1. संयुक्त राज्य अमेरिका (USA)
अमेरिका इस क्षेत्र का निर्विवाद लीडर है। इसके पास F-16, F-22 Raptor और F-35 Lightning II जैसे अत्याधुनिक स्टील्थ फाइटर जेट्स हैं। अमेरिका के लॉकहीड मार्टिन, बोइंग और नॉर्थरोप ग्रुमन जैसे रक्षा क्षेत्र की दिग्गज कंपनियां दुनिया भर में अपने विमानों का निर्यात करती हैं।
2. रूस
सोवियत संघ के जमाने से ही रूस लड़ाकू विमान निर्माण में अग्रणी रहा है। मिग और सुखोई ब्रांड इसके सबसे प्रसिद्ध नाम हैं। Su-30, Su-35 और हाल ही में विकसित Su-57 जैसे जेट्स इसकी तकनीकी क्षमता को दर्शाते हैं। रूस कई देशों को ये विमान निर्यात भी करता है।
3. फ्रांस
फ्रांस का राफेल लड़ाकू विमान उसकी तकनीकी प्रगति का प्रतीक है। दासो एविएशन द्वारा निर्मित यह विमान बहु-भूमिका निभाने में सक्षम है और भारत सहित कई देशों को निर्यात किया गया है। फ्रांस की स्वदेशी रक्षा तकनीक इसकी आत्मनिर्भरता का उदाहरण है।
4. चीन
तेज़ी से बढ़ती सैन्य ताकत के साथ चीन ने J-10, J-20 और J-31 जैसे उन्नत लड़ाकू विमान स्वदेश में विकसित किए हैं। चीन अब न केवल अपनी सेना को अत्याधुनिक विमान उपलब्ध करा रहा है, बल्कि निर्यात की दिशा में भी कदम बढ़ा रहा है।
5. भारत
भारत ने तेजस (LCA - लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट) के जरिए स्वदेशी लड़ाकू विमान निर्माण में महत्वपूर्ण कदम उठाया है। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के तहत विकसित तेजस को अब भारतीय वायुसेना में शामिल किया जा चुका है। भारत भविष्य में AMCA (Advanced Medium Combat Aircraft) जैसे स्टील्थ फाइटर पर भी काम कर रहा है।
6. ब्रिटेन और यूरोपीय संघ
ब्रिटेन, जर्मनी, इटली और स्पेन जैसे देश मिलकर यूरोफाइटर टाइफून का निर्माण करते हैं। यह विमान नाटो देशों की वायुसेना की रीढ़ बना हुआ है। यूरोप की संयुक्त तकनीकी क्षमताएं इसे खास बनाती हैं।
7. स्वीडन
स्वीडन का ग्रिपेन फाइटर जेट अपने हल्के वजन, तेज रफ्तार और बहु-भूमिकीय क्षमताओं के लिए जाना जाता है। इसे साब (SAAB) कंपनी ने विकसित किया है, जो सीमित संसाधनों में भी उत्कृष्ट रक्षा तकनीक का उदाहरण है।
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