1. हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल और क्रूज मिसाइल
भारत अब हाइपरसोनिक हथियारों के क्षेत्र में बड़ी छलांग लगाने जा रहा है। DRDO दो प्रमुख तकनीकों पर काम कर रहा है — हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल और स्क्रैमजेट इंजन वाली क्रूज मिसाइल। ये मिसाइलें 5 से 7 मैक की रफ्तार से उड़ेंगी, यानी आवाज़ की गति से पांच गुना तेज। इससे दुश्मन के लिए इन्हें रोक पाना लगभग नामुमकिन हो जाएगा। ग्लाइड व्हीकल का परीक्षण अगले 2-3 वर्षों में पूरा होने की उम्मीद है, जबकि स्क्रैमजेट सिस्टम की सफल टेस्टिंग भी हो चुकी है। ये मिसाइलें आने वाले समय में भारत के स्ट्राइक क्षमता को कई गुना बढ़ा देंगी।
2. ब्रह्मोस-एनजी — हर फाइटर जेट पर मौत का साया
DRDO ब्रह्मोस मिसाइल का अगला संस्करण BrahMos-NG विकसित कर रहा है, जो पुराने ब्रह्मोस की तुलना में हल्की और कॉम्पैक्ट होगी। इसका खास फायदा यह होगा कि इसे तेजस जैसे हल्के फाइटर जेट में भी फिट किया जा सकेगा। मतलब, भारत की पूरी वायु सेना अब ब्रह्मोस जैसी मारक क्षमता से लैस होगी, जिससे दुश्मन के लिए हर लड़ाकू विमान खतरा बन जाएगा। ब्रह्मोस-एनजी की टेस्टिंग भी जल्द ही शुरू होने वाली है और इसे 2024 से बाजार में लाने की योजना है।
3. लॉन्ग-रेंज सरफेस-टू-एयर मिसाइल सिस्टम
भारत अपने लॉन्ग-रेंज सरफेस-टू-एयर मिसाइल सिस्टम पर तेजी से काम कर रहा है, जिसे ‘कुशा प्रोजेक्ट’ के तहत विकसित किया जा रहा है। इस सिस्टम का नाम है ‘सुदर्शन चक्र’। यह दुश्मन की मिसाइलों और हवाई हमलों को 300 किलोमीटर से अधिक दूरी से ही नष्ट करने में सक्षम होगा। यह सिस्टम भारत के एयर डिफेंस को काफी हद तक आत्मनिर्भर और सुरक्षित बनाएगा।
4. AMCA — भारत का स्टील्थ वारियर
भारत अपनी पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान AMCA (Advanced Medium Combat Aircraft) पर तेजी से काम कर रहा है। सरकार ने 2024 में इस प्रोजेक्ट को मंजूरी दी और 120 एयरक्राफ्ट खरीदने की योजना बनाई है। AMCA का प्रोडक्शन अब HAL के बजाय एक पब्लिक-प्राइवेट मॉडल में होगा, जिससे उत्पादन में तेजी आएगी और लागत कम होगी। यह स्टील्थ तकनीक से लैस विमान भारत की वायु सेना को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाएगा।
5 .डायरेक्टेड एनर्जी वेपन
DRDO लेजर और माइक्रोवेव तकनीक का उपयोग करके हाई पावर डायरेक्टेड एनर्जी वेपन विकसित कर रहा है। ये हथियार बिना धमाके और धुएं के दुश्मन के ड्रोन, मिसाइल और इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम को निष्क्रिय कर सकते हैं। आने वाले वर्षों में यह तकनीक भारत की एयर डिफेंस प्रणाली का एक गुप्त लेकिन अत्यंत घातक हिस्सा बनेगी। इससे युद्ध के मैदान में भारत को भारी बढ़त मिलेगी।
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