मिसाइलों का भंडार बढ़ा रहा भारत, जानकार चौंक जाएंगे

नई दिल्ली। भारत ने हाल के वर्षों में अपनी रक्षा क्षमता को बढ़ाने के लिए मिसाइलों के भंडार में अभूतपूर्व वृद्धि की है। यह कदम देश की सुरक्षा रणनीति को सशक्त बनाने के साथ-साथ क्षेत्रीय और वैश्विक सैन्य संतुलन को भी प्रभावित कर रहा है। विशेषज्ञ इस तेजी से हो रही मिसाइल तकनीक में सुधार और भंडार विस्तार को देखकर आश्चर्यचकित हैं।

आधुनिक मिसाइल तकनीक में भारत की पकड़

भारत ने सिर्फ रॉकेट और बैलिस्टिक मिसाइलों तक ही सीमित नहीं रखा, बल्कि क्रूज मिसाइल, पृथ्वी श्रृंखला, अग्नि श्रृंखला, और नयी पीढ़ी की हाइपरसोनिक मिसाइलों का भी विकास किया है। इन मिसाइलों की मारक क्षमता, सटीकता और गति में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। भारतीय रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) लगातार नई मिसाइल तकनीक विकसित कर रहा है जो देश की सैन्य ताकत को नई ऊंचाइयों पर ले जा रही है।

रणनीतिक महत्व और वैश्विक असर

भारत की इस मिसाइल वृद्धि का मुख्य उद्देश्य अपनी रक्षा को मजबूत बनाना और पड़ोसी देशों से बढ़ते खतरों का मुकाबला करना है। खासकर चीन और पाकिस्तान के साथ तनावपूर्ण संबंधों को देखते हुए भारत ने मिसाइलों के भंडार में तेजी से वृद्धि की है। यह न केवल भारत की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि दक्षिण एशिया क्षेत्र में शक्ति संतुलन को भी प्रभावित करता है।

मिसाइल भंडार में वृद्धि 

भारत के प्रमुख मिसाइलों में पृथ्वी, अग्नि, ब्रह्मोस, शौर्य, के-15, के-4, सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल रुद्रप्रयाग, नाग, आकाश, शिव, त्रिशूल और बालिस्टिक मिसाइल ड्रोन शामिल हैं। इसके अलावे भारत में एंटी सैटेलाइट और हाइपरसोनिक मिसाइल म भी तेजी से वृद्धि की हैं। सैन्य विश्लेषक कहते हैं कि भारत की मिसाइल क्षमता में यह वृद्धि न केवल सुरक्षा के लिहाज से जरूरी है, बल्कि यह देश की रणनीतिक स्वतंत्रता को भी बढ़ावा देती है।

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