भारत की परमाणु पनडुब्बी क्षमता
भारत इस विशेष क्लब में अपेक्षाकृत नया सदस्य है, लेकिन उसकी प्रगति उल्लेखनीय रही है। भारत ने अपनी पहली स्वदेशी परमाणु पनडुब्बी INS अरिहंत को 2016 में नौसेना में शामिल किया था। INS अरिहंत को भारतीय नौसेना की 'न्यूक्लियर ट्रायड' का अहम हिस्सा माना जाता है — यानी भारत अब भूमि, वायु और समुद्र से परमाणु हमला करने में सक्षम है।
इसके बाद INS अरिघाट और अन्य पनडुब्बियाँ निर्माणाधीन हैं, जो भारत की समुद्री रणनीतिक क्षमताओं को और मजबूत करेंगी। भारत ने रूस से लीज पर INS चक्र जैसी पनडुब्बियाँ लेकर भी इस तकनीक को समझा और उसमें आत्मनिर्भर बनने की दिशा में कदम बढ़ाए।
बाकी देशों की स्थिति
अमेरिका के पास दुनिया की सबसे बड़ी और आधुनिक परमाणु पनडुब्बी फ्लीट है। उसके पास Ohio-class और Virginia-class जैसी शक्तिशाली पनडुब्बियाँ हैं।
रूस ने सोवियत काल से ही परमाणु पनडुब्बियों का निर्माण किया है और उसकी Borei-class और Typhoon-class पनडुब्बियाँ विश्व में प्रसिद्ध हैं।
चीन भी तेजी से अपनी पनडुब्बी क्षमता को बढ़ा रहा है और हाल ही में उसने कई नई Type 094 और Type 096 क्लास की पनडुब्बियाँ विकसित की हैं।
फ्रांस और ब्रिटेन के पास भी अत्याधुनिक परमाणु पनडुब्बियाँ हैं, जो अटलांटिक महासागर में उनकी रणनीतिक मौजूदगी को बनाए रखती हैं।
परमाणु पनडुब्बी का महत्व
परमाणु पनडुब्बियाँ एक देश की 'second strike capability' को सुनिश्चित करती हैं। यदि किसी हमले में देश की ज़मीन और वायु-आधारित परमाणु ठिकाने नष्ट हो जाएँ, तो ये पनडुब्बियाँ छिपकर पलटवार करने की क्षमता रखती हैं। इसलिए इन्हें "deterrence" (निरोधक ताकत) का अहम स्तंभ माना जाता है।
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