यूपी में सरकारी कर्मचारियों के लिए नई आवास नीति

लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए आवासीय व्यवस्था में एक महत्वपूर्ण और स्वागतयोग्य बदलाव किया है। अब सरकारी कर्मचारियों को पहले से कहीं बड़े और आधुनिक आवास उपलब्ध कराए जाएंगे, जो उनके जीवन स्तर को बेहतर बनाने में मदद करेंगे। इस नई नीति के तहत न केवल आवास का क्षेत्रफल बढ़ाया गया है, बल्कि डिजाइन और आधुनिक सुविधाओं को भी शामिल किया गया है।

नई आवास नीति की मुख्य बातें

1 .न्यूनतम फ्लैट का आकार: नई नीति में सबसे कम वेतन पाने वाले कर्मचारियों के लिए भी कम से कम 400 वर्ग फीट का फ्लैट निश्चित किया गया है। इससे उन कर्मचारियों को राहत मिलेगी जिनके पास अपना निजी मकान नहीं है और जो सरकारी आवास पर निर्भर हैं।

2 .टाइप-1 से टाइप-7 तक आवास: आवासों को श्रेणियों में बांटा गया है, जहाँ टाइप-1 सबसे छोटे फ्लैट होंगे और टाइप-7 तक बंगले की व्यवस्था होगी। कर्मचारी की वरिष्ठता और वेतन के अनुसार आवास का आकार बढ़ेगा। सामान्य कर्मचारियों को कम से कम 2BHK फ्लैट मिलेगा, जबकि वरिष्ठ अधिकारियों के लिए बड़े बंगले बनेंगे।

3 .हाउस रेंट अलाउंस (HRA) बंद: नई नीति के अनुसार, जो कर्मचारी सरकारी आवास प्राप्त करेंगे, उन्हें मकान किराया भत्ता (HRA) नहीं मिलेगा। यह कदम सरकार की संसाधनों के न्यायसंगत उपयोग की दिशा में एक पहल है।

4 .आधुनिक डिजाइन और सुविधाएं: आवासों के निर्माण में आधुनिक तकनीकों और बेहतर डिजाइन को प्राथमिकता दी गई है, ताकि कर्मचारियों को आरामदायक और सुरक्षित आवास मिल सके।

नीति का उद्देश्य और प्रभाव

उत्तर प्रदेश सरकार का यह कदम कर्मचारियों के जीवन स्तर को सुधारने और उनके कल्याण को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ा प्रयास है। पिछले दशकों से चली आ रही पुरानी आवास नीति (जो 31 मई 1979 से लागू थी) अब बदल गई है, ताकि आधुनिक जरूरतों और बदलते रहन-सहन के हिसाब से बेहतर व्यवस्था की जा सके। 

लोक निर्माण विभाग (PWD) ने इस योजना को अंतिम रूप देते हुए इसे कर्मचारियों के लिए राहतकारी बताया है। प्रमुख सचिव अजय कुमार चौहान ने इस नीति को कर्मचारियों के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि करार दिया है।इसके साथ ही यह नीति आवास आवंटन में पारदर्शिता सुनिश्चित करेगी।

0 comments:

Post a Comment