जांच की प्रक्रिया और प्राथमिकताएं
वर्तमान में बिहार में कुल 1,15,600 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हो रहे हैं। ICDS निदेशालय ने हर सप्ताह एक जिले के तीन से चार आंगनबाड़ी केंद्रों की भौतिक जांच करने की योजना बनाई है। इसके लिए एक विशेष जांच टीम गठित की जाएगी जो केंद्रों का दौरा कर बच्चों की उपस्थिति, वृद्धि माप (growth monitoring), पोषण ट्रैकर की स्थिति, और अन्य व्यवस्थाओं की जांच करेगी।
प्राथमिकता उन केंद्रों को दी जाएगी जहां से लगातार शिकायतें मिल रही हैं। ऐसे केंद्रों में सेविकाओं द्वारा लाभार्थियों की संख्या गलत दर्ज करने, बच्चों की वृद्धि माप में गड़बड़ी और पोषण ट्रैकर पर झूठी जानकारी भेजने की शिकायतें आ रही हैं।
25 बिंदुओं पर होगी जांच
ICDS ने जांच के लिए 25 बिंदुओं की सूची तैयार की है। इनमें प्रमुख हैं: बच्चों की नियमित उपस्थिति, उनके वजन और ऊंचाई का सही मापन, पोषण ट्रैकर पर वास्तविक जानकारी अपलोड करना, लाभार्थियों का फेस कैप्चरिंग, गर्भवती महिलाओं और धात्री माताओं को मिलने वाली सुविधाएं, पोषाहार की गुणवत्ता और वितरण प्रणाली, फेस कैप्चरिंग में लापरवाही
निदेशालय द्वारा पोषण ट्रैकर में लाभार्थियों का फेस कैप्चरिंग अनिवार्य किया गया है। लेकिन अब तक केवल 55% लाभार्थियों की ही तस्वीरें अपलोड की गई हैं। सेविकाएं तकनीकी समस्याओं और संसाधनों की कमी का हवाला देकर इस कार्य में देरी कर रही हैं। अब इन दावों की भी वास्तविकता जांच के जरिए परखी जाएगी।
कार्रवाई के संकेत
ICDS निदेशक अमित पांडेय ने स्पष्ट रूप से कहा है कि जांच के दौरान जो भी सेविका या सहायिका दोषी पाई जाएगी, उस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। यह कार्रवाई चेतावनी, वेतन रोक, निलंबन अथवा सेवा से बर्खास्तगी के रूप में हो सकती है।
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