भारत बना रहा घातक 'रॉकेट': दुश्मनों की खैर नहीं!

नई दिल्ली। भारत की रक्षा क्षमताओं को नया आयाम देने की दिशा में एक और ठोस प्रगति हुई है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने अगली पीढ़ी के गाइडेड मल्टी-बैरेल रॉकेट सिस्टम — पिनाका-IV — के विकास पर कार्य शुरू कर दिया है। यह प्रणाली न केवल वर्तमान आर्टिलरी सिस्टम की सीमाओं को पार करेगी, बल्कि भारत की सामरिक स्वायत्तता को और सुदृढ़ बनाएगी।

पिनाका प्रणाली का विकास: एक रणनीतिक यात्रा

पिनाका रॉकेट प्रणाली की जड़ें भारत के कारगिल युद्ध के अनुभवों में हैं, जहाँ इसकी आवश्यकता पहली बार गंभीर रूप से महसूस की गई। Mk-I वर्जन के साथ शुरुआत करते हुए जिसकी मारक क्षमता 40 किलोमीटर तक सीमित थी, भारत ने इसे क्रमशः Mk-II और Mk-III संस्करणों तक अपग्रेड किया, जिनकी रेंज क्रमशः 90 किमी और 120 किमी तक पहुँची। अब पिनाका-IV के रूप में भारत एक 300 किलोमीटर तक मार करने वाली स्मार्ट और घातक प्रणाली की ओर बढ़ रहा है।

पिनाका-IV: तकनीकी विशेषताएं जो इसे विशिष्ट बनाती हैं

1. लंबी दूरी और उच्च सटीकता

पिनाका-IV की सबसे बड़ी उपलब्धि इसकी लंबी रेंज और उच्च सटीकता है। यह प्रणाली 300 किलोमीटर तक मार कर सकती है और 10 मीटर से भी कम CEP (Circular Error Probable) के साथ लक्ष्य को भेद सकती है — जो इसे एक क्वासी-बैलिस्टिक प्रिसिजन वेपन बनाता है।

2. बड़ा कैलिबर, घातक वारहेड

पूर्व संस्करणों की तुलना में पिनाका-IV में 300 मिमी का कैलिबर होगा, जिससे यह लगभग 250 किलोग्राम तक का वॉरहेड ले जाने में सक्षम होगी। यह इसे दुश्मन के गहरे और संरक्षित ठिकानों को ध्वस्त करने में प्रभावी बनाता है।

3. एडवांस्ड GNC सिस्टम

DRDO के रिसर्च सेंटर इमारत (RCI) द्वारा विकसित गाइडेंस, नेविगेशन और कंट्रोल सिस्टम इस रॉकेट को अद्वितीय सटीकता प्रदान करता है। यह सिस्टम GPS/INS आधारित नेविगेशन के साथ मिशन-कॉन्फिगरेशन के लिए अत्यधिक अनुकूल है।

4. किफायती सामरिक विकल्प

पिनाका-IV को प्रलय जैसी सामरिक बैलिस्टिक मिसाइलों का कम लागत वाला विकल्प माना जा रहा है। सीमित दूरी की कार्यवाहियों में यह अत्यधिक प्रभावी और लागत-प्रभावी विकल्प हो सकता है।

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