भारत के 'राफेल' में लगा हैं ये ताकतवर जेट इंजन

नई दिल्ली। भारतीय वायुसेना की ताकत में हाल ही में जबरदस्त इजाफा हुआ है, और इसका प्रमुख कारण है 'राफेल' लड़ाकू विमान। यह अत्याधुनिक मल्टीरोल फाइटर जेट फ्रांस की डसॉल्ट एविएशन कंपनी द्वारा निर्मित है, जो हवा से हवा और हवा से ज़मीन तक मार करने की अत्यधिक क्षमता रखता है। लेकिन इस घातक जंगी विमान की असली ताकत उसके दिल यानी इसके इंजन में छुपी हुई है।

कौन सा इंजन है राफेल में?

राफेल फाइटर जेट में स्नेकमा M88 (Snecma M88) नाम का ट्विन-टर्बोफैन जेट इंजन लगा हुआ है। यह एक लो-बाईपास रेशियो वाला हाई-थ्रस्ट इंजन है, जिसे खासतौर पर सुपरसोनिक गति और आधुनिक युद्ध की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है। इस इंजन की ताकत ने ही राफेल को भारतीय वायुसेना की रीढ़ बना दिया है।

स्नेकमा M88 इंजन की खासियतें:

1 .थ्रस्ट क्षमता: हर एक M88 इंजन करीब 7.5 टन थ्रस्ट देने में सक्षम है, और राफेल में दो इंजन लगे होते हैं। यानी कुल मिलाकर 15 टन से भी ज़्यादा की थ्रस्ट क्षमता होती है, जो इसे 2,000 किलोमीटर प्रति घंटे से भी तेज गति पर उड़ान भरने की शक्ति देता है।

2 .सुपरसोनिक क्रूज़िंग (Supercruise): राफेल बिना "afterburner" के भी सुपरसोनिक स्पीड (Mach 1.4) पर उड़ सकता है, जो इसे दुश्मनों से तेज और लंबी दूरी तक ऑपरेशन करने में मदद करता है। यह फीचर भारत के पड़ोस में किसी भी लड़ाकू विमान के पास नहीं है।

3 .कम मेंटेनेंस, ज़्यादा भरोसेमंद: M88 इंजन का डिज़ाइन इस तरह से किया गया है कि यह लंबे समय तक कम मेंटेनेंस में भी अच्छा प्रदर्शन करता है। युद्ध की स्थिति में यह बहुत बड़ा फायदा देता है।

4 .इलेक्ट्रॉनिक कंट्रोल सिस्टम: इंजन में लगा Full Authority Digital Engine Control (FADEC) सिस्टम इसके संचालन को पूरी तरह से कंप्यूटराइज्ड बनाता है, जिससे ईंधन की खपत कम होती है और परफॉर्मेंस बेहतर होता है।

भारत को क्या फायदा?

भारत जैसे देश, जिनकी सीमाएं कई मोर्चों पर संवेदनशील हैं, उन्हें ऐसे फाइटर जेट की जरूरत थी जो तकनीक, ताकत और भरोसे के मामले में अव्वल हो। M88 इंजन के दम पर राफेल ऊंचाई वाले क्षेत्रों, जैसे लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में आसानी से ऑपरेशन कर सकता है। इसके साथ ही यह भारतीय वायुसेना को हवा में वर्चस्व बनाए रखने में मदद करता है।

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