इसके पीछे बेहद सामान्य और नजरअंदाज की जाने वाली वजहें होती हैं — जैसे कि विटामिन की कमी। हाल ही में ब्रिटिश जर्नल ऑफ फार्माकोलॉजी में प्रकाशित एक स्टडी में यह स्पष्ट किया गया है कि विटामिन D की कमी पुरुषों में नपुंसकता (Erectile Dysfunction) की एक अहम वजह हो सकती है।

विटामिन D की भूमिका यौन स्वास्थ्य में

विटामिन D को अक्सर "सनशाइन विटामिन" कहा जाता है, क्योंकि यह सूरज की रोशनी से शरीर में बनता है। यह न केवल हड्डियों की मजबूती और इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में सहायक है, बल्कि पुरुषों की यौन क्रिया पर भी गहरा असर डालता है।

एक स्टडी के अनुसार, विटामिन D की कमी से इरेक्टाइल फंक्शन (स्तंभन क्रिया) पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। इसका कारण शरीर में सुपरऑक्साइड का स्तर बढ़ना और SLPI (Secretory Leukocyte Protease Inhibitor) नामक प्रोटीन का डाउन-रेगुलेशन होना बताया गया है, जो यौन अंगों के स्वस्थ संचालन के लिए आवश्यक होते हैं।

विटामिन D की कमी कैसे करें दूर?

विटामिन D की पर्याप्त मात्रा बनाए रखना बेहद जरूरी है। इसके लिए आप निम्न उपाय अपना सकते हैं: प्राकृतिक धूप में रोजाना सुबह 20–30 मिनट सूरज की रोशनी में रहना लाभदायक हो सकता है। अंडे की जर्दी, फैटी फिश (जैसे साल्मन, ट्यूना, मैकेरल), मशरूम आदि से विटामिन डी प्राप्त कर सकते हैं। यदि शरीर में विटामिन D का स्तर बहुत कम हो तो डॉक्टर विटामिन D3 सप्लीमेंट्स लेने की सलाह दे सकते हैं।

विटामिन B12 की कमी भी बन सकती है कारण

केवल विटामिन D ही नहीं, बल्कि विटामिन B12 की कमी भी पुरुषों के यौन स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। इस विटामिन की कमी से शरीर में होमोसिस्टीन (Homocysteine) नामक अमीनो एसिड का स्तर बढ़ जाता है, जो ब्लड फ्लो को बाधित करता है और इरेक्टाइल डिसफंक्शन का कारण बन सकता है।

बिहार में लगाइये उद्योग, सरकार देगी 2 लाख रुपये

पटना। बिहार सरकार ने राज्य के युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने और स्वरोजगार को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से "मुख्यमंत्री लघु उद्यमी योजना" शुरू की है। इस योजना के तहत अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST), अत्यंत पिछड़ा वर्ग (EBC) और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के युवाओं को 2 लाख रुपये तक की वित्तीय सहायता दी जा रही है, जिससे वे अपना खुद का उद्योग शुरू कर सकें और समाज की मुख्यधारा में शामिल हो सकें।

किन-किन उद्योगों के लिए मिलती है सहायता?

इस योजना के अंतर्गत कुल 62 प्रकार के लघु उद्योगों के लिए आर्थिक सहायता दी जाती है। इनमें खाद्य उत्पादन, फर्नीचर निर्माण, कृषि उपकरण निर्माण, सेवा उद्योग, हस्तशिल्प आदि जैसे उद्योग शामिल हैं। कुछ प्रमुख उद्योग इस प्रकार हैं:

1 .घरेलू उपयोग की वस्तुएं: डिटर्जेंट पाउडर, मोमबत्ती, बिंदी, मेंहदी, कृषि यंत्र, गेट-ग्रिल

2 .खाद्य एवं प्रसंस्करण उद्योग: आटा, बेसन, सत्तू उत्पादन, नमकीन, जैम, जैली, सॉस, नूडल्स, अचार, पापड़, मोरब्बा निर्माण

3 .फर्नीचर एवं निर्माण उद्योग: बढ़ईगिरी, बांस व बेंत का फर्नीचर, नाव निर्माण, सीमेंट की जाली, खिड़की-दरवाजा, प्लास्टर ऑफ पेरिस के सामान

4 .सेवा उद्योग: सैलून, ब्यूटी पार्लर, लांड्री, ढाबा, रेडीमेड वस्त्र, कसीदाकारी, चूड़ी, मिट्टी के बर्तन, चमड़े के जूते-चप्पल

5 .अन्य उद्योग: मधुमक्खी पालन (हाइव बॉक्स), आभूषण निर्माण, स्टील बॉक्स, स्टेबलाइज़र, लोहारगिरी, बिजली पंखा निर्माण

सहायता राशि तीन किस्तों में

मुख्यमंत्री लघु उद्यमी योजना के तहत सहायता राशि तीन किस्तों में दी जाती है: पहली किस्त (₹50,000) उपकरण, मशीनरी आदि की खरीदारी के लिए। दूसरी किस्त (₹1,00,000) प्रशिक्षण के बाद कच्चा माल और अन्य सामान की खरीदारी हेतु। तीसरी किस्त (₹50,000) उद्योग की स्थापना पूर्ण होने के पश्चात।

चयन प्रक्रिया

योजना के लिए आवेदन ऑनलाइन किए जाते हैं। आवेदन की जांच अनुश्रवण समिति द्वारा की जाती है। योग्य आवेदकों का चयन कंप्यूटरीकृत रैंडमाइजेशन प्रक्रिया से होता है। चयनित लाभुकों को संबंधित राशि सीधे उनके बैंक खाते में भेजी जाती है।

8वें वेतन आयोग: HRA की दरों में भी होगी वृद्धि?

नई दिल्ली। देश के लाखों केंद्रीय कर्मचारियों को 8वें वेतन आयोग (8th Pay Commission) से बड़ी उम्मीदें हैं। केंद्र सरकार ने वर्ष 2025 की शुरुआत में 8वें वेतन आयोग के गठन को हरी झंडी दे दी है, और इसके लागू होने के बाद कर्मचारियों की सैलरी में अच्छी-खासी बढ़ोतरी की संभावना है। वेतन आयोग न केवल बेसिक सैलरी और पेंशन को रिवाइज करता है, बल्कि महंगाई भत्ता (DA), मकान किराया भत्ता (HRA), यात्रा भत्ता (TA) और कई अन्य अलाउंसेज़ में भी बदलाव करता है।

HRA में होगा बदलाव?

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 8वें वेतन आयोग में HRA की दरों में संशोधन की पूरी संभावना है। वर्तमान में HRA की दरें 8% से 24% तक होती हैं, जो कर्मचारी के कार्य स्थल की श्रेणी (X, Y, Z शहर) पर निर्भर करती हैं। नए वेतन आयोग में इसे 10% से 30% तक बढ़ाने पर विचार किया जा रहा है।

इसके अतिरिक्त, एक नई व्यवस्था पर भी चर्चा हो रही है जिसके तहत HRA की दरों को DA (महंगाई भत्ता) से लिंक किया जा सकता है। अगर DA 25% और 50% के स्तर पर पहुंचता है, तो HRA की दरों में स्वचालित रूप से बढ़ोतरी की संभावना होगी, जैसा कि 7वें वेतन आयोग में भी देखा गया था।

HRA दरों को कैसे तय किया जाता है?

HRA की दरें मुख्यतः तीन श्रेणियों के शहरों के आधार पर तय होती हैं:

X श्रेणी शहर (मेट्रो सिटी) – अभी तक 24%

Y श्रेणी शहर (मध्यम आकार के शहर) – 16%

Z श्रेणी शहर (छोटे शहर और कस्बे) – 8%

अगर प्रस्तावित संशोधन लागू होता है, तो इन दरों में क्रमशः 30%, 20% और 10% तक की वृद्धि हो सकती है।

वेतन कैसे होता है रिवाइज?

वेतन आयोग द्वारा तय फिटमेंट फैक्टर के आधार पर कर्मचारियों की बेसिक सैलरी को रिवाइज किया जाता है। केंद्र सरकार को इस फिटमेंट फैक्टर को अंतिम रूप देने का अधिकार होता है। फिटमेंट फैक्टर के अलावा भत्तों में संशोधन करके भी सैलरी को अधिक प्रतिस्पर्धी और महंगाई के अनुकूल बनाया जाता है।

बिहार में पुलिसकर्मियों को बड़ी राहत: भत्तों की नई दरें लागू

पटना। बिहार सरकार ने राज्य के लगभग 1.25 लाख पुलिसकर्मियों को बड़ी राहत देते हुए यात्रा, दैनिक और विराम भत्तों की नई और पुनरीक्षित दरों को लागू कर दिया है। बिहार पुलिस मुख्यालय द्वारा जारी निर्देशों में कहा गया है कि यह संशोधन पुलिसकर्मियों के वेतन स्तर के आधार पर किया गया है, ताकि उनकी सेवा के दौरान होने वाले खर्चों की प्रभावी भरपाई की जा सके।

इस संबंध में पुलिस मुख्यालय के एडीजी (बजट/अपील/कल्याण) कमल किशोर सिंह ने नई गाइडलाइन जारी की है, जिसमें बताया गया है कि अब सरकारी कार्य से यात्रा या तबादले की स्थिति में पुलिसकर्मियों को रेल, सड़क और हवाई मार्ग से यात्रा के लिए वेतन स्तर के अनुसार प्रतिपूर्ति दी जाएगी।

यात्रा भत्ते की पात्रता इस प्रकार तय:

वेतन स्तर 8 से 10 वाले पुलिसकर्मी अब अनुमति मिलने पर हवाई यात्रा कर सकेंगे।

वेतन स्तर 6 से 12 तक के कर्मियों को एसी सेकंड क्लास ट्रेन यात्रा की पात्रता होगी।

वेतन स्तर 5 और उससे नीचे के पुलिसकर्मियों को बस या ऑटो यात्रा का भत्ता दिया जाएगा।

होटल में ठहराव की नई दरें:

राज्य सरकार ने पुलिसकर्मियों के आवास भत्तों को भी उनकी पोस्टिंग और वेतन के अनुरूप संशोधित किया है।

वेतन स्तर 5 व इससे कम: पटना में ₹500, अन्य शहरों में ₹300 प्रतिदिन।

वेतन स्तर 6 से 9: पटना में ₹1500, अन्य शहरों में ₹1000।

वेतन स्तर 11 से 13A: पटना में ₹3500, अन्य शहरों में ₹2500।

वेतन स्तर 14 और उससे ऊपर: पटना में ₹5000 और अन्य शहरों में ₹4000 प्रतिदिन की दर से भुगतान होगा।

स्थानीय यात्रा भत्ता भी हुआ स्पष्ट:

नए दिशा-निर्देशों में स्थानीय यात्रा के लिए भी स्पष्ट दरें तय की गई हैं। बस में यात्रा पर वास्तविक किराया मिलेगा।टैक्सी: ₹20 प्रति किमी, एसी टैक्सी: ₹23 प्रति किमी, निजी कार: ₹15 प्रति किमी, ऑटो: ₹10 प्रति किमी, दोपहिया वाहन: ₹5 प्रति किमी

समय पर भुगतान की व्यवस्था:

सरकार ने भत्तों के भुगतान में देरी रोकने के लिए समयबद्ध प्रक्रिया भी तय की है। हर महीने की 3 तारीख तक भत्ते का विवरण भेजना होगा। 25 तारीख तक बिल तैयार करना अनिवार्य होगा। अगले महीने की 7 तारीख तक संबंधित कर्मी को भुगतान कर देना होगा।

कौन है विदेशी मुद्रा का बादशाह? 10 देश सबसे आगे

नई दिल्ली। विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserves) किसी देश की आर्थिक सुरक्षा और वैश्विक व्यापार में उसकी ताकत को दर्शाते हैं। यह भंडार आमतौर पर विदेशी मुद्राओं, स्वर्ण भंडार, विशेष आहरण अधिकार (SDRs), और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) में जमा की गई संपत्तियों से मिलकर बना होता है। यह रिपोर्ट 2025 के ताजा आंकड़ों के आधार पर उन 10 देशों की सूची और विश्लेषण प्रस्तुत करता है, जिनके पास सबसे अधिक विदेशी मुद्रा भंडार है। 

1. चीन – $3.3 से $3.6 ट्रिलियन

चीन पिछले एक दशक से दुनिया में सबसे अधिक विदेशी मुद्रा भंडार रखने वाला देश बना हुआ है। इसके भंडार का बड़ा हिस्सा अमेरिकी डॉलर में है, जिसका उपयोग वह अपनी मुद्रा युआन की स्थिरता बनाए रखने, व्यापार संतुलन को सुधारने और वैश्विक वित्तीय झटकों से बचने के लिए करता है।

2. जापान – $1.24 ट्रिलियन

जापान का विदेशी मुद्रा भंडार मुख्यतः विदेशी बॉन्ड (विशेषकर अमेरिकी ट्रेजरी बॉन्ड्स) में निवेशित है। येन की रक्षा के लिए जापान ने अपने भंडार को मजबूत रखा है, विशेषकर वैश्विक अस्थिरता के समय।

3. स्विट्ज़रलैंड – $953 बिलियन

स्विट्ज़रलैंड एक वित्तीय केंद्र है, और इसकी मुद्रा (स्विस फ्रैंक) को सुरक्षित माना जाता है। देश की नेगेटिव ब्याज दरों की नीति के बावजूद विदेशी निवेशकों के आकर्षण ने इसके रिज़र्व को उच्च बनाए रखा है।

4. भारत – $697 बिलियन

भारत हाल के वर्षों में विदेशी मुद्रा भंडार के मामले में चौथे स्थान पर पहुंच गया है। रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने यह भंडार मुद्रा स्थिरता, आयात संतुलन और विदेशी ऋण चुकाने के लिए मजबूत किया है।

5. रूस – $620 बिलियन

रूस के पास भी पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार है, जिसमें सोने का हिस्सा अपेक्षाकृत अधिक है। पश्चिमी प्रतिबंधों के बाद रूस ने डॉलर से हटकर सोना और युआन जैसी मुद्राओं में भंडार बढ़ाया है।

6. ताइवान – $577 बिलियन

ताइवान की निर्यात-आधारित अर्थव्यवस्था, विशेषकर सेमीकंडक्टर उद्योग, ने इसे मजबूत विदेशी मुद्रा भंडार जुटाने में मदद की है। ताइवान डॉलर को स्थिर बनाए रखने के लिए सरकार काफी सक्रिय है।

7. सऊदी अरब – $435 बिलियन

तेल निर्यात पर आधारित सऊदी अरब के पास भी विशाल विदेशी मुद्रा भंडार है। यह भंडार देश की मुद्रा (रियाल) को अमेरिकी डॉलर से जोड़ने और आर्थिक विविधीकरण को समर्थन देने में मदद करता है।

8. हांगकांग – $421 बिलियन

एक प्रमुख वित्तीय केंद्र होने के नाते, हांगकांग ने स्थिर विदेशी मुद्रा भंडार बनाए रखा है। यहां की मुद्रा (हांगकांग डॉलर) अमेरिकी डॉलर से जुड़ी हुई है, जिसे बनाए रखने के लिए यह भंडार आवश्यक है।

9. दक्षिण कोरिया – $416 बिलियन

दक्षिण कोरिया की तकनीक आधारित अर्थव्यवस्था और मजबूत निर्यात ने इसे उच्च भंडार बनाए रखने में मदद की है। कोरियन वॉन की स्थिरता भी इसी पर निर्भर करती है।

10. ब्राज़ील – $389 बिलियन

लैटिन अमेरिका की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था ब्राज़ील ने वैश्विक अनिश्चितताओं से बचने के लिए मजबूत विदेशी मुद्रा भंडार बनाया है। यह रिज़र्व उसे बाहरी झटकों और कर्ज सेवा में मदद करता है।

(नोट-यह डाटा विभिन्न मीडिया सोर्स से ली गई हैं, इसमें थोड़ा बहुत अंतर हो सकता हैं)

अगर दिखें ये 4 लक्षण, तो समझिए यूरिक एसिड तेजी से बढ़ रहा है

हेल्थ डेस्क। आज की तेज़ रफ्तार जीवनशैली, असंतुलित आहार और शारीरिक गतिविधियों की कमी ने कई बीमारियों को आम बना दिया है। इन्हीं में से एक है शरीर में यूरिक एसिड का असंतुलन। जब यह रासायनिक तत्व खून में ज़रूरत से ज़्यादा बनने लगता है, तो यह जोड़ों में जमा होकर गठिया (गाउट) जैसी समस्याएं पैदा कर सकता है।

विशेषज्ञों के अनुसार, यदि समय रहते यूरिक एसिड के बढ़ने के संकेतों को पहचाना न जाए, तो यह दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है। आइए जानते हैं ऐसे ही चार प्रमुख लक्षण, जिनसे संकेत मिलता है कि शरीर में यूरिक एसिड का स्तर असामान्य रूप से बढ़ रहा है।

1. जोड़ों में तेज़ दर्द और सूजन

सबसे सामान्य और स्पष्ट लक्षण है—जोड़ों में अचानक और तीव्र दर्द, विशेषकर अंगूठे के जोड़ में। यह दर्द अक्सर रात के समय और बिना किसी बड़ी वजह के उभरता है। साथ ही, प्रभावित स्थान पर सूजन और लालिमा देखी जा सकती है।

2. बार-बार मूत्र में जलन

यूरिक एसिड शरीर से यूरिन के माध्यम से निकलता है। जब इसका स्तर अधिक हो जाता है, तो गुर्दे (किडनी) पर दबाव बढ़ता है और पेशाब में जलन या बार-बार पेशाब आने की समस्या हो सकती है। कभी-कभी यह किडनी स्टोन का भी संकेत हो सकता है।

3. थकान और कमजोरी महसूस होना

यूरिक एसिड बढ़ने से शरीर में सूजन और संक्रमण की संभावना बढ़ जाती है, जिससे व्यक्ति को लगातार थकान, मांसपेशियों में जकड़न और आलस्य महसूस हो सकता है।

4. त्वचा पर लाल दाने या खुजली

कभी-कभी यूरिक एसिड का असंतुलन त्वचा पर भी असर डालता है। यदि त्वचा पर बार-बार लाल चकत्ते, खुजली या सूजन जैसी समस्या दिखे, तो यह संकेत हो सकता है कि अंदरूनी रूप से शरीर असंतुलन से जूझ रहा है।

बिना दवा थायराइड का इलाज: अपनाएं ये 6 देसी नुस्खे

हेल्थ डेस्क। थायराइड एक तेजी से बढ़ती स्वास्थ्य समस्या बनती जा रही है, खासतौर पर महिलाओं में। आधुनिक जीवनशैली, तनाव, और हार्मोनल असंतुलन के चलते थायराइड ग्रंथि का असामान्य कार्य करना आम हो गया है। आमतौर पर इसके इलाज के लिए दवाओं पर निर्भर रहना पड़ता है, लेकिन आयुर्वेद और घरेलू उपायों के ज़रिए इसे काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। आइए जानें ऐसे ही छह देसी उपाय जो थायराइड को जड़ से खत्म करने में सहायक हो सकते हैं:

1. लौकी का जूस – खाली पेट असरदार इलाज

थायराइड से राहत पाने के लिए लौकी का ताज़ा जूस रामबाण साबित हो सकता है। रोज़ सुबह खाली पेट एक गिलास लौकी का रस पीने से ग्रंथि की सूजन कम होती है और हार्मोन बैलेंस में सुधार आता है। लौकी शरीर को ठंडक देती है और मेटाबॉलिज्म को भी दुरुस्त करती है।

2. हरा धनिया – थायराइड के लिए कारगर उपाय

हरा धनिया केवल स्वाद बढ़ाने के लिए नहीं है, यह थायराइड नियंत्रण में भी बेहद कारगर है। एक मुट्ठी हरे धनिये को पीसकर एक गिलास पानी में घोलें और सुबह खाली पेट इसका सेवन करें। यह उपाय हाइपोथायराइड और हाइपरथायराइड दोनों ही स्थितियों में लाभकारी माना गया है।

3. आयोडीन युक्त आहार – थायराइड ग्रंथि के लिए ज़रूरी

थायराइड ग्रंथि को सुचारु रूप से काम करने के लिए आयोडीन की आवश्यकता होती है। प्याज, लहसुन, टमाटर जैसे आयोडीन युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन बढ़ाएं। खासतौर पर वे लोग जिन्हें हाइपोथायराइड है, उन्हें अपने आहार में आयोडीन की मात्रा का विशेष ध्यान रखना चाहिए।

4. नारियल पानी – प्राकृतिक इलेक्ट्रोलाइट से भरपूर

नारियल पानी में मौजूद मिनरल्स और एंटीऑक्सीडेंट्स थायराइड को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। थायराइड मरीजों को रोज़ या कम से कम हर दूसरे दिन एक गिलास नारियल पानी ज़रूर पीना चाहिए। इससे शरीर का पीएच संतुलन सुधरता है और थकान भी दूर होती है।

5. हल्दी वाला दूध – रात का नैचुरल टॉनिक

हल्दी में पाया जाने वाला करक्यूमिन तत्व शरीर में सूजन को कम करता है और थायराइड ग्रंथि की कार्यक्षमता को सुधारता है। रोज़ रात को सोने से पहले एक गिलास हल्दी वाला गर्म दूध पीने से न केवल थायराइड में राहत मिलती है, बल्कि नींद भी बेहतर आती है।

6. तुलसी और ऐलोवेरा – आयुर्वेद का चमत्कारी संयोजन

थायराइड को जड़ से खत्म करने में तुलसी और ऐलोवेरा का मिश्रण बेहद असरदार माना गया है। रोज़ सुबह दो चम्मच तुलसी के रस में आधा चम्मच ऐलोवेरा जूस मिलाकर सेवन करें। यह उपाय ग्रंथि की सूजन को कम करता है और इम्यून सिस्टम को भी मजबूत बनाता है।

भारत बना रहा ये 5 ताकतवर हथियार — चंद सेकेंड में खत्म होंगे दुश्मन!

नई दिल्ली। भारत अपनी रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने के लिए निरंतर नई और उन्नत तकनीकों पर काम कर रहा है। देश के वैज्ञानिक और रक्षा अनुसंधान संगठन (DRDO) कई ऐसे हथियार विकसित कर रहे हैं जो न केवल आधुनिक युद्ध के लिहाज से क्रांतिकारी हैं, बल्कि दुश्मन के लिए गंभीर चुनौती भी साबित होंगे। आइए जानते हैं भारत के 5 सबसे ताकतवर और प्रगतिशील हथियारों के बारे में, जो आने वाले समय में देश की सुरक्षा को और भी मजबूत बनाएंगे।

1. हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल और क्रूज मिसाइल

भारत अब हाइपरसोनिक हथियारों के क्षेत्र में बड़ी छलांग लगाने जा रहा है। DRDO दो प्रमुख तकनीकों पर काम कर रहा है — हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल और स्क्रैमजेट इंजन वाली क्रूज मिसाइल। ये मिसाइलें 5 से 7 मैक की रफ्तार से उड़ेंगी, यानी आवाज़ की गति से पांच गुना तेज। इससे दुश्मन के लिए इन्हें रोक पाना लगभग नामुमकिन हो जाएगा। ग्लाइड व्हीकल का परीक्षण अगले 2-3 वर्षों में पूरा होने की उम्मीद है, जबकि स्क्रैमजेट सिस्टम की सफल टेस्टिंग भी हो चुकी है। ये मिसाइलें आने वाले समय में भारत के स्ट्राइक क्षमता को कई गुना बढ़ा देंगी।

2. ब्रह्मोस-एनजी — हर फाइटर जेट पर मौत का साया

DRDO ब्रह्मोस मिसाइल का अगला संस्करण BrahMos-NG विकसित कर रहा है, जो पुराने ब्रह्मोस की तुलना में हल्की और कॉम्पैक्ट होगी। इसका खास फायदा यह होगा कि इसे तेजस जैसे हल्के फाइटर जेट में भी फिट किया जा सकेगा। मतलब, भारत की पूरी वायु सेना अब ब्रह्मोस जैसी मारक क्षमता से लैस होगी, जिससे दुश्मन के लिए हर लड़ाकू विमान खतरा बन जाएगा। ब्रह्मोस-एनजी की टेस्टिंग भी जल्द ही शुरू होने वाली है और इसे 2024 से बाजार में लाने की योजना है।

3. लॉन्ग-रेंज सरफेस-टू-एयर मिसाइल सिस्टम

भारत अपने लॉन्ग-रेंज सरफेस-टू-एयर मिसाइल सिस्टम पर तेजी से काम कर रहा है, जिसे ‘कुशा प्रोजेक्ट’ के तहत विकसित किया जा रहा है। इस सिस्टम का नाम है ‘सुदर्शन चक्र’। यह दुश्मन की मिसाइलों और हवाई हमलों को 300 किलोमीटर से अधिक दूरी से ही नष्ट करने में सक्षम होगा। यह सिस्टम भारत के एयर डिफेंस को काफी हद तक आत्मनिर्भर और सुरक्षित बनाएगा।

4. AMCA — भारत का स्टील्थ वारियर

भारत अपनी पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान AMCA (Advanced Medium Combat Aircraft) पर तेजी से काम कर रहा है। सरकार ने 2024 में इस प्रोजेक्ट को मंजूरी दी और 120 एयरक्राफ्ट खरीदने की योजना बनाई है। AMCA का प्रोडक्शन अब HAL के बजाय एक पब्लिक-प्राइवेट मॉडल में होगा, जिससे उत्पादन में तेजी आएगी और लागत कम होगी। यह स्टील्थ तकनीक से लैस विमान भारत की वायु सेना को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाएगा।

5 .डायरेक्टेड एनर्जी वेपन

DRDO लेजर और माइक्रोवेव तकनीक का उपयोग करके हाई पावर डायरेक्टेड एनर्जी वेपन विकसित कर रहा है। ये हथियार बिना धमाके और धुएं के दुश्मन के ड्रोन, मिसाइल और इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम को निष्क्रिय कर सकते हैं। आने वाले वर्षों में यह तकनीक भारत की एयर डिफेंस प्रणाली का एक गुप्त लेकिन अत्यंत घातक हिस्सा बनेगी। इससे युद्ध के मैदान में भारत को भारी बढ़त मिलेगी।

सिर्फ 4 फूड्स से बढ़ाएं ब्लड सर्कुलेशन, बनाएं नसों को फौलादी

हेल्थ डेस्क। शरीर के प्रत्येक अंग तक ऑक्सीजन और पोषक तत्व पहुँचाने का काम रक्त संचार (ब्लड सर्कुलेशन) करता है। लेकिन खराब जीवनशैली, अनियमित खानपान और तनावपूर्ण दिनचर्या के कारण कई लोगों को नसों में थकावट, झुनझुनी या भारीपन जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे में यदि आप दवाओं से पहले प्राकृतिक उपायों की ओर रुख करना चाहते हैं, तो सिर्फ 4 ऐसे आहार हैं जो आपके ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर बना सकते हैं और नसों को मजबूती प्रदान कर सकते हैं।

1. चुकंदर (Beetroot)

चुकंदर नाइट्रेट्स से भरपूर होता है, जो शरीर में जाकर नाइट्रिक ऑक्साइड में बदलते हैं। यह रक्त नलिकाओं को चौड़ा करने में मदद करता है, जिससे खून का बहाव सुगम हो जाता है। नियमित रूप से चुकंदर का रस पीने से ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहता है और नसें एक्टिव बनी रहती हैं।

2. लहसुन (Garlic)

लहसुन में ऐलिसिन नामक तत्व पाया जाता है जो रक्त वाहिनियों में जमी वसा को कम करता है। यह नसों की ब्लॉकेज को खोलने में सहायक है और हृदय को स्वस्थ बनाए रखता है। खाली पेट लहसुन की एक कली खाना अत्यधिक लाभकारी माना जाता है।

3. अनार (Pomegranate)

यह स्वादिष्ट फल एंटीऑक्सीडेंट्स और नाइट्रेट्स से भरपूर होता है। यह शरीर में रक्त प्रवाह को बेहतर बनाता है और थकान को कम करता है। एथलीट भी अनार का सेवन अपनी परफॉर्मेंस बेहतर करने के लिए करते हैं।

4. हल्दी (Turmeric)

हल्दी में मौजूद 'करक्यूमिन' नामक तत्व एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों से युक्त होता है। यह नसों में सूजन को कम करता है और रक्त संचार में सुधार लाता है। एक गिलास गर्म दूध में चुटकी भर हल्दी मिलाकर पीना पुरानी भारतीय परंपरा का हिस्सा है और आज विज्ञान भी इसके फायदों को मानता है।

जामुन के साथ बीज भी फायदेमंद: डायबिटीज के मरीजों के लिए रामबाण

हेल्थ डेस्क। गर्मियों के मौसम में बाजारों में मिलने वाला खट्टा-मीठा फल जामुन न केवल स्वाद में लाजवाब होता है, बल्कि सेहत के लिहाज से भी बेहद लाभकारी माना जाता है। खासकर डायबिटीज यानी मधुमेह के मरीजों के लिए यह किसी औषधि से कम नहीं। जहाँ एक ओर जामुन का फल ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने में मदद करता है, वहीं इसके बीज भी अपने अंदर अनेक औषधीय गुण समेटे हुए हैं।

जामुन के बीज के औषधीय गुण

बहुत से लोग जामुन खाते समय इसके बीज फेंक देते हैं, लेकिन आयुर्वेद के अनुसार ये बीज बेहद उपयोगी होते हैं। इनमें जाम्बोलीन (jamboline) नामक एक यौगिक पाया जाता है, जो ब्लड शुगर को बढ़ने से रोकता है। जामुन के बीज इंसुलिन के कार्य को बेहतर बनाने में मदद करते हैं, जिससे शरीर में शुगर का स्तर नियंत्रण में रहता है।

डायबिटीज नियंत्रण में कैसे मदद करता है?

ब्लड शुगर लेवल में सुधार: जामुन के बीज पाउडर के सेवन से शरीर में इंसुलिन की संवेदनशीलता बढ़ती है, जिससे ग्लूकोज को ऊर्जा में बदलने की प्रक्रिया तेज होती है। इससे ब्लड शुगर स्तर स्थिर बना रहता है।

मेटाबॉलिज्म में सुधार: जामुन के बीज पाचन क्रिया को दुरुस्त रखते हैं और मेटाबॉलिज्म को तेज करते हैं, जो डायबिटीज के मरीजों के लिए फायदेमंद है।

पेशाब की समस्या में राहत: डायबिटीज के मरीजों को बार-बार पेशाब आने की समस्या होती है। जामुन और उसके बीज इस समस्या को कम करने में सहायक होते हैं।

सेवन का तरीका

जामुन के बीज को धोकर सुखा लें और इन्हें पीसकर पाउडर बना लें। रोज सुबह खाली पेट आधा चम्मच बीज पाउडर गुनगुने पानी के साथ लें। डॉक्टर की सलाह से नियमित सेवन करना ज्यादा सुरक्षित होता है।

देसी गुड़ के 10 चमत्कारी फायदे: स्वाद भी, सेहत भी!

हेल्थ डेस्क। आज के दौर में जहां लोग प्रोसेस्ड शुगर और महंगे हेल्थ सप्लीमेंट्स की ओर भाग रहे हैं, वहीं देसी गुड़ एक ऐसा पारंपरिक विकल्प है जो न केवल स्वाद में लाजवाब है, बल्कि सेहत के लिए भी किसी औषधि से कम नहीं। भारत में सदियों से यह घर-घर में उपयोग होता आ रहा है — खासकर सर्दियों में। आधुनिक रिसर्च भी अब इसकी उपयोगिता को प्रमाणित कर रही है। आइए जानते हैं देसी गुड़ के 10 ऐसे फायदे जो इसे रोज़मर्रा की ज़िंदगी का हिस्सा बनाने के लिए काफी हैं।

1. पाचन तंत्र को मज़बूत बनाए

गुड़ भोजन के बाद लेने से पाचन क्रिया में सुधार होता है। यह पित्त स्राव को नियंत्रित करता है और कब्ज जैसी समस्याओं से राहत दिलाता है।

2. रक्त को शुद्ध करता है

गुड़ आयरन का अच्छा स्रोत होता है। यह खून को शुद्ध करता है और एनीमिया जैसी समस्याओं को दूर करने में मदद करता है।

3. श्वसन तंत्र को साफ करता है

सर्दियों में गुड़ और अदरक का सेवन बलगम हटाने में सहायक होता है। अस्थमा व सर्दी-जुकाम में यह काफी फायदेमंद माना गया है।

4. इम्युनिटी बढ़ाता है

गुड़ में जिंक और सेलेनियम जैसे एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करते हैं।

5. हड्डियों को बनाए मज़बूत

गुड़ और तिल का सेवन खासकर सर्दियों में किया जाता है, जिससे शरीर को कैल्शियम, मैग्नीशियम और फॉस्फोरस मिलते हैं – ये हड्डियों के लिए बेहद ज़रूरी हैं।

6. त्वचा में निखार लाए

गुड़ में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स और मिनरल्स त्वचा को प्राकृतिक रूप से चमकदार और युवा बनाए रखने में मदद करते हैं।

7. थकान को दूर करता है

गुड़ धीरे-धीरे एनर्जी रिलीज करता है, जिससे दिनभर चुस्ती बनी रहती है। यह कृत्रिम चीनी की तरह अचानक ब्लड शुगर नहीं बढ़ाता।

8. मासिक धर्म में राहत

महिलाओं के लिए यह विशेष लाभकारी है। मासिक धर्म के दौरान गुड़ का सेवन ऐंठन और दर्द से राहत दिलाने में सहायक होता है।

9. सिरदर्द और माइग्रेन में कारगर

गुड़ में प्राकृतिक शीतल गुण होते हैं, जो सिरदर्द और तनाव को कम करने में मदद करते हैं। पारंपरिक चिकित्सा में इसे माइग्रेन के लिए भी उपयोग किया जाता रहा है।

10. डिटॉक्स का काम करता है

यह शरीर से विषैले पदार्थों को बाहर निकालने में सहायक होता है और लीवर को साफ रखने में मदद करता है। इसलिए आप इसका सेवन कर सकते हैं।

8वें वेतन आयोग: DA फिर से ‘जीरो’ से शुरू होगा?

नई दिल्ली।: केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए एक बड़ी खबर सामने आ रही है। 8वें वेतन आयोग को लेकर तैयारियां शुरू हो चुकी हैं और यह 1 जनवरी 2026 से लागू हो सकता है। इस बार वेतन आयोग में महंगाई भत्ते (Dearness Allowance - DA) की गणना के तरीके में एक बड़ा बदलाव हो सकता है, जिससे शुरुआत में DA भले ही ‘शून्य’ से शुरू हो, लेकिन कर्मचारियों को इसका लाभ ही लाभ मिलेगा।

क्या है बदलाव?

सरकार हर 10 साल में एक नया वेतन आयोग लागू करती है और उसी के अनुसार कर्मचारियों की सैलरी स्ट्रक्चर में बदलाव होता है। DA की गणना एक बेस ईयर (Base Year) के आधार पर की जाती है। वर्तमान में यह बेस ईयर 2016 है। लेकिन 8वें वेतन आयोग में सरकार इसे 2026 करने पर विचार कर रही है।

जब नया बेस ईयर लागू होगा, तो तकनीकी रूप से DA '0%' से शुरू होगा, क्योंकि यह नई इंडेक्सिंग के आधार पर तय होगा। इसका अर्थ यह नहीं कि कर्मचारियों को नुकसान होगा, बल्कि इसका उद्देश्य DA को नई बेसिक सैलरी में मर्ज कर देना है।

कैसे मिलेगा फायदा?

DA होगा बेसिक में शामिल: मौजूदा महंगाई भत्ता (जो अभी 50% के करीब है) को नई बेसिक सैलरी में जोड़ दिया जाएगा। इसका मतलब यह कि कर्मचारियों की नई मूल वेतन (Basic Pay) बढ़ेगी।

DA की गणना नई सैलरी पर होगी: 2026 के बाद जब भी DA बढ़ेगा (जैसे 2% या 3%), वह नई, अधिक बेसिक सैलरी पर जोड़ा जाएगा। इससे DA की राशि अधिक होगी और कुल वेतन भी बढ़ेगा।

सैलरी स्ट्रक्चर होगा 'रिचार्ज': यह बदलाव पूरी सैलरी संरचना को रीसेट और मजबूत कर देगा, जिससे हर बार DA में इजाफा सीधा जेब में असर डालेगा।

क्या यह कर्मचारियों के लिए अच्छा है?

बिलकुल। ‘DA शून्य से शुरू’ होने की बात सिर्फ तकनीकी है। वास्तविकता यह है कि कर्मचारियों की नई सैलरी पहले से ज्यादा होगी। पुराने DA को मिलाकर एक नई बड़ी बेसिक सैलरी तय होगी, और भविष्य में DA बढ़ोतरी भी उसी पर आधारित होगी। हालांकि केंद्र सरकार की ओर से अभी आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन वित्त मंत्रालय और कार्मिक विभाग इसके प्रारूप पर कार्य कर रहे हैं।

यूपी में नौकरियों की बहार: सीधे इंटरव्यू से होगी भर्ती

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के युवाओं के लिए जुलाई का महीना नौकरी के सुनहरे अवसर लेकर आ रहा है। राज्य के विभिन्न जिलों में विशेष रोजगार मेलों का आयोजन किया जा रहा है, जहां सीधे इंटरव्यू के जरिए उम्मीदवारों की भर्ती की जाएगी। यह पहल राज्य सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश रोजगार संगम पोर्टल के माध्यम से की जा रही है, जिसका उद्देश्य युवाओं को रोजगार से जोड़ना और उन्हें उनके क्षेत्र में ही नौकरियों के अवसर उपलब्ध कराना है।

जुलाई में होने वाले रोजगार मेलों की प्रमुख तिथियां और स्थान

2 जुलाई: आगरा के उत्तम ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस, किरावली रोड, रुनकता में सुबह 10 बजे से रोजगार मेले का आयोजन किया जाएगा।

14-15 जुलाई: राजधानी लखनऊ में एक बड़ा रोजगार मेला आयोजित होगा, जिसमें 100 से अधिक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कंपनियां भाग लेंगी। इसके अतिरिक्त राज्य के अन्य जिलों में भी जुलाई के दौरान रोजगार मेलों के आयोजन की संभावनाएं हैं, जिनकी जानकारी रोजगार संगम पोर्टल पर उपलब्ध कराई जाएगी।

कैसे करें आवेदन?

युवाओं को रोजगार मेलों में भाग लेने के लिए कुछ आसान चरणों का पालन करना होगा। सबसे पहले rojgaarsangam.up.gov.in पर जाकर खुद को पंजीकृत करें। इसमें आपको अपनी शैक्षिक योग्यता, कार्य अनुभव (यदि हो), और इच्छित कार्य क्षेत्र की जानकारी भरनी होगी।

रोजगार मेलों की सूची देखें

पोर्टल पर जाकर आप यह देख सकते हैं कि किस तारीख को कौन से जिले में रोजगार मेला आयोजित हो रहा है। यह सूची समय-समय पर अपडेट की जाती है।

मेले में शामिल हों

पंजीकरण के बाद, इच्छुक उम्मीदवार सीधे रोजगार मेले में जाकर कंपनियों के प्रतिनिधियों से इंटरव्यू दे सकते हैं। कई मामलों में ऑन-द-स्पॉट नियुक्ति भी की जा सकती है।

भारत के 'राफेल' में लगा हैं ये ताकतवर जेट इंजन

नई दिल्ली। भारतीय वायुसेना की ताकत में हाल ही में जबरदस्त इजाफा हुआ है, और इसका प्रमुख कारण है 'राफेल' लड़ाकू विमान। यह अत्याधुनिक मल्टीरोल फाइटर जेट फ्रांस की डसॉल्ट एविएशन कंपनी द्वारा निर्मित है, जो हवा से हवा और हवा से ज़मीन तक मार करने की अत्यधिक क्षमता रखता है। लेकिन इस घातक जंगी विमान की असली ताकत उसके दिल यानी इसके इंजन में छुपी हुई है।

कौन सा इंजन है राफेल में?

राफेल फाइटर जेट में स्नेकमा M88 (Snecma M88) नाम का ट्विन-टर्बोफैन जेट इंजन लगा हुआ है। यह एक लो-बाईपास रेशियो वाला हाई-थ्रस्ट इंजन है, जिसे खासतौर पर सुपरसोनिक गति और आधुनिक युद्ध की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है। इस इंजन की ताकत ने ही राफेल को भारतीय वायुसेना की रीढ़ बना दिया है।

स्नेकमा M88 इंजन की खासियतें:

1 .थ्रस्ट क्षमता: हर एक M88 इंजन करीब 7.5 टन थ्रस्ट देने में सक्षम है, और राफेल में दो इंजन लगे होते हैं। यानी कुल मिलाकर 15 टन से भी ज़्यादा की थ्रस्ट क्षमता होती है, जो इसे 2,000 किलोमीटर प्रति घंटे से भी तेज गति पर उड़ान भरने की शक्ति देता है।

2 .सुपरसोनिक क्रूज़िंग (Supercruise): राफेल बिना "afterburner" के भी सुपरसोनिक स्पीड (Mach 1.4) पर उड़ सकता है, जो इसे दुश्मनों से तेज और लंबी दूरी तक ऑपरेशन करने में मदद करता है। यह फीचर भारत के पड़ोस में किसी भी लड़ाकू विमान के पास नहीं है।

3 .कम मेंटेनेंस, ज़्यादा भरोसेमंद: M88 इंजन का डिज़ाइन इस तरह से किया गया है कि यह लंबे समय तक कम मेंटेनेंस में भी अच्छा प्रदर्शन करता है। युद्ध की स्थिति में यह बहुत बड़ा फायदा देता है।

4 .इलेक्ट्रॉनिक कंट्रोल सिस्टम: इंजन में लगा Full Authority Digital Engine Control (FADEC) सिस्टम इसके संचालन को पूरी तरह से कंप्यूटराइज्ड बनाता है, जिससे ईंधन की खपत कम होती है और परफॉर्मेंस बेहतर होता है।

भारत को क्या फायदा?

भारत जैसे देश, जिनकी सीमाएं कई मोर्चों पर संवेदनशील हैं, उन्हें ऐसे फाइटर जेट की जरूरत थी जो तकनीक, ताकत और भरोसे के मामले में अव्वल हो। M88 इंजन के दम पर राफेल ऊंचाई वाले क्षेत्रों, जैसे लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में आसानी से ऑपरेशन कर सकता है। इसके साथ ही यह भारतीय वायुसेना को हवा में वर्चस्व बनाए रखने में मदद करता है।

8वें वेतन आयोग: जूनियर इंजीनियर की कितनी होगी सैलरी?

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने जनवरी 2025 में 8वें केंद्रीय वेतन आयोग (8th Central Pay Commission) के गठन को मंजूरी दे दी है। इस घोषणा के बाद से ही देशभर के लाखों केंद्रीय कर्मचारियों की निगाहें इस आयोग के पैनल और उसकी सिफारिशों पर टिकी हैं। खास तौर पर जूनियर इंजीनियर (JE) और लेवल-6 व 7 के अधिकारियों के लिए यह वेतन आयोग एक बड़ी राहत लेकर आ सकता है।

फिटमेंट फैक्टर क्या होगा?

कर्मचारियों के वेतन में संभावित बढ़ोतरी के लिए सबसे अहम भूमिका फिटमेंट फैक्टर (Fitment Factor) निभाएगा। फिटमेंट फैक्टर वह गणना प्रक्रिया है जिसके जरिए कर्मचारी की मूल वेतन को एक निश्चित गुणांक (मल्टीप्लायर) से गुणा किया जाता है, जिससे नई सैलरी तय होती है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस बार 2.86 फिटमेंट फैक्टर को लागू किया जा सकता है।

जूनियर इंजीनियर और तकनीकी पदों की सैलरी में होगा भारी इजाफा

जूनियर इंजीनियर (JE) लेवल-6 के अंतर्गत आते हैं। वर्तमान में 7वें वेतन आयोग के तहत JE की बेसिक सैलरी ₹35,400 है। अगर 8वें वेतन आयोग में 2.86 का फिटमेंट फैक्टर लागू होता है, तो JE की संभावित सैलरी होगी: ₹35,400 × 2.86 = ₹1,01,244 प्रति महीना, यानी सैलरी सीधे ₹1 लाख रुपये के पार जा सकती है।

सेक्शन ऑफिसर और असिस्टेंट इंजीनियर को भी मिलेगा बड़ा फायदा

लेवल-7 के अंतर्गत आने वाले सेक्शन ऑफिसर, असिस्टेंट इंजीनियर, सुपरिटेंडेंट और अन्य एडमिनिस्ट्रेटिव या प्रोजेक्ट प्रबंधन पदों की सैलरी में भी जोरदार उछाल आने की उम्मीद है। फिलहाल लेवल-7 की बेसिक सैलरी ₹44,900 है। 2.86 फैक्टर लागू होने पर: ₹44,900 × 2.86 = ₹1,28,414 प्रति महीना, यह बढ़ोतरी लगभग ₹83,514 की होगी। हालांकि पूरी स्थिति सरकार के आधिकारिक घोषणा के बाद नजर आएगी।

अमेरिका के B-2 बॉम्बर में लगा हैं ये ताकतवर इंजन

न्यूज डेस्क। अमेरिका के स्टील्थ B-2 बॉम्बर ने ईरान की फोर्डो और नतांज परमाणु साइट्स पर GBU-57 बम गिराए। यह मिशन बेहद लंबा और खतरनाक था – करीब 37 घंटे की लगातार उड़ान के बाद B-2 ने हमला किया और कुल मिलाकर लगभग 44 घंटे हवा में रहकर अमेरिका लौट गया। अब सवाल उठता है – कोई विमान इतनी लंबी उड़ान कैसे भर सकता है? और इतना लंबा इंजन ऑपरेशन होने पर इसमें आग क्यों नहीं लगती?

कौन-सा इंजन है B-2 बॉम्बर में?

B-2 स्पिरिट बॉम्बर में चार General Electric F118-GE-100 टर्बोफैन इंजन लगे होते हैं। ये इंजन खासतौर पर स्टील्थ तकनीक और लंबी दूरी की उड़ान के लिए बनाए गए हैं। हर इंजन लगभग 17,300 पाउंड थ्रस्ट जनरेट करता है, और इसकी सबसे बड़ी खासियत है कि यह बेहद शांत और कूल ऑपरेटिंग सिस्टम के साथ चलता है, जिससे रडार या थर्मल डिटेक्शन से बचा जा सके।

इंजन में आग क्यों नहीं लगती?

1 .एडवांस कूलिंग सिस्टम: F118 इंजन में अत्याधुनिक टर्बाइन ब्लेड कूलिंग टेक्नोलॉजी है। इसमें कंप्रेसर से निकली ठंडी हवा को टर्बाइन ब्लेड्स के चारों तरफ प्रवाहित किया जाता है ताकि वे ओवरहीट न हों।

2 .हीट-रेसिस्टेंट मटेरियल: इंजन के महत्वपूर्ण हिस्सों को हीट रेज़िस्टेंट सुपरएलॉयज़ से बनाया गया है, जो 1000°C से ऊपर तापमान सह सकते हैं।

3 .ऑटोमैटिक थ्रॉटल मैनेजमेंट: लंबी उड़ान के दौरान इंजन फुल पावर पर नहीं चलता। इसमें एक प्रोग्राम्ड फ्लाइट मैनेजमेंट सिस्टम होता है जो थ्रस्ट को जरूरत के अनुसार एडजस्ट करता है, जिससे इंजन पर ज़्यादा लोड नहीं आता।

इतनी लंबी उड़ान संभव कैसे होती है?

1 .एयर-टू-एयर रिफ्यूलिंग (हवा में ईंधन भरना): B-2 बॉम्बर के पास अपने मिशन के दौरान अनेकों बार हवा में ईंधन भरवाने की सुविधा होती है। अमेरिका के KC-135 या KC-46 टैंकर विमान इसे मिड-एयर रिफ्यूलिंग देते हैं, जिससे इसे रनवे पर उतरने की ज़रूरत नहीं होती।

2 .डिज़ाइन और एरोडायनामिक्स: B-2 का फ्लाइंग विंग डिजाइन बेहद फ्यूल एफिशिएंट है। इसकी बॉडी में कम ड्रैग होता है जिससे यह अधिक समय तक उड़ान भर सकता है।

 पायलट इतने लंबे समय तक कैसे उड़ान भरते हैं?

B-2 बॉम्बर में दो पायलट होते हैं और उसमें बेसिक आराम की सुविधाएं भी होती हैं – जैसे आरामदायक सीटें, पोर्टेबल टॉयलेट, फूड स्टोरेज और ऑक्सीजन सपोर्ट। पायलट मिशन से पहले विशेष मानसिक और शारीरिक ट्रेनिंग से गुजरते हैं ताकि वे लगातार 40+ घंटे की उड़ान संभाल सकें।

किडनी को अंदर से साफ कर सकती हैं ये 2 चीजें!

हेल्थ डेस्क। किडनी यानी गुर्दे हमारे शरीर की सफाई व्यवस्था का एक अहम हिस्सा हैं। ये शरीर में मौजूद विषाक्त तत्वों और अतिरिक्त पानी को बाहर निकालने का काम करते हैं। यदि किडनी की कार्यप्रणाली बाधित हो जाए तो शरीर में टॉक्सिन जमा होने लगते हैं, जिससे कई तरह की गंभीर बीमारियाँ जन्म ले सकती हैं। ऐसे में ज़रूरी हो जाता है कि समय-समय पर किडनी की अंदर से सफाई की जाए। अच्छी बात यह है कि कुछ प्राकृतिक चीज़ें इस काम में बेहद कारगर हो सकती हैं। इनमें से दो चीज़ें तो आपके किचन में ही मौजूद हैं – नींबू पानी और धनिया का पानी।

1. नींबू पानी: प्राकृतिक डिटॉक्स ड्रिंक

नींबू विटामिन C और एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होता है। रोज़ सुबह गुनगुने पानी में नींबू निचोड़कर पीने से न सिर्फ पाचन तंत्र बेहतर होता है, बल्कि यह किडनी को अंदर से साफ करने में भी मदद करता है। नींबू में मौजूद साइट्रिक एसिड यूरिन को पतला करता है, जिससे यूरिक एसिड और अन्य विषैले तत्व किडनी में जम नहीं पाते। यह पथरी बनने की संभावना को भी कम करता है।

कैसे लें: सुबह खाली पेट एक गिलास गुनगुने पानी में आधा नींबू निचोड़कर पीएं। चाहें तो थोड़ा शहद भी मिला सकते हैं।

2. धनिया का पानी: किडनी की सफाई का सरल उपाय

धनिया सिर्फ स्वाद बढ़ाने के लिए नहीं, बल्कि सेहत सुधारने के लिए भी जाना जाता है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स और विटामिन्स किडनी की कार्यक्षमता को बेहतर बनाते हैं। धनिया के पत्तों को पानी में उबालकर पीने से शरीर से टॉक्सिन निकलते हैं और किडनी स्वच्छ बनी रहती है।

कैसे तैयार करें:

एक मुट्ठी ताजा धनिया के पत्ते लेकर 2 कप पानी में 10 मिनट तक उबालें। जब पानी आधा रह जाए तो छानकर ठंडा करें और रोज़ सुबह या शाम को पीएं।

यूपी के 6 जिलों में भारी बारिश को लेकर रेड अलर्ट

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में मानसून पूरी तरह से सक्रिय हो चुका है और राज्य के अधिकतर हिस्सों में तेज़ बारिश का सिलसिला शुरू हो गया है। भारतीय मौसम विभाग ने राज्य के विभिन्न जिलों के लिए चेतावनी जारी की है, जिसमें भारी से अत्यधिक भारी वर्षा की आशंका जताई गई है। खासतौर पर प्रदेश के छह जिलों — बहराइच, लखीमपुर खीरी, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, बिजनौर और मुरादाबाद — में अत्यधिक भारी वर्षा की संभावना के मद्देनज़र रेड अलर्ट जारी किया गया है।

मानसून की रफ्तार और प्रभाव

मौसम विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक अतुल कुमार सिंह के अनुसार, दक्षिण-पश्चिम मानसून अब पश्चिमी उत्तर प्रदेश के शेष हिस्सों में भी प्रभावी हो चुका है। इस कारण पूर्वी और पश्चिमी दोनों ही उत्तर प्रदेश में आगामी कुछ दिनों तक रुक-रुक कर वर्षा होने के आसार बने रहेंगे। लगातार बारिश से न केवल तापमान में गिरावट देखी गई है, बल्कि हवा में नमी की मात्रा भी काफी बढ़ गई है, जिससे उमस भरी गर्मी से राहत मिली है।

ऑरेंज अलर्ट वाले जिले

श्रावस्ती और सीतापुर समेत 10 जिलों — शामली, बागपत, मेरठ, अमरोहा, रामपुर, बरेली, पीलीभीत और शाहजहांपुर — में मौसम विभाग ने ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। इन इलाकों में भारी बारिश के साथ बिजली गिरने और तेज़ हवाओं के चलने की संभावना जताई गई है।

सतर्कता और सावधानी की अपील

राज्य प्रशासन और मौसम विभाग ने आमजन से अपील की है कि वे खराब मौसम के दौरान सतर्क रहें और अनावश्यक यात्रा से बचें। विशेष रूप से निचले इलाकों में जलभराव की स्थिति बन सकती है, जिससे जनजीवन प्रभावित हो सकता है। स्कूलों और अन्य सार्वजनिक संस्थानों को भी सावधानी बरतने की सलाह दी गई है। साथ ही, किसानों को खेतों में बिजली गिरने से बचाव के लिए सावधान रहने और फसल की सुरक्षा के उपाय अपनाने की सलाह दी गई है।

यूपी में बिजली उपभोक्ताओं को फिर बड़ा झटका

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं के लिए एक बार फिर से झटका देने वाली खबर सामने आई है। जुलाई महीने से प्रदेश में बिजली के बिलों में 1.97% का अतिरिक्त अधिभार (सरचार्ज) जोड़ा जाएगा। इसका असर सीधा-सीधा उपभोक्ताओं की जेब पर पड़ेगा। यदि कोई उपभोक्ता 1000 रुपये की बिजली खपत करता है, तो उसे अब 19.70 रुपये अतिरिक्त चुकाने होंगे।

क्या है यह अधिभार?

यह अधिभार ईंधन व ऊर्जा खरीद समायोजन (एफपीसीए) के अंतर्गत लगाया जा रहा है। दरअसल, यह शुल्क बिजली कंपनियों द्वारा ईंधन और ऊर्जा की खरीद में होने वाले उतार-चढ़ाव की भरपाई के लिए उपभोक्ताओं से वसूला जाता है। नियामक आयोग के आदेश के अनुसार, किसी महीने का एफपीसीए अधिभार उपभोक्ताओं से तीसरे महीने में वसूला जाएगा। इस लिहाज से जुलाई में लगने वाला अधिभार अप्रैल महीने के लिए है।

चार महीने में तीसरी बार वसूली

यह चौकाने वाली बात है कि पिछले चार महीनों में यह तीसरी बार है जब उपभोक्ताओं को अपने बिलों में अतिरिक्त भुगतान करना पड़ रहा है। केवल मई महीने में उपभोक्ताओं को थोड़ी राहत मिली थी, जब अधिभार में 2% की कटौती की गई थी। इसके उलट जून में उपभोक्ताओं को 4.27% अतिरिक्त अधिभार देना पड़ा।

उपभोक्ता परिषद ने जताई आपत्ति

राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने इस वसूली को अनुचित करार दिया है। उन्होंने कहा कि जब उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर 33,122 करोड़ रुपये से अधिक बकाया है, तो ऐसे में उपभोक्ताओं से बार-बार अधिभार वसूलना सही नहीं है। उनका कहना है कि आयोग ने नियमों को दरकिनार कर कंपनियों को अधिभार वसूलने की छूट दी है।

उपभोक्ताओं से करोड़ों की वसूली

जुलाई महीने में बिजली कंपनियां उपभोक्ताओं से लगभग 187 करोड़ रुपये की वसूली करेंगी। इससे पहले जून में यह आंकड़ा 390 करोड़ रुपये तक पहुंच गया था। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की लगातार बढ़ोतरी से मध्यम और निम्न आय वर्ग के उपभोक्ताओं पर भारी आर्थिक बोझ पड़ रहा है।

8वां वेतन आयोग: लाखों पेंशनभोगियों को बड़ी राहत

नई दिल्ली। सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए एक बड़ी राहत की खबर सामने आ रही है। 8वें केंद्रीय वेतन आयोग (8th Central Pay Commission) की चर्चा के साथ एक महत्वपूर्ण मुद्दा फिर से केंद्र में आ गया है – कम्यूटेड पेंशन की बहाली अवधि को 15 साल से घटाकर 12 साल करना। इस प्रस्ताव को लेकर वर्षों से मांग उठाई जा रही थी, जिसे अब सरकार गंभीरता से विचार कर रही है।

क्या है कम्यूटेड पेंशन?

सरकारी कर्मचारी जब रिटायर होते हैं, तो उन्हें यह विकल्प दिया जाता है कि वे अपनी पेंशन का एक हिस्सा एकमुश्त (lump sum) ले सकते हैं। इस प्रक्रिया को पेंशन का कम्यूटेशन (Commutation of Pension) कहते हैं। बदले में, उस कर्मचारी की मासिक पेंशन से एक तय हिस्सा 15 वर्षों तक काटा जाता है, ताकि सरकार उस एडवांस राशि की वसूली कर सके।

उदाहरण के लिए, यदि कोई कर्मचारी रिटायरमेंट पर ₹10,00,000 की कम्यूटेड राशि लेता है, तो उसकी मासिक पेंशन से एक निश्चित कटौती की जाती है, और 15 साल तक उसे पूरी पेंशन नहीं मिलती।

कम्यूटेड पेंशन बहाली की अवधि क्यों घटाई जाए?

नेशनल काउंसिल (JCM) और कई कर्मचारी यूनियनें यह मांग कर रही हैं कि बहाली की अवधि को 15 साल से घटाकर 12 साल कर दिया जाए। इसके पीछे कई मजबूत तर्क हैं:

ब्याज दरों में गिरावट – पिछले वर्षों में भारत में ब्याज दरें लगातार घटी हैं, जिससे सरकार द्वारा की जा रही वसूली की गणना अब कर्मचारियों के पक्ष में नहीं रह गई है।

असमानता और आर्थिक बोझ – कर्मचारी अपने ही पैसे का बड़ा हिस्सा वर्षों तक खो बैठते हैं, जिससे रिटायरमेंट के बाद आर्थिक दबाव बढ़ता है।

स्वास्थ्य और सामाजिक खर्च – बढ़ते मेडिकल खर्च, जीवन यापन की लागत, बच्चों की जिम्मेदारियां आदि कारणों से रिटायर कर्मचारियों को जल्दी पूरी पेंशन मिलना जरूरी हो गया है।

क्या हो सकता है फायदा?

यदि यह मांग स्वीकार हो जाती है और बहाली की अवधि 12 साल कर दी जाती है, तो: रिटायर कर्मचारियों को जल्दी पूरी पेंशन मिलनी शुरू हो जाएगी। वे अपनी सेहत, पारिवारिक जिम्मेदारियों और सामाजिक दायित्वों को बेहतर तरीके से पूरा कर पाएंगे। रिटायरमेंट के बाद की आर्थिक स्वतंत्रता और मानसिक संतुलन बेहतर होगा।

8वें वेतन आयोग में क्या है स्थिति?

7वां वेतन आयोग 31 दिसंबर 2025 को समाप्त हो रहा है और सामान्य प्रक्रिया के तहत अगला वेतन आयोग 1 जनवरी 2026 से लागू होना चाहिए। हालांकि: अभी तक सरकार ने 8वें वेतन आयोग के गठन की आधिकारिक घोषणा नहीं की है। Terms of Reference (ToR) भी घोषित नहीं किए गए हैं। फिर भी, कम्यूटेड पेंशन बहाली जैसे मुद्दे अब प्राथमिकता में लाए जा रहे हैं।

सुबह खाली पेट खाएं ये 4 चीजें, मर्दों में बढ़ेगी गजब की ताकत!

हेल्थ डेस्क। स्वस्थ जीवनशैली और संतुलित खानपान हर व्यक्ति के लिए जरूरी है, लेकिन पुरुषों को विशेष रूप से ऊर्जा, मांसपेशियों की मजबूती और सहनशक्ति बनाए रखने के लिए पोषण युक्त आहार की जरूरत होती है। आयुर्वेद और पोषण विशेषज्ञों की मानें तो सुबह खाली पेट कुछ विशेष चीजों का सेवन करने से न केवल शरीर में ताकत बढ़ती है, बल्कि पाचन, मानसिक ऊर्जा और हार्मोन बैलेंस भी बेहतर होता है।

1. अंकुरित मूंग (Sprouted Moong)

अंकुरित मूंग में प्रचुर मात्रा में प्रोटीन, फाइबर, आयरन और एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं। यह मांसपेशियों को मजबूत बनाता है और शरीर को लंबे समय तक ऊर्जा देता है। साथ ही, यह वजन को नियंत्रित करने और पेट साफ रखने में भी मदद करता है।

कैसे खाएं: सुबह एक मुट्ठी अंकुरित मूंग में थोड़ा सा नींबू और काला नमक डालकर सेवन करें।

2. अंकुरित चना (Sprouted Black Chickpeas)

अंकुरित काले चने पुरुषों के लिए एक प्राकृतिक 'प्रोटीन पावरहाउस' हैं। यह न सिर्फ मांसपेशियों की वृद्धि में सहायक है, बल्कि पुरुष हार्मोन्स के संतुलन को भी बेहतर करता है। यह आयरन और फॉस्फोरस से भरपूर होता है, जिससे शरीर में खून की मात्रा बढ़ती है।

कैसे खाएं: रातभर भीगाकर रखे हुए चनों को सुबह अच्छी तरह चबाकर खाएं, ऊपर से गुनगुना पानी पिएं।

3. भींगी किशमिश (Soaked Raisins)

किशमिश में प्राकृतिक शुगर, आयरन और एंटीऑक्सीडेंट प्रचुर मात्रा में होते हैं। यह यौन स्वास्थ्य को बेहतर बनाने, थकान दूर करने और शरीर में खून की कमी को दूर करने में सहायक है।

कैसे खाएं: रातभर 8-10 किशमिश पानी में भिगो दें और सुबह खाली पेट खाएं।

4. भीगे हुए बादाम (Soaked Almonds)

बादाम दिमाग और दिल की सेहत के लिए बेहतरीन माने जाते हैं। यह विटामिन E, मैग्नीशियम और हेल्दी फैट्स से भरपूर होते हैं, जो पुरुषों की फिजिकल और मेंटल परफॉर्मेंस को बेहतर बनाते हैं।

कैसे खाएं: 5-6 बादाम को रातभर पानी में भिगो दें और सुबह छिलका उतारकर खाएं।

दुनिया के टॉप 10 महाशक्तियां: जो बदल रहे हैं सत्ता का खेल?

नई दिल्ली। दुनिया की आर्थिक शक्तियां आज वैश्विक सत्ता के समीकरण को नई दिशा दे रही हैं। सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के आधार पर जो देश सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं हैं, वे न सिर्फ आर्थिक बल्कि राजनीतिक और सामरिक रूप से भी वैश्विक प्रभाव रखते हैं। 2025 के अनुमानित आंकड़ों के अनुसार, अमेरिका, चीन और जर्मनी जैसे देश अपनी ताकत बनाए हुए हैं, वहीं भारत भी तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के साथ विश्व की टॉप 5 महाशक्तियों में शामिल हो चुका है।

दुनिया की शीर्ष 10 अर्थव्यवस्थाएं (2025 अनुमानित जीडीपी के आधार पर)

संयुक्त राज्य अमेरिका – $30.51 ट्रिलियन

चीन – $19.23 ट्रिलियन

जर्मनी – $4.74 ट्रिलियन

भारत – $4.19 ट्रिलियन

जापान – $4.19 ट्रिलियन

यूनाइटेड किंगडम – $3.84 ट्रिलियन

फ्रांस – $3.21 ट्रिलियन

इटली – $2.42 ट्रिलियन

कनाडा – $2.23 ट्रिलियन

ब्राजील – $2.13 ट्रिलियन

महाशक्तियों की वैश्विक भूमिका

संयुक्त राज्य अमेरिका, दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के तौर पर, अपनी तकनीकी, रक्षा, और वित्तीय शक्ति के दम पर वैश्विक राजनीति में सबसे आगे है। चीन, जो तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के साथ है, विश्व व्यापार और उत्पादन में प्रमुख भूमिका निभा रहा है।

जर्मनी, यूरोप की आर्थिक शक्ति, अपनी तकनीकी दक्षता और निर्यात आधारित मॉडल के लिए जाना जाता है। वहीं भारत ने पिछले दशक में अपनी आर्थिक वृद्धि दर के बल पर विश्व के शीर्ष पांच आर्थिक महाशक्तियों में जगह बनाई है। भारत का विशाल बाजार, युवा जनसंख्या और डिजिटल क्रांति इसके आर्थिक विकास को गति दे रहे हैं।

भारत और उसकी बढ़ती ताकत

भारत का 4.19 ट्रिलियन डॉलर का अनुमानित GDP इसे जापान के बराबर करता है, और यह संकेत है कि भारत न केवल आर्थिक रूप से बल्कि वैश्विक मंच पर अपनी भूमिका मजबूत कर रहा है। टेक्नोलॉजी, सेवा क्षेत्र, और निर्माण क्षेत्र में निवेश बढ़ने से भारत की अर्थव्यवस्था और भी सुदृढ़ होगी।

अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाएं

ब्रिटेन, फ्रांस, इटली, कनाडा और ब्राजील जैसे देश भी वैश्विक आर्थिक प्रणाली में अपनी उपस्थिति बनाए हुए हैं, हालांकि उनकी वृद्धि दर में उतार-चढ़ाव आता रहता है। ये देश अपनी विशिष्ट आर्थिक नीतियों के आधार पर विश्व बाजार में अपनी पकड़ मजबूत कर रहे हैं।

(नोट: ये आंकड़े विभिन्न विश्वसनीय स्रोतों से लिए गए हैं और 2025 के अनुमानित हैं, इसलिए वास्तविक आंकड़ों में थोड़ी बहुत भिन्नता हो सकती है।)