आयोग का उद्देश्य और महत्व
इस आयोग का गठन आरक्षण की प्रक्रिया को पारदर्शी, न्यायसंगत और विवाद मुक्त बनाने के उद्देश्य से किया जा रहा है। आयोग की जिम्मेदारी होगी कि वह प्रदेश के विभिन्न जिलों का दौरा कर अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की जनसंख्या का सटीक आकलन करे और उसके आधार पर आरक्षण की व्यवस्था सुनिश्चित करे। इससे यह तय होगा कि पंचायत चुनावों में सभी वर्गों को उनकी जनसंख्या के अनुपात में प्रतिनिधित्व मिल सके।
जनसंख्या के आधार पर आरक्षण
2011 की जनगणना के अनुसार, प्रदेश में अनुसूचित जनजाति (एसटी) की जनसंख्या 0.5677 प्रतिशत तथा अनुसूचित जाति (एससी) की जनसंख्या 20.6982 प्रतिशत है। पंचायत चुनावों में इन वर्गों के लिए सीटें इसी अनुपात में आरक्षित की जाएंगी। वहीं ओबीसी आरक्षण को लेकर सरकार अधिक सतर्कता बरत रही है। अगर किसी ब्लॉक में ओबीसी जनसंख्या 27% से अधिक है, तब भी आरक्षण की अधिकतम सीमा 27% ही रहेगी। जबकि, यदि यह अनुपात 27% से कम है, तो उसी के अनुसार आरक्षण लागू किया जाएगा। इससे यह सुनिश्चित होगा कि आरक्षण का संतुलन बना रहे और सुप्रीम कोर्ट की दिशा-निर्देशों का पालन हो।
बीते विवादों से ली सीख
पिछले नगर निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण को लेकर हुए विवादों ने सरकार को सजग कर दिया है। तब भी सरकार ने समर्पित पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन कर जनसंख्या के आधार पर आरक्षण की प्रक्रिया अपनाई थी। उसी मॉडल को पंचायत चुनावों में भी लागू करने की योजना बनाई गई है। इससे न केवल विवादों से बचा जा सकेगा, बल्कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया की पारदर्शिता में भी इजाफा होगा।
आयोग की कार्यप्रणाली
प्रस्तावित आयोग छह सदस्यों वाला होगा और यह सरकार से कैबिनेट की अंतिम मंजूरी के बाद औपचारिक रूप से गठित होगा। इसके बाद आयोग जिलों का दौरा कर आंकड़े जुटाएगा और एक समग्र रिपोर्ट तैयार करेगा। इसी रिपोर्ट को आधार बनाकर आरक्षण प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया जाएगा।
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