भारत की सबमरीन बनेगी और भी घातक, 'ब्रह्मास्त्र' से होगी लैस

नई दिल्ली। भारत की समुद्री ताकत अब नए युग में प्रवेश करने जा रही है। भारतीय नौसेना ने अपनी मारक क्षमता बढ़ाने की दिशा में एक बड़ा और निर्णायक कदम उठाया है। प्रोजेक्ट 75-इंडिया (P-75I) के तहत जो नई डीजल-इलेक्ट्रिक सबमरीन तैयार की जा रही हैं, उन्हें अब देश की सबसे घातक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ‘ब्रह्मोस एक्सटेंडेड रेंज (ER)’ से लैस किया जाएगा। यह बदलाव केवल एक अपग्रेड नहीं, बल्कि भविष्य के समुद्री युद्धों की रणनीति में भारत की गहरी समझ और तैयारी को दर्शाता है।

800 किलोमीटर तक का अचूक प्रहार, पानी के अंदर से

ब्रह्मोस-ER मिसाइल एक बेहद आधुनिक और अपग्रेडेड हथियार है, जिसकी रेंज अब 800 किलोमीटर तक पहुंच गई है — पहले यह 450 किलोमीटर थी। इसकी सुपरसोनिक गति (मैक 2.8–3.0) और सटीकता इसे दुश्मन के खिलाफ एक खतरनाक हथियार बनाती है। खास बात यह है कि यह मिसाइल सबमरीन से लॉन्च होकर जमीन या समुद्री लक्ष्यों को पूरी सटीकता से निशाना बना सकती है। इससे भारत को ‘निवारक हमले’ (preemptive strike) की नई क्षमता मिलेगी।

वर्टिकल लॉन्च सिस्टम से बढ़ेगी घातकता

इन नई सबमरीनों में कम से कम आठ वर्टिकल लॉन्च सिस्टम (VLS) मॉड्यूल लगाए जाएंगे। VLS के जरिये मिसाइलें सीधे ऊपर की दिशा में दागी जा सकती हैं, जिससे सबमरीन सतह पर आए बिना ही हमला कर सकती है।

P-75I: आत्मनिर्भरता और वैश्विक साझेदारी

P-75I प्रोजेक्ट भारत की रक्षा तैयारियों में ‘मेक इन इंडिया’ और ‘स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप’ मॉडल का एक बेहतरीन उदाहरण है। इस प्रोजेक्ट के तहत छह आधुनिक सबमरीन बनाई जाएंगी, जिन्हें जर्मनी की थायसनक्रुप मरीन सिस्टम्स (TKMS) और भारत की मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL) मिलकर तैयार करेंगे। ये सबमरीन जर्मनी की HDW-214 क्लास पर आधारित होंगी लेकिन भारतीय नौसेना की जरूरतों के अनुसार इन्हें और अधिक घातक और तकनीकी रूप से सक्षम बनाया जाएगा।

पुरानी सबमरीन को भी मिलेगा अब नया जीवन

केवल नई सबमरीन ही नहीं, बल्कि भारतीय नौसेना की मौजूदा स्कॉर्पीन और किलो क्लास सबमरीनों को भी अपग्रेड किया जाएगा। इन्हें ब्रह्मोस-नेक्स्ट जनरेशन (NG) मिसाइल से लैस किया जाएगा। यह मिसाइल छोटी, हल्की और टॉरपीडो ट्यूब से लॉन्च होने लायक है, जिससे पुराने प्लेटफॉर्म को भी घातक हथियार प्रणाली से जोड़ा जा सकेगा — बिना भारी बदलाव के।

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