क्यों जरूरी है ग्राम पंचायतों का परिसीमन?
2021 के पंचायत चुनावों के बाद प्रदेश के कई हिस्सों में नगर पंचायत, नगर पालिका परिषद और नगर निगम बनाए गए हैं या उनके सीमा विस्तार किए गए हैं। इससे बड़ी संख्या में ग्राम पंचायतें सीधे तौर पर प्रभावित हुई हैं, जिनकी जनसंख्या घटकर 1000 से कम हो गई है।
उत्तर प्रदेश पंचायत राज अधिनियम के अनुसार, 1000 की न्यूनतम जनसंख्या पंचायत क्षेत्र घोषित करने के लिए जरूरी है। ऐसे में नई परिसीमन प्रक्रिया के तहत: शहरी क्षेत्र में शामिल हो चुकी ग्राम पंचायतों को हटाया जाएगा। बचे हुए राजस्व ग्रामों को नजदीकी ग्राम पंचायत में शामिल किया जाएगा। यदि कोई राजस्व ग्राम नगरीय सीमा में शामिल नहीं हुआ है और 1000 की जनसंख्या वाला है, तो उसे नई ग्राम पंचायत के रूप में घोषित किया जा सकता है।
परिसीमन की समयसारिणी
ग्राम पंचायतवार जनसंख्या निर्धारण: 28 जून – 30 जून 2025
वार्डों की प्रस्तावित सूची का प्रकाशन: 1 जुलाई – 3 जुलाई 2025
आपत्तियों की प्राप्ति: 4 जुलाई – 8 जुलाई 2025
आपत्तियों का निस्तारण: 9 जुलाई – 11 जुलाई 2025
अंतिम सूची का प्रकाशन: 12 जुलाई – 14 जुलाई 2025
अंतिम सूची पंचायतीराज निदेशालय को सौंपना: 16 जुलाई 2025 तक
कौन सी पंचायतें होंगी प्रभावित?
राज्यभर में उन ग्राम पंचायतों पर प्रभाव पड़ेगा: जिनकी कुछ या सभी राजस्व ग्राम अब नगर निकायों में शामिल हो चुके हैं। जिनकी कुल जनसंख्या 1000 से कम रह गई है। जो अब नए परिसीमन के मानकों के अनुरूप नहीं रह गई हैं। उदाहरणस्वरूप: यदि किसी एकल राजस्व ग्राम पर आधारित ग्राम पंचायत की जनसंख्या 1000 है, तो वह यथावत बनी रहेगी। परंतु यदि ग्राम पंचायत का कुछ हिस्सा नगर निगम में चला गया है और शेष हिस्सा मानक पूरा नहीं करता, तो वह समाप्त की जा सकती है।
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