यूपी में असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती को लेकर नए नियम

लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने राजकीय डिग्री कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती प्रक्रिया में बड़ा बदलाव करते हुए एक नई व्यवस्था लागू की है। अब इन पदों पर चयन केवल इंटरव्यू के आधार पर नहीं, बल्कि लिखित परीक्षा और साक्षात्कार दोनों के संयुक्त मूल्यांकन पर आधारित होगा। यह कदम भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता, निष्पक्षता और गुणवत्ता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से उठाया गया है।

अब लिखित परीक्षा अनिवार्य

अब तक असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों पर उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) द्वारा केवल साक्षात्कार के माध्यम से नियुक्तियाँ की जाती थीं। यह प्रक्रिया "उच्चतर शिक्षा (समूह क) सेवा नियमावली 1985" के तहत संचालित होती थी। लेकिन अब इस नियमावली में संशोधन कर लिखित परीक्षा को भी शामिल कर लिया गया है। लिखित परीक्षा वस्तुनिष्ठ (Objective Type) प्रश्नों पर आधारित होगी, जिससे अभ्यर्थियों की विषय-वस्तु पर पकड़ और अकादमिक क्षमता का आंकलन अधिक प्रभावी रूप से किया जा सकेगा।

वेटेज का संतुलन: 80% लिखित, 20% साक्षात्कार

नई व्यवस्था में लिखित परीक्षा को प्रमुखता दी गई है। प्रस्तावित बदलावों के तहत शुरू में लिखित परीक्षा का वेटेज 70% और इंटरव्यू का 30% तय किया गया था। लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशानुसार इंटरव्यू के वेटेज को और घटाने की सिफारिश की गई है। अब योजना है कि लिखित परीक्षा का वेटेज 80% और इंटरव्यू का 20% रखा जाए। इसके लिए एक उच्च स्तरीय कमेटी भी गठित की गई है जो अंतिम निर्णय पर विचार करेगी।

नई प्रणाली के लाभ

पारदर्शिता में वृद्धि: लिखित परीक्षा से चयन प्रक्रिया अधिक वस्तुनिष्ठ और पारदर्शी बनेगी।

भर्ती में गुणवत्ता: विषय ज्ञान का परीक्षण करके अधिक योग्य और सक्षम उम्मीदवारों का चयन संभव होगा।

भ्रष्टाचार पर अंकुश: केवल साक्षात्कार आधारित चयन में होने वाले संभावित पक्षपात और भ्रष्टाचार पर प्रभावी रोक लगेगी।

युवा प्रतिभाओं को मौका: इस नई भर्ती प्रक्रिया से ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों से आने वाले मेधावी अभ्यर्थियों को समान अवसर मिलेगा।

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