GDP से लेकर महंगाई तक: जानिए मनमोहन सिंह और मोदी राज में किसने दी बेहतर अर्थव्यवस्था?

नई दिल्ली। देश की अर्थव्यवस्था को लेकर एक बड़ा सवाल हमेशा चर्चा में रहता है — किस सरकार ने भारत की अर्थव्यवस्था को बेहतर दिशा दी: मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार या नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार?

इकोनॉमिक टाइम्स और अन्य विश्वसनीय स्रोतों के आधार पर जब हम आंकड़ों का तुलनात्मक विश्लेषण करते हैं, तो तस्वीर काफी कुछ साफ होती है। आइए, GDP, मुद्रास्फीति, चालू खाता घाटा, विदेशी मुद्रा भंडार और Ease of Doing Business जैसे आर्थिक संकेतकों से इस बहस को समझने की कोशिश करते हैं।

GDP: विकास दर में मामूली अंतर

यूपीए सरकार (2004-2014) के दौरान देश की औसत जीडीपी विकास दर 6.8% रही। यह वह दौर था जब वैश्विक आर्थिक संकट (2008) के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था ने स्थिरता बनाए रखी। वहीं, मोदी सरकार (2014–2022) के दौरान यह दर औसतन 5.25% रही। हालांकि कोविड महामारी के वर्षों को हटा दिया जाए, तो यह दर 6.84% तक पहुंच जाती है, जो मनमोहन सरकार के प्रदर्शन के बराबर मानी जा सकती है।

मुद्रास्फीति: महंगाई पर किसका रहा नियंत्रण?

मनमोहन सरकार के समय औसत मुद्रास्फीति दर 7.5% थी, जबकि मोदी सरकार ने इसे घटाकर 5% के आसपास बनाए रखा। खुदरा महंगाई को नियंत्रित रखने के लिए मौद्रिक नीतियों और खाद्य आपूर्ति प्रबंधन ने अहम भूमिका निभाई।

निष्कर्ष: कौन रहा बेहतर?

GDP विकास दर के मामले में दोनों सरकारें लगभग बराबर रहीं, मनमोहन सरकार 6.8% और मोदी सरकार कोविड प्रभाव हटाकर 6.84% पर रही।

मुद्रास्फीति पर नियंत्रण में मोदी सरकार ने बेहतर प्रदर्शन किया, औसतन 5% के मुकाबले मनमोहन सरकार में यह 7.5% रही।

वित्तीय घाटा के मोर्चे पर भी मोदी सरकार आगे रही, जहां यह 3.7% तक सीमित रहा, वहीं यूपीए काल में यह 4.3% था।

चालू खाता घाटा (CAD) में भी मोदी सरकार ने संतुलन साधा, इसे घटाकर 1.6% तक लाया गया जबकि मनमोहन काल में यह 2.4% था।

विदेशी मुद्रा भंडार के मामले में मोदी सरकार ने बड़ी बढ़त बनाई, 2023 में भंडार बढ़कर $595.98B पहुंच गया, जबकि 2014 में यह $304.2B था।

व्यापार सुगमता रैंकिंग (Ease of Doing Business) में मोदी सरकार ने उल्लेखनीय सुधार किए, रैंकिंग 134 से सुधरकर 63 पर आ गई।

विदेशी कर्ज जरूर बढ़कर $613B हुआ, लेकिन यह GDP अनुपात में अब भी संतुलित और नियंत्रण में माना जा रहा है।

नोट : यह आंकड़ा यूपीए सरकार (2004-2014) और मोदी सरकार (2014–2022) के बीच के हैं। 

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