विश्व बैंक की रिपोर्ट: धीमी रफ्तार, लेकिन सबसे आगे
हाल ही में विश्व बैंक की एक रिपोर्ट में यह स्पष्ट किया गया कि वित्त वर्ष 2025-26 में भारत की आर्थिक विकास दर 6.3% रह सकती है, जो पहले अनुमानित 6.7% से थोड़ी कम है। इसके बावजूद भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बना रहेगा। यह दर्शाता है कि वैश्विक अस्थिरता के बावजूद भारत की आंतरिक आर्थिक मजबूती और नीतिगत स्थिरता उसे आगे बनाए रखेगी।
2015: एक ऐतिहासिक मोड़
भारत ने 2015 में चीन को पीछे छोड़ते हुए सबसे तेज़ी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था का दर्जा हासिल किया था। इसका बड़ा कारण था तेल की कीमतों में गिरावट, जिससे भारत को आर्थिक रूप से बड़ा फायदा मिला। उस समय देश में महंगाई नियंत्रण में थी, रुपये की स्थिति अपेक्षाकृत स्थिर थी और नीतिगत निर्णयों में स्पष्टता थी। इन सबने मिलकर भारत को एक मजबूत आर्थिक राह पर डाल दिया।
भारत की विकास यात्रा के प्रमुख स्तंभ
मजबूत घरेलू खपत: भारत की विशाल आबादी और बढ़ती मिडिल क्लास ने घरेलू मांग को निरंतर ऊंचा बनाए रखा है।
डिजिटल क्रांति: UPI, आधार, डिजिटल बैंकिंग और सरकारी योजनाओं ने अर्थव्यवस्था को तकनीकी रूप से सशक्त किया है।
इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश: सड़क, रेल, बंदरगाह और एयरपोर्ट जैसे क्षेत्रों में सरकार के बढ़ते निवेश ने ग्रोथ को रफ्तार दी है।
स्टार्टअप और इनोवेशन: भारत अब विश्व का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम बन चुका है। जिससे देश को गति मिल रही हैं।
FDI और मेक इन इंडिया: भारत में विदेशी निवेश बढ़ रहा है और 'मेक इन इंडिया' जैसे अभियानों ने विनिर्माण क्षेत्र को नया जीवन दिया है।
वैश्विक चुनौतियां, लेकिन आशावादी भारत
दुनिया भर में जहां मंदी, आपूर्ति श्रृंखला में बाधाएं और भू-राजनीतिक तनाव आर्थिक अनिश्चितता को बढ़ा रहे हैं, भारत एक अपवाद की तरह उभरा है। यह जरूर है कि उच्च ब्याज दरों, वैश्विक मांग में गिरावट और मॉनसून पर निर्भरता जैसे कुछ जोखिम भारत के सामने भी हैं, लेकिन कुल मिलाकर देश का आर्थिक परिदृश्य आशाजनक बना हुआ है।
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