FPV ड्रोन प्लाटून: युद्ध का नया चेहरा
भारतीय सेना अब प्रत्येक पैदल सेना बटालियन में फर्स्ट-पर्सन व्यू (FPV) ड्रोन प्लाटून स्थापित करने की योजना पर काम कर रही है। इसका उद्देश्य है, जमीनी अभियानों में आधुनिक तकनीकों को शामिल कर सैनिकों को अधिक सक्षम और प्रभावी बनाना। ये FPV ड्रोन सैनिकों को रियल टाइम वीडियो फीड के ज़रिये आगे के इलाके की पूरी जानकारी देंगे, जिससे दुश्मन के मूवमेंट का तुरंत पता चल सकेगा।
जमीनी अभियानों में हाई-टेक
भारतीय सेना का फोकस अब यह है कि निगरानी और हमलों की रणनीति में आधुनिक तकनीक को एकीकृत किया जाए। ड्रोन की मदद से दुश्मन की लोकेशन, संभावित खतरे और इलाकों की स्थिति पहले ही जानी जा सकती है, जिससे सैनिकों को बेहतर योजना बनाने में सहायता मिलती है। इन ड्रोन की सहायता से सेना अब न केवल दुश्मन की हरकतों पर नजर रख सकेगी, बल्कि हमला करने के तरीके भी बदल जाएंगे।
FPV प्लाटून की संरचना
एक FPV प्लाटून में अनुमानित रूप से 20 से 30 प्रशिक्षित कर्मी होंगे। इसमें ड्रोन ऑपरेटर, तकनीशियन और अन्य सहायक स्टाफ शामिल होंगे। ये यूनिट्स मौजूदा ‘घातक प्लाटून’ (कमांडो यूनिट्स) के साथ मिलकर अभियान चलाएंगी, जिससे दुश्मन पर गहरा और सटीक प्रभाव डाला जा सकेगा।
ड्रोन करेंगे ये 3 प्रमुख काम:
सर्वे और ट्रैकिंग: दुश्मन की स्थिति, इलाके की बनावट और खतरे की आशंका का तत्काल पता लगाएंगे।
पेलोड डिलीवरी: विस्फोटक, ग्रेनेड जैसे छोटे हथियार लक्षित स्थान तक पहुंचाएंगे।
सीमा निगरानी: पाकिस्तान और चीन की सीमाओं पर संवेदनशील क्षेत्रों में नजर रखेंगे।
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