अब तक कम कर्मचारी जुड़े UPS से
केंद्र की मोदी सरकार ने UPS को 1 अप्रैल 2025 से लागू किया है, लेकिन अब तक केवल 10,000 से भी कम कर्मचारी इस स्कीम में शामिल हुए हैं। इसका मुख्य कारण UPS को लेकर फैली कुछ शंकाएं और स्पष्ट जानकारी की कमी बताई जा रही है।
क्या है यूनिफाइड पेंशन स्कीम?
UPS एक नई पेंशन प्रणाली है जिसमें कर्मचारी की ओर से वेतन का 10 प्रतिशत और सरकार की ओर से 10 प्रतिशत योगदान किया जाएगा। इसके अलावा सरकार की ओर से अतिरिक्त 8.5 प्रतिशत का अप्रत्यक्ष योगदान भी दिया जाएगा, जो सीधे तौर पर कर्मचारी के खाते में नहीं दिखेगा, लेकिन पेंशन के निर्धारण में शामिल होगा।
कर्मचारी क्यों हैं असमंजस में?
कई कर्मचारी मानते हैं कि UPS के अंतर्गत मिलने वाली एकमुश्त राशि (लंपसम) NPS की तुलना में कम हो सकती है। साथ ही, पूरी पेंशन प्राप्त करने के लिए लंबी सेवा की आवश्यकता भी UPS को लेकर अनिच्छा का कारण बन रही है। सरकार के 8.5% अतिरिक्त योगदान को लेकर भी पारदर्शिता की कमी है, जिससे भ्रम की स्थिति बनी हुई है।
सरकार की अपील
सरकार ने कहा है कि UPS एक स्थिर और भरोसेमंद पेंशन व्यवस्था है, जिसका उद्देश्य कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद आर्थिक सुरक्षा प्रदान करना है। सरकार ने कर्मचारियों से आग्रह किया है कि वे UPS की शर्तों को अच्छी तरह समझें और फिर सूझबूझ से निर्णय लें।
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