पीपीपी के आधार पर चीन नंबर 1
वहीं, दूसरी तरफ पीपीपी यानी क्रय शक्ति समता के आधार पर तस्वीर बदल जाती है। पीपीपी का मतलब है कि किसी देश में एक डॉलर की वास्तविक क्रय शक्ति कितनी है। इस आधार पर देखा जाए तो चीन वैश्विक अर्थव्यवस्था में 19.29% हिस्सेदारी के साथ पहले स्थान पर है। अमेरिका 14.84% हिस्सेदारी के साथ दूसरे और भारत 8.49% के साथ तीसरे नंबर पर आ गया है।
क्यों ज़रूरी है पीपीपी की समझ?
पीपीपी यह बताता है कि किसी देश के नागरिकों की स्थानीय क्रय क्षमता कितनी है। उदाहरण के लिए, भारत में एक डॉलर में जो चीजें खरीदी जा सकती हैं, वह अमेरिका या यूरोप में नहीं खरीदी जा सकतीं। इसलिए पीपीपी विकासशील देशों की आर्थिक हकीकत को बेहतर ढंग से दर्शाता है।
भारत की मजबूती का संकेत
भारत का पीपीपी के आधार पर तीसरे स्थान पर पहुंचना कई मायनों में महत्वपूर्ण है। यह न केवल देश की बढ़ती आर्थिक ताकत का संकेत है, बल्कि यह भी बताता है कि भारत के नागरिकों की घरेलू बाजार में खरीदने की ताकत बढ़ी है। इससे निवेशकों, नीति निर्माताओं और वैश्विक मंचों पर भारत की स्थिति और मजबूत होती है।
टॉप 10 अर्थव्यवस्थाएं (पीपीपी के आधार पर):
चीन 19.29%, अमेरिका 14.84%, भारत 8.49%, रूस 3.49%, जापान 3.31%, जर्मनी 3.02%, इंडोनेशिया 2.44%, ब्राज़ील 2.39%, फ्रांस 2.19%, ब्रिटेन 2.16%।
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