परमाणु बम: फिशन की ताकत
परमाणु बम, जिसे एटम बम भी कहा जाता है, मुख्यतः फिशन (विभाजन) प्रक्रिया पर काम करता है। इसमें भारी तत्व जैसे यूरेनियम-235 या प्लूटोनियम-239 के नाभिक को टूटने पर ऊर्जा मुक्त होती है। इस प्रक्रिया में बहुत बड़ी मात्रा में ऊर्जा अचानक रिलीज होती है, जो विशाल विस्फोट और विनाश का कारण बनती है। परमाणु बम की ताकत को मेगाटन TNT के पैमाने पर मापा जाता है। उदाहरण के लिए, 1945 में हिरोशिमा पर गिराया गया परमाणु बम लगभग 15 मेगाटन TNT के बराबर था।
हाइड्रोजन बम: फ्यूजन की विस्फोटक ऊर्जा
हाइड्रोजन बम, जिसे थर्मोन्यूक्लियर बम भी कहा जाता है, फिशन के मुकाबले कहीं अधिक शक्तिशाली होता है। यह फ्यूजन (संलयन) प्रक्रिया पर आधारित है, जिसमें दो हल्के नाभिक, जैसे कि ड्यूटेरियम और ट्रिटियम, एक साथ मिलकर भारी नाभिक बनाते हैं और ऊर्जा छोड़ते हैं। हाइड्रोजन बम की खासियत यह है कि इसे शुरू करने के लिए एक छोटा परमाणु बम (फिशन बम) जरूरी होता है, जो इसकी ऊर्जा रिलीज़ की शुरुआत करता है। फ्यूजन प्रक्रिया की वजह से हाइड्रोजन बम की ऊर्जा परमाणु बम से कई गुना ज्यादा होती है।
कौन है ज्यादा ताकतवर?
ताकत की बात करें तो हाइड्रोजन बम परमाणु बम से कहीं ज्यादा विनाशकारी होता है। इसका विस्फोटक प्रभाव परमाणु बम के मुकाबले हजारों गुना तक बड़ा हो सकता है। इसलिए इसे सुपरबम भी कहा जाता है।
यूरेनियम की जरूरत में बड़ा फर्क
परमाणु बम बनाने के लिए भारी मात्रा में यूरेनियम-235 या प्लूटोनियम चाहिए होता है, क्योंकि फिशन प्रक्रिया इन्हीं तत्वों पर आधारित होती है। जबकि हाइड्रोजन बम में फ्यूजन ऊर्जा के लिए हल्के नाभिकों की जरूरत होती है, और इसे शुरू करने के लिए एक छोटा परमाणु बम चाहिए होता है, इसलिए इसमें यूरेनियम की मात्रा परमाणु बम की तुलना में कम होती है।
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