आर्मेनिया के लिए क्यों खास है 'अस्त्र Mk1'?
आर्मेनिया और भारत के बीच बढ़ते रक्षा सहयोग के तहत एक बड़ा कदम सामने आया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, आर्मेनियाई वायुसेना अपने Su-30SM मल्टीरोल फाइटर जेट्स में रूसी मिसाइल R-77 की जगह भारतीय ‘अस्त्र Mk1’ को शामिल करने पर गंभीरता से विचार कर रही है।
R-77 मिसाइल की अधिकतम मारक क्षमता जहां 80 किमी तक सीमित है, वहीं ‘अस्त्र Mk1’ इसकी तुलना में कहीं ज्यादा — 110 किमी तक की रेंज में दुश्मन को निशाना बना सकती है। ऐसे में आर्मेनिया के लिए यह अपग्रेड एक बड़ा सामरिक लाभ साबित हो सकता है, खासकर उसके सीमावर्ती क्षेत्रों में हवाई सुरक्षा को देखते हुए।
भारत की 'अस्त्र Mk1': तकनीक और ताकत का मेल
‘अस्त्र Mk1’ को भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित किया गया है। यह मिसाइल न केवल पूरी तरह से स्वदेशी है, बल्कि यह दुनिया की उन कुछ चुनिंदा मिसाइलों में से एक है जो बियॉन्ड विजुअल रेंज (BVR) में दुश्मन के विमानों को सटीकता से निशाना बना सकती है।
भारत-आर्मेनिया रक्षा साझेदारी: एक बढ़ता रिश्ता
पिछले कुछ वर्षों में भारत और आर्मेनिया के बीच रक्षा क्षेत्र में सहयोग लगातार बढ़ा है। भारत ने पहले भी आर्मेनिया को PINAKA मल्टी-बैरल रॉकेट लॉन्चर, स्वाती वेपन लोकेटिंग रडार, और AK-203 राइफलें आपूर्ति की हैं। अब ‘अस्त्र Mk1’ की संभावित बिक्री इस रणनीतिक संबंध को और मजबूत करेगी।
'अस्त्र Mk1' की मुख्य विशेषताएं:
रेंज: 110 किमी तक
गति: सुपरसोनिक (Mach 4+)
गाइडेंस सिस्टम: Active Radar Homing
प्रणोदन: Smokeless Solid Propellant
प्रिसिशन: इलेक्ट्रॉनिक काउंटरमेजर्स को चकमा देने में सक्षम
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