यूपी से बिहार शराब लाने वालों की खैर नहीं: बढ़ेगी चौकसी

पटना। बिहार में शराबबंदी के बावजूद अवैध शराब की तस्करी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है, खासकर उत्तर प्रदेश की सीमा से सटे इलाकों में। ताजा सरकारी आंकड़ों के अनुसार, बिहार में जनवरी से मई 2025 के बीच दर्ज किए गए 64 अवैध शराब मामलों में करीब 25% शराब यूपी में निर्मित पाई गई। इस गंभीर स्थिति को देखते हुए बिहार और उत्तर प्रदेश के मद्य निषेध एवं आबकारी विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग बैठक आयोजित की गई।

सीमावर्ती क्षेत्रों में बढ़ेगी निगरानी

बैठक में यह निर्णय लिया गया कि यूपी की उन शराब दुकानों पर भी विशेष नजर रखी जाएगी, जो बिहार की सीमा से दस किलोमीटर के भीतर स्थित हैं। इन दुकानों की खपत का विश्लेषण कर यह देखा जाएगा कि कहीं इनसे बिहार में अवैध रूप से शराब तो नहीं पहुंचाई जा रही। किसी भी तरह की अनियमितता की स्थिति में न केवल दुकानों पर, बल्कि संबंधित निर्माण कंपनियों पर भी कड़ी जांच और कार्रवाई की जाएगी।

नए चेक पोस्ट और संयुक्त टीमों की तैनाती

बैठक में तय हुआ कि सीमावर्ती इलाकों में नए चेक पोस्ट बनाए जाएंगे और संयुक्त छापेमारी टीमों का गठन किया जाएगा। इससे न केवल अवैध शराब की आवाजाही पर अंकुश लगेगा, बल्कि तस्करों पर भी प्रभावी कार्रवाई हो सकेगी। अधिकारियों ने यह भी स्वीकार किया कि चुनाव जैसे अवसरों पर शराब तस्करी का खतरा और अधिक बढ़ जाता है, लिहाजा इस पर विशेष निगरानी की जरूरत है।

आधुनिक तकनीक से लैस होगा तंत्र

रेलवे, सड़क और नदी मार्गों से हो रही तस्करी को रोकने के लिए ड्रोन, सीसीटीवी कैमरे, हैंड हेल्ड स्कैनर और खोजी कुत्तों जैसी आधुनिक तकनीकों के उपयोग का सुझाव दिया गया। ये संसाधन न केवल निगरानी बढ़ाएंगे, बल्कि दोषियों की पहचान और गिरफ्तारी में भी मददगार होंगे।

समन्वय से होगी सख्त कार्रवाई

बैठक में बिहार के एडीजी मद्य निषेध डॉ. अमित कुमार जैन, उत्तर प्रदेश के उत्पाद आयुक्त डॉ. आदर्श सिंह, बिहार सरकार के सचिव अजय यादव तथा आबकारी विभाग के अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए। दोनों राज्यों के सीमावर्ती 16 जिलों के सहायक आयुक्त और जिला उत्पाद पदाधिकारी भी VC के जरिए बैठक में जुड़े। यह भी तय हुआ कि भविष्य में दोनों राज्यों के बीच नियमित समन्वय बैठकें होंगी और सूचनाओं का त्वरित आदान-प्रदान किया जाएगा।

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