यूपी पंचायत चुनाव: प्रधान बनना चाहते हैं तो जानें ये बातें

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों की तैयारियों ने तेजी पकड़ ली है। 2026 के अप्रैल-मई में प्रस्तावित पंचायत चुनावों को देखते हुए राज्य सरकार, पंचायती राज विभाग और राज्य निर्वाचन आयोग ने अभी से कमर कस ली है। इसी क्रम में 28 जून 2025 से ग्राम पंचायतों के परिसीमन (Delimitation) की प्रक्रिया औपचारिक रूप से शुरू कर दी गई है।

क्या है परिसीमन प्रक्रिया?

परिसीमन वह प्रक्रिया है जिसके तहत जनसंख्या के आधार पर ग्राम पंचायतों, क्षेत्र पंचायतों और जिला पंचायतों के वार्डों का पुनर्गठन किया जाता है। इसमें हर वार्ड की जनसंख्या और क्षेत्रफल को ध्यान में रखते हुए नई सीमाएं तय की जाती हैं ताकि प्रतिनिधित्व संतुलित और न्यायसंगत हो।

समय-सीमा और प्रमुख चरण

पंचायती राज विभाग और निर्वाचन आयोग की ओर से एक स्पष्ट टाइमलाइन तय की गई है:

28 जून से: ग्राम पंचायतों का परिसीमन शुरू।

1 जुलाई से 3 जुलाई: प्रस्तावित परिसीमन सूची जारी।

4 जुलाई से 8 जुलाई: जनता से आपत्तियां आमंत्रित।

9 जुलाई से 11 जुलाई: प्राप्त आपत्तियों का निस्तारण।

12 जुलाई से 14 जुलाई: अंतिम परिसीमन सूची का प्रकाशन।

यह पूरी प्रक्रिया पारदर्शी ढंग से जनसुनवाई के माध्यम से संचालित की जा रही है ताकि किसी भी व्यक्ति या पंचायत को किसी तरह की अनदेखी महसूस न हो।

मतदाता सूची संशोधन की तैयारी

परिसीमन प्रक्रिया पूरी होते ही राज्य निर्वाचन आयोग मतदाता सूची के संशोधन का कार्यक्रम घोषित करेगा। इसमें आम लोगों को मतदाता सूची में नाम जोड़ने, हटाने और सुधार करने का अवसर मिलेगा। संभावना है कि 16 जुलाई 2025 से यह अभियान प्रदेशभर में शुरू हो सकता है, हालांकि इसकी आधिकारिक घोषणा अभी बाकी है।

आरक्षण निर्धारण पर भी काम तेज

इसके साथ ही पंचायती राज विभाग द्वारा आरक्षण नीति को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया भी तेज कर दी गई है। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग और महिला आरक्षण के आधार पर वार्डों का आरक्षण किया जाएगा, जिसकी जानकारी परिसीमन के बाद साझा की जाएगी।

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