ईरान पर हमला, दुनिया को संदेश
इस अभियान में अमेरिका ने मिसौरी स्थित वॉइटमैन एयर फोर्स बेस से सात B-2 बॉम्बर रवाना किए। इन बमवर्षकों ने अटलांटिक और भूमध्य सागर को पार करते हुए 36 घंटे का लंबा मिशन पूरा किया, जो 2001 के बाद से B-2 बॉम्बर का सबसे लंबा मिशन था। उन्होंने बिना किसी रुकावट के ईरान के हवाई क्षेत्र में प्रवेश किया, तीन गुप्त परमाणु ठिकानों को निशाना बनाया और पूरी तरह सुरक्षित अपने बेस लौट आए।
चीन में बढ़ी चिंता, विशेषज्ञों की प्रतिक्रियाएं तेज
ईरान में B-2 की इस सफलता के बाद अब चीन में भी इसके असर दिखाई दे रहे हैं। साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन के रक्षा विशेषज्ञ अब इस बात पर जोर दे रहे हैं कि रणनीतिक बमवर्षक किसी भी बड़ी सेना की जरूरत हैं। पूर्व पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के इंस्ट्रक्टर और सैन्य विश्लेषक सोंग जोंगपिंग ने कहा,
“रणनीतिक बमवर्षक की कोई जगह नहीं ले सकता — यह न केवल पारंपरिक, बल्कि परमाणु हमले के लिए भी अनिवार्य है। लंबी दूरी की मिसाइलें चाहे जितनी भी आधुनिक हों, लेकिन इंसानी नियंत्रण और फ्लेक्सिबिलिटी का कोई विकल्प नहीं।” यह बयान स्पष्ट संकेत है कि अमेरिका के B-2 बॉम्बर के प्रदर्शन ने चीन को भी अपनी रणनीतिक क्षमताओं पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर कर दिया है।
एशिया में शक्ति संतुलन की नई तस्वीर
B-2 बॉम्बर केवल एक विमान नहीं है — यह अमेरिका की वैश्विक सैन्य पहुंच और युद्धक रणनीति का प्रतीक है। इसका सफल उपयोग न केवल ईरान को चेतावनी है, बल्कि यह चीन, रूस और उत्तर कोरिया जैसे देशों को एक रणनीतिक संदेश भी देता है की "अमेरिका कहीं भी, कभी भी और बिना देखे भी हमला कर सकता है।"
B-2 की लंबी दूरी, स्टील्थ तकनीक, बंकर बस्टिंग क्षमता और अचूकता इसे 21वीं सदी का युद्ध-निर्धारक हथियार बनाते हैं। अब जब अमेरिका ने इसे सक्रिय ऑपरेशन में तैनात किया है, तो इसका प्रभाव केवल ईरान तक सीमित नहीं रहेगा।
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