भारत की नई मिसाइल का भौकाल: 1500 किमी दूर तक वार!

नई दिल्ली। भारत ने अपनी रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने के लिए एक और महत्वपूर्ण कदम उठाया है। हाल ही में ग्रीस में आयोजित DEFEA 2025 रक्षा प्रदर्शनी में भारत ने अपनी स्वदेशी विकसित लॉन्ग रेंज लैंड अटैक क्रूज मिसाइल (LRLACM) को दुनिया के सामने प्रस्तुत किया। यह मिसाइल न केवल तकनीकी रूप से अत्याधुनिक है, बल्कि इसकी लंबी दूरी की मारक क्षमता इसे एक गेम चेंजर बनाती है, जो भारत की सुरक्षा रणनीति में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है।

LRLACM: एक परिचय

LRLACM को भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित किया गया है। यह मिसाइल मल्टीरोल और उच्च सटीकता वाली हथियार प्रणाली है, जिसे जमीन और नौसेना दोनों प्लेटफॉर्म से लॉन्च किया जा सकता है। नवंबर 2024 में इस मिसाइल का पहला सफल परीक्षण किया गया था, और 2025 के अंत तक इसे भारतीय सशस्त्र बलों में शामिल किए जाने की योजना है।

तकनीकी विशेषताएं और ताकत

इस मिसाइल की सबसे बड़ी खासियत इसकी रेंज है। जमीनी प्लेटफॉर्म से LRLACM की मारक दूरी लगभग 1,500 किलोमीटर है, जबकि नौसैनिक प्लेटफॉर्म से इसे 1,000 किलोमीटर तक दागा जा सकता है। यह लंबी दूरी की मारक क्षमता भारत को दुश्मनों के लिए एक गंभीर खतरा बनाती है, भले ही वे कितनी भी दूर हों।

LRLACM पारंपरिक और परमाणु दोनों प्रकार के वॉरहेड ले जाने में सक्षम है, जो इसे रणनीतिक हमलों के लिए अत्यंत उपयोगी बनाता है। साथ ही, इसमें एडवांस नेविगेशन सिस्टम लगा है, जो लक्ष्य पर सटीक निशाना लगाने में मदद करता है। यह मिसाइल समुद्र और जमीन दोनों ही प्लेटफॉर्म से हमले की क्षमता बढ़ाती है, जिससे भारत की रक्षा प्रणाली अधिक मजबूत और विश्वसनीय हो जाती है।

भारतीय नौसेना की क्षमता में वृद्धि

LRLACM की नौसैनिक संस्करण की मारक दूरी 1500 किलोमीटर होने के कारण यह भारतीय नौसेना की समुद्री हमला क्षमताओं को बढ़ाएगी। इससे हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की सामरिक ताकत और प्रभावशाली होगी। क्षेत्रीय सुरक्षा में बढ़ोतरी के साथ ही यह मिसाइल समुद्री सीमाओं की रक्षा के लिए एक मजबूत कवच का काम करेगी।

भारत की रक्षा में एक बड़ा मील का पत्थर

LRLACM की सफलताएं भारत की रक्षा तकनीक और आत्मनिर्भरता के लिए गर्व का विषय हैं। यह मिसाइल न केवल सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसे घरेलू संसाधनों से विकसित किया जाना भारत के रक्षा उत्पादन और तकनीकी क्षेत्र की प्रगति को भी दर्शाता है। इसके साथ ही, यह मिसाइल क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर भारत की सामरिक स्थिति को मजबूत करेगी।

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